एतिहासिक फैसला: सरकार ने एसआरओ 202 वापस लिया, अब नई सरकारी नियुक्तियों में पूरा वेतन मिलेगा
एसआरओ 202 को पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में 30 जून 2015 को पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के समय लागू किया गया था।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : राज्य प्रशासनिक परिषद ने जम्मू कश्मीर के हजारों बेरोजगार युवाओं के हित में एक एतिहासिक फैसला लिया है। प्रदेश में अब सरकारी नौकरियों में नई भर्ती के लिए राज्य नियामक आदेश (एसआरओ) 202 लागू नहीं होगा। यानि कर्मचारियों की नई भर्ती के पहले पांच साल में अब आधा नहीं बल्कि पूरा वेतन मिलेगा। इसके साथ ही पहले से नियुक्त करीब 12 हजार कर्मियों की प्रोबेशन अवधि भी पांच साल से कम कर दो साल कर दी गई है।
यह अहम फैसला उपराज्यपाल जीसी मुर्मू की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में लिया गया। सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के हितों को लेकर यह फैसला किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने उपराज्यपाल के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने मुङो बताया कि जम्मू कश्मीर में नई भर्तियों में एसआरओ 202 लागू नहीं होगा।
बता दें कि एसआरओ 202 के मुद्दे पर कुछ दिनों से राजनीति हो रही थी। नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पैंथर्स पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया था। भाजपा और सरकार को निशाना बनाया जा रहा था। यह मुद्दा उस समय अधिक गरमाना शुरू हुआ, जब हाल ही में प्रदेश सरकार ने 10 हजार पदों को भरने की घोषणा की थी। इसके बाद से प्रदेश में एसआरओ 202 को लेकर सियासत तेज हो गई थी।
क्या है एसआरओ 202: एसआरओ 202 को पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में 30 जून 2015 को पूर्व पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के समय लागू किया गया था। इसमें यह प्रावधान है कि उम्मीदवार सरकारी नौकरी पर नियुक्त होने के पांच साल तक प्रोबेशन पर रहेगा। इसके तहत उम्मीदवार को पांच साल तक बेसिक वेतन ही मिलेगा। इसके बाद वार्षिक इंक्रीमेंट, महंगाई भत्ता व आवासीय भत्ता आदि मिलते हैं। उम्मीदवार को आधा वेतन ही मिल पाता है।
वर्ष 2015 में एसआरओ का हुआ था काफी विरोध: वर्ष 2015 को जब एसआरओ 202 लागू हुआ था तो इसका काफी विरोध हुआ था। युवा सड़कों पर उतर आए थे। प्रदर्शनों का सिलसिला लंबा चला था। कांग्रेस, पैंथर्स व नेशनल कांफ्रेंस ने इसे मुद्दा बना था, लेकिन मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने इसे वापस नहीं लिया था।
- एसआरओ-202 को लागू न करने और पहले से लगे कर्मचारियों का प्रोबेशन अवधि कम करने का फैसला ऐतिहासिक है। पीएमओ में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के समक्ष इस मसले को उठाया था। विपक्ष बिना वजह इस पर राजनीतिकर रहा था। - रविन्द्र रैना, भाजपा प्रदेश प्रधान
- विपक्षी पार्टियों और युवाओं के दबाव के आगे सरकार झुकी है। पूर्व भाजपा-पीडीपी सरकार का यह गलत फैसला था। अभी इसमें आधी जीत हुई है। हमारी मांग है कि जिन लोगों ने नौकरी की है, उनको पुराना सारा वेतन दिया जाए। - रविन्द्र शर्मा, मुख्य प्रवक्ता प्रदेश कांग्रेस
- नई भर्ती नियम में एसआरओ-202 को लागू न करने और प्रोबेशन की अवधि कम करने का फैसला सराहनीय है। हजारों कर्मचारियों को भी फायदा होगा, जिनका प्रोबेशन अभी रहता है। - बाबू हुसैन मलिक, प्रधान ऑल जम्मू-कश्मीर इंप्लाइज ज्वाइंट एक्शन कमेटी (आर)
- स्वास्थ्य विभाग में कई कर्मी इस एसआरओ के तहत नियुक्त हैं। बेरोजगार युवाओं को राहत मिलेगी। कर्मचारियों को इंसाफ मिला है। - सुशील सूदन, प्रधान, जम्मू-कश्मीर मेडिकल इंचलाइज फेडरेशन