Kashmir Wular Lake: कश्मीर की वुल्लर झील के संरक्षण के लिए काटे जाएंगे 22 लाख पेड़
वुल्लर झील कभी एशिया की सबसे बड़ी ताजा पानी वाली झील थी। अभी भी यह जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी ताजा पानी की झील है। लेकिन पिछले आठ दशकों से इसका दायर लगातार कम हो रहा है।
श्रीनगर, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने वुल्लर झील के संरक्षण के लिए करीब 22 लाख पेड़ों को काटने का फैसला किया है। इससे वुल्लर को वर्षों पुराने स्वरूप में लाने का प्रयास किया जाएगा। वुल्लर झील उत्तरी कश्मीर के बांडीपोरा और बारामूला झीलों में फैली हुई है। लेकिन लगातार इस झील का दायरा कम होता गया। जिस पर पर्यावरणविदों ने भी चिंता जताई और इसके संरक्षण की लगातार मांग होने लगी।
साल 2007 में गैर सरकारी संगठन वेटलैंड इंटरनेशनल साउथ एशिया ने एक रिपोर्ट दी थी जिसमें उन्होंने वुल्लर झील की लगातार कम हो रहे दायरे का जिक्र किया था। वुल्लर कंजरवेशन एंड मैनेजमेंट अथारिटी इसके बाद इस झील के भीतर लगे पेड़ों को काटने का काम शुरू किया था। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रामसर वेटलैंड पर सबसे पहले अथारिटी ने पेड़ काटना शुरू किए। अथारिटी का कहना है कि वुल्लर झील का कुल क्षेत्रफल कितना है यह साल 2011 के राजस्व रिकार्ड को देखकर ही अनुमान लगाया गया है। उसके बाद ही इस जमीन पर लगे करीब 21 लाख 84 हजार पेड़ों को काटने का फैसला हुआ।
अथारिटी के कोआर्डिनेटर मुद्दसर महमूद का कहना है कि वुल्लर झील का कुल क्षेत्र फल करीब 130 वर्ग किलोमीटर है। इसके भीतर लगे पेड़ों को चरणबद्ध तरीके से काटा जाएगा। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटने से पर्यावरण पर कोई प्रभाव पड़ेगा। हालांकि विशेषज्ञ पेड़ काटने से पहले इसका पर्यावरण पर पड़ने वाले असर के बारे में स्टडी करने की मांग कर चुके हैं।
कभी एशिया की सबसे बड़ी ताजा पानी की झील थी वुल्लर
वुल्लर झील कभी एशिया की सबसे बड़ी ताजा पानी वाली झील थी। अभी भी यह जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी ताजा पानी की झील है। लेकिन पिछले आठ दशकों से इसका दायर लगातार कम हो रहा है। अधिकारिक रिकार्ड के अनुसार इस झील का 27 वर्ग किलोमीटर में सिल्ट होने से इसका दायर कम हुआ है। 1980 में केंद्र सरकार ने वुल्लर पर बेराज बनाकर डेम बनाने का प्रस्ताव बनाया था लेकिन इसके बाद आतंकवाद शुरू होने पर यह प्रोजेक्ट कागजों तक ही सीमित होकर रह गया। इसके बाद साल 2007 में वेटलैंड इंटरनेशनल ने झील की चार दीवारी के भीतर लगे सभी पेड़ों को काटने का सुझाव दिया गया। निंगली फारेस्ट रेंज में अधिकांश पेड़ काट भी दिए गए। निंगली में करीब 27.30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ऐसा है जहां पर पेड़ों को काटकर पानी की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। अगर ऐसा होता है तो यहां पर एक मीटर तक पानी का स्तर बढ़ जाएगा।
पेड़ काटने पर रहा है मतभेद
वुल्लर झील की चार दीवारी के भीतर पेड़ काटने को लेकर विशेषज्ञों में भी मतभेद रहे हैं। कश्मीर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने एक स्टडी की जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर ये पेड़ काटे जाते हैं तो इससे पर्यावरण पर कोई नुकसान नहीं होगा। प्रोफेसर जफर रेशी जिन्होंने ये स्टडी की है, उनका कहना है कि वह यह नहीं कह सकते कि पेड़ काटे जाएं या नहीं। हमें यह काम सौंपा गया था कि इन पेड़ों का जल स्रोत पर क्या असर पड़ेगा। हमारे पास जो डाटा था, हमने उसी के आधार पर स्टडी की और यह पाया कि जो पेड़ काटे जाएंगे वे कार्बन डाईआक्साइड अधिक छोड़ते हैं। अगर वे काटे भी जाते हैं तो इससे कोई असर नहीं पड़ेगा। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि इस पर विस्तार से स्टडी होनी चाहिए।