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आतंकियों से लोहा लेने और मजबूत हुई एसओजी, अब जमीन से आसमान तक दुश्मनों पर रहेगी नजर

एसओजी का गठन गोरिल्ला लड़ाई लड़ने वाले आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए किया गया है। यह दस्ता आतंकियों से मुठभेड़ करने में माहिर है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 02:29 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 02:53 PM (IST)
आतंकियों से लोहा लेने और मजबूत हुई एसओजी, अब जमीन से आसमान तक दुश्मनों पर रहेगी नजर
आतंकियों से लोहा लेने और मजबूत हुई एसओजी, अब जमीन से आसमान तक दुश्मनों पर रहेगी नजर

जम्मू, दिनेश महाजन। आतंकियों से लोहा लेने वाली राज्य पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) को और मजबूत किया गया है। अब एसओजी का दस्ता जमीन से लेकर आसमान तक से देश के दुश्मनों पर नजर रख पाएगा। एसओजी को आधुनिक सुविधाओं से लैस ड्रोन दिए गए हैं। तलाशी अभियान के दौरान एसओजी के जवानों के लिए ड्रोन विमान तीसरी आंख का काम करेगा।

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मुठभेड़ के दौरान आतंकी अक्सर घने जंगलों में छिप कर सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। सुरक्षा बलों को आतंकियों की पोजीशन को खोजने में अपने कई जवानों की जान तक गंवानी पड़ जाती है। अब एसओजी के जवानों को मिले ड्रोन आतंकियों के लिए उनका काल बनेंगे। बिना जान के नुकसान के ड्रोन की मदद से एसओजी के जवान आतंकियों की गतिविधियों के बारे में सटीक जानकारी हासिल कर सकते हैं। पूरी ताकत से हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार सकते हैं। ड्रोन विमान में लगे कैमरे से ऊंचाई वाले क्षेत्र से लाइव वीडियो के अलावा फोटो भी खींचे जा सकते हैं, जिनके आधार पर सुरक्षा बंदोबस्त को पुख्ता किया जा सकता है।

ऐसे काम करता है ड्रोन

ड्रोन एक प्रकार का विमान है। इसे अभियानों में दुश्मनों की टोह लेने एवं आक्रमण करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। भूमि के ऊपर उड़ते हुए सर्वेक्षण करने में भी किया जाता है। इसे रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया जाता है। इन्हें किसी मानव चालक की आवश्यकता नहीं होती। इस विशेषता के कारण ही यह टोही विमान के रूप अत्यधिक उपयोग मे लाए जाते हैं। ड्रोन अंग्रेजी का एक शब्द है। इसका अर्थ नर मधुमक्खी होता है।

मुठभेड़ स्थल पर पहले पहुंचता है एसओजी का दस्ता

एसओजी का गठन गोरिल्ला लड़ाई लड़ने वाले आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए किया गया है। यह दस्ता आतंकियों से मुठभेड़ करने में माहिर है। आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ उनके नेटवर्क को अपने साइबर सेल की मदद से तोडऩे का दम भी रखता है। तलाशी अभियान को अंजाम देने के लिए एसओजी के जवानों को ही बुलाया जाता है।

नारको टेररिज्म से जंग लडऩे में एसओजी की अहम भूमिका

आतंकवाद के अलावा सीमापार से पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे नारको टेररिज्म को एसओजी का दस्ता चुनौती दे रहा है। एसओजी ने गत एक वर्ष के भीतर (अगस्त 2018 से अगस्त 2019) तक मादक पदार्थ तस्करी में लिप्त 62 लोगों को दबोचा है। उनके कब्जे से 34 वाहनों को जब्त किया है। जम्मू के विभिन्न पुलिस थानों में 35 मामले दर्ज हुए।

जम्मू के एसओजी दस्ते को पहली बार मिला है ड्रोन

ड्रोन विमान का प्रयोग पहले सीमांत क्षेत्रों में सेना करती थी। इसके बाद अमरनाथ यात्र के दौरान करीब तीन सौ किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग व उसके साथ लगते पहाड़ों पर आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीआरपीएफ ड्रोन विमान का प्रयोग करती थी। यह पहली बार है कि जम्मू पुलिस को राज्य गृह विभाग की ओर से ड्रोन विमान दिया गया है। 


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