Jammu Kashmir: 1300 सरकारी स्कूलों की खाली इमारतें फिर होंगी आबाद, सरकारी विभागों के कार्यालय खुलेंगे, डीडीसी-बीडीसी चेयरमैन भी बैठेंगे
Jammu Kashmir जम्मू कश्मीर राज्य में 2015 से जून 2018 तक पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के शासन के दौरान शिक्षा विभाग में स्कूलों का समायोजन किया गया था। कम छात्रों वाले स्कूलों को नजदीकी स्कूल में समायोजित कर दिया गया।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर के 1300 सरकारी स्कूलों की खाली पड़ी इमारतों में जल्द ही चहल-पहल नजर आएगी। इन इमारतों में जिला विकास परिषद (डीडीसी) और ब्लाक विकास परिषद (बीडीसी) के चेयरमैन ही नहीं बैठेंगे, बल्कि सरकारी विभागों के कार्यालय भी इनमें खुलेंगे। स्कूलों के समायोजन के बाद ये इमारतें करीब छह साल से खाली पड़ी हैं। प्रदेश महाप्रशासनिक विभाग के मुताबिक, इस प्रयास से सरकारी खजाने को हर साल लगभग दो से ढाई करोड़ रुपये का लाभ होगा।
जम्मू कश्मीर राज्य में 2015 से जून 2018 तक पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के शासन के दौरान शिक्षा विभाग में स्कूलों का समायोजन किया गया था। कम छात्रों वाले स्कूलों को नजदीकी स्कूल में समायोजित कर दिया गया। स्थिति यह थी कि कई सरकारी स्कूलों में एक भी छात्र नहीं था और अध्यापक 30 से ज्यादा थे। ऐसे स्कूलों को भी मर्ज किया गया, जहां अध्यापकों की कमी थी।
इस प्रक्रिया में 1300 सरकारी स्कूलों की इमारतें खाली हो गईं। इनके अलावा कई ऐसे स्कूल भी बंद हो गए, जो किराए की इमारतों में थे। अब इन्हीं स्कूल भवनों को अन्य सरकारी कामकाज में इस्तेमाल किया जाएगा। महाप्रशासनिक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू कश्मीर में लागू किए जा रहे प्रशासनिक सुधारों और वित्तीय अनुशासन की प्रक्रिया के तहत ही प्रशासन ने खाली पड़ी स्कूली इमारतों के इस्तेमाल का फैसला किया है। पूरे प्रदेश में 1300 स्कूली इमारतें हैं, जो बीते पांच-छह साल से खाली हैं।
आवंटन से पहले राय व सहमति अनिवार्य: प्रदेश के मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता ने गत दिनों एक बैठक में महाप्रशासनिक विभाग और योजना विकास एवं निगरानी विभाग को सरकारी स्कूलों की खाली इमारतों का इस्तेमाल करने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे। इन भवनों में विभिन्न सरकारी विभागों के कार्यालय स्थानांतरित करने, उनमें बीडीसी व डीडीसी के कार्यालय बनाने और उन्हेंं बतौर पंचायत घर इस्तेमाल करने के लिए कहा था। यह पूरी प्रक्रिया जिला उपायुक्त को विश्वास में होगी। किसी भी विभाग को भवन आवंटित करने से पहले उनकी राय व सहमति अनिवार्य है। इसके अलावा ग्रामीण विकास एवं पंचायज राज विभाग ने भी जम्मू और कश्मीर स्थित अपने दोनों निदेशकों को इस संदर्भ में संबधित जिला उपायुक्तों के साथ संपर्क बनाने के लिए कहा है।
बीडीसी और डीडीसी चेयरमैन मांग रहे कार्यालय: जम्मू कश्मीर में बीडीसी और डीडीसी चेयरमैन अपने लिए कार्यालय की मांग कर रहे हैं, जहां वह लोगों के साथ लगातार संवाद व संपर्क बनाने के लिए बैठ सकें और जिम्मेदारियों का निर्वाह कर सकें। इसके अलावा कई जगह नगर निकायों के कार्यालय भी किराए की इमारतों में चल रहे हैं। कई जगह तो ग्रामीण विकास विभाग, पीएचई और पीडब्ल्यूडी के क्षेत्रीय कार्यालय तक किराए के भवन में हैं। प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी ऐसे कई हैं, जिनका अपना भवन नहीं है। इससे सरकारी खजाने पर किराये के रूप में अतिरिक्त और अनावश्यक बोझ पड़ रहा है।