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Jammu Kashmir: कश्मीर में दो नेताओं की नजरबंदी हटी, दो को किया रिहा

नजरबंदी से मुक्त होने वाले नेताओं में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री दिलावर मीर के अलावा पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर शामिल हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 10:56 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 10:56 AM (IST)
Jammu Kashmir: कश्मीर में दो नेताओं की नजरबंदी हटी, दो को किया रिहा
Jammu Kashmir: कश्मीर में दो नेताओं की नजरबंदी हटी, दो को किया रिहा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में सुधरते हालात के बीच प्रशासन ने सोमवार को दो और प्रमुख राजनीतिक नेताओं की नजरबंदी हटा दी। इसके साथ ही एहतियातन हिरासत में रखे गए दो अन्य नेताओं को भी रिहा करते हुए उन्हें उनके घरों में नजरबंद कर दिया है। इस बीच, एहतियातन हिरासत में बंद पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन को प्रशासन ने अपनी बीमार मां से मिलने के लिए कुछ समय की छुट्टी भी दी है। प्रशासन ने एहतियातन हिरासत में रखे गए कुछ और राजनीतिक नेताओं को स्वास्थ्य के आधार पर रिहा कर राज्य से बाहर उपचार के लिए जाने की अनुमति देने का भी फैसला किया है। इनमें चार से पांच नेताओं को इसी सप्ताह रिहा किया जा सकता है।

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नजरबंदी से मुक्त होने वाले नेताओं में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री दिलावर मीर के अलावा पूर्व कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर शामिल हैं। हसन मीर पीडीपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे, लेकिन वर्ष 2005 के बाद उन्होंने अपना अलग राजनीतिक दल डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट का गठन किया था। दिलावर मीर और गुलाम हसन मीर को गत पांच अगस्त 2019 से उनके घरों में ही नजरबंद रखा गया था। दिलावर मीर के पुत्र यावर मीर को गत माह सशर्त रिहा किया गया है।

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि पूर्व विधायक अशरफ मीर और पूर्व विधायक हकीम यासीन को सोमवार सबजेल एमएलए हॉस्टल से रिहा कर दिया गया। अलबत्ता, प्रशासन ने इन दोनों नेताओं को एहतियातन हिरासत से मुक्ति के चंद ही मिनट बाद इन्हें घर में नजरबंद कर दिया।

इस बीच, पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन को प्रशासन ने सबजेल एमएलए हॉस्टल से कुछ समय के लिए छुट्टी दी है। उन्हें यह छुट्टी गत शनिवार को दी गई, ताकि वह अपनी बीमार मां से घर में जाकर मिल सकें। वह करीब दो घंटे तक अपने घर में रहे और उसके बाद एमएलए हॉटस्ल में लौट आए थे। गौरतलब है कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लागू किए जाने से उपजी स्थिति के मद्देनजर राज्य सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए विभिन्न दलों के करीब एक हजार नेताओं को हिरासत या नजरबंद किया था। अब केवल 31 ही हिरासत में हैं।


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