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Jammu Kashmir: फोरेंसिक विभाग में बैलेस्टिक एक्सपर्ट तक नहीं, स्कूली शिक्षक निभा रहे सांइटिफिक आफिसर की ड्यूटी

Jammu Kashmir Forensic Department बीते वर्ष ही फोरेंसिक सांइस डिपार्टमेंट गृह विभाग के अधीन आया था लेकिन अभी भी सहयोगी स्टाफ कर्मी पुलिस विभाग से ताल्लुक रखते हैं। सूत्रों की मानें तो डीएनए की जांच पुलिस इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी कर रहे हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 05 Jul 2021 07:35 AM (IST)Updated: Mon, 05 Jul 2021 07:43 AM (IST)
Jammu Kashmir: फोरेंसिक विभाग में बैलेस्टिक एक्सपर्ट तक नहीं,  स्कूली शिक्षक निभा रहे सांइटिफिक आफिसर की ड्यूटी
विभाग को डेपुटेशन के सहारे चलाना न्याय से खिलवाड़ करने जैसा है।

जम्मू,  अवधेश चौहान : जम्मू फोरेंसिक विभाग साइंटिफिक एक्सपर्ट की कमी से जूझ रहा है। आलम यह है कि जम्मू या उसके आसपास के क्षेत्र में अगर आतंकी किसी वारदात को अंजाम देते हैं तो विभाग के पास न तो एक्सप्लोसिव और न ही बैलेस्टिक एक्सपर्ट है। इसके लिए दिल्ली सहित अन्य राज्यों से विशेषज्ञ आने का इंतजार करना पड़ता है। इसकी बानगी बीते रविवार को जम्मू एयरफोर्स स्टेशन में हुए ड्रोन हमले की जांच के दौरान देखने को मिली। जम्मू कश्मीर पुलिस के आला अधिकारियों ने मौके का जायजा तो लिया, लेकिन वे अपने साथ कोई भी फोरेंसिक एक्सपर्ट साथ लेकर नहीं गए। हमले के एक दिन बाद जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम एक्सप्लोसिव और बैलेस्टिक एक्सपर्ट की टीम लेकर पहुंची तो मौका-ए-वारदात से सैंपल उठाए गए।

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जम्मू के फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) विंग में वैज्ञानिकों के बजाए स्कूल शिक्षा विभाग के मास्टर डेपुटेशन पर अस्सिटेंट सांइटेफिक आफिसर और लैब टेक्नीशियन का काम कर रहे हैं। खून के सैंपल की जांच करने वाले टाक्सिलाजी एक्सपर्ट को रिटायरमेंट के बाद दो साल के लिए कांट्रेक्ट पर रखा गया है। जम्मू फोरेंसिक डिपार्टमेंट, फोरेंसिक डेपुटेशन डिपार्टमेंट बन गया है। बीते वर्ष ही फोरेंसिक सांइस डिपार्टमेंट गृह विभाग के अधीन आया था, लेकिन अभी भी सहयोगी स्टाफ कर्मी पुलिस विभाग से ताल्लुक रखते हैं। सूत्रों की मानें तो डीएनए की जांच पुलिस इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी कर रहे हैं।

वैज्ञानिकों के सेवानिवृत होने के बाद नहीं हुई भर्ती : फोरेंसिक विभाग में डायरेक्टर से लेकर डिप्टी डायरेक्टर वैज्ञानिक नहीं बल्कि कश्मीर प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। ऐसे हालात तीन साल से बने हुए हैं। यहां तक कि जो वैज्ञानिक सेवानिवृत हुए उनके बदले कोई भर्ती नहीं की गई। जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमिशन को बीते वर्ष वैज्ञानिकों के पदों को भरने के लिए कहा गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वर्ष 1983 में आखिरी भर्ती हुई थी।

न्याय से खिलवाड़ : एफएसएल की जांच पर कोर्ट का फैसला टिका होता है। आरोपी का एक बाल उसे फांसी के फंदे तक पहुंचा सकता है। ऐसे में विभाग को डेपुटेशन के सहारे चलाना न्याय से खिलवाड़ करने जैसा है।

शीघ्र पदों को भरा जाएगा : जम्मू कश्मीर फोरेंसिक डिपार्टमेंट के डायरेक्टर शुब्रा शर्मा ने कहा कि एक्सप्लोसिव और बैलेस्टिक एक्सपर्ट की कमी है। इसके लिए जम्मू कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशन में पदों को भरने के लिए कहा गया है। वह स्वयं इन पदों को भरने के लिए कोशिश कर रहे हैं। आयोग से मंजूरी मिल गई है, शीघ्र इन पदों को भरा जाएगा। 


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