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Jammu Kashmir: अस्पतालों में आधारभूत सुविधाओं पर हल्फनामा दायर करें, सभी सुनवाई के लिए 24 मार्च तक सूचित करें

कोर्ट ने प्रतिपक्ष की ओर से हाजिर एडवोकेट जनरल डीसी रैना और एडिशनल एडवोकेट जनरल रवींद्र गुप्कता को इस मामले में निर्देश लेकर हल्फनामा दायर करने के निर्देश दिए।इसमें अस्पतालों की वर्तमान स्थिति पर जानकारी देने को कहा गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 09:59 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 10:00 AM (IST)
Jammu Kashmir: अस्पतालों में आधारभूत सुविधाओं पर हल्फनामा दायर करें, सभी सुनवाई के लिए 24 मार्च तक सूचित करें
मामलों को सुनवाई के लिए 24 मार्च को सूचित करे।

जम्मू, जेएनएफ: हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एडवोकेट जनरल डीसी रैना और एडिशनल एडवोकेट जनरल रवींद्र गुप्ता को निर्देश दिए कि वह अक्टूबर 2016 के बाद अब तक सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं के विस्तार और वर्तमान स्थिति पर हल्फनामा दायर करें।

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चीफ जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस जावेद इकबाल वानी की खंडपीठ ने यह निर्देश सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई पर दिए। खंडपीठ ने कहा कि इस जनहित याचिका का विवाद सर्वोच्च न्यायालय तक गया था। इसमें 21 अक्टूबर 2016 को कई निर्देश जारी किए गए थे।

इनमें एक मुद्दा सरकारी अस्पतालों में आधारभूत सुविधाओं को लेकर था। खंडपीठ ने कहा कि अब वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ है। कोर्ट ने एडवोकेट एसएस अहमद से अनुरोध किया कि वह याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को इस मामले में सहायता करें।

खंडपीठ ने कहा कि स्माइल सोशल यूथ क्लब वनाम जम्मू-कश्मीर सरकार मामले में भी एक जनहित याचिका दायर है। इसमें यह कहा गया है कि कोर्ट ने पहले से ही विशेषज्ञों की एक समिति बनाई है। यह भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश ही थे। खंडपीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिए कि वह सभी मामलों को सुनवाई के लिए 24 मार्च को सूचित करे।

कोर्ट ने प्रतिपक्ष की ओर से हाजिर एडवोकेट जनरल डीसी रैना और एडिशनल एडवोकेट जनरल रवींद्र गुप्कता को इस मामले में निर्देश लेकर हल्फनामा दायर करने के निर्देश दिए।इसमें अस्पतालों की वर्तमान स्थिति पर जानकारी देने को कहा गया है।

जनहित को देखते हुए अधिकारी एनओसी पर रोक लगा सकता है - कैट

जस्टिस एल. नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता में गठित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के बेंच ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के कर्मियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू बनाए रखने व जनहित को देखते हुए कर्मियों की एनओसी पर संबंधित अधिकारी रोक लगा सकता है। याचिकाकर्ता कर्मियों ने यह याचिका उस आवेदन को चुनौती देते दायर किया था जिसमें आवेदन के लिए प्रशासनिक विभाग से एनओसी लेने के लिए कहा गया था। इस आवेदन में कहा गया था कि रजिस्ट्रार पद के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों को एनअोसी लेनी पड़ेगी। रजिस्ट्रार पद के लिए मेडिकल एजूकेशन की गैजटेड सेवा योग्यता रखी गई थी। कैट ने कहा कि अगर कोई कर्मी अपनी योग्यता को बढ़ाने या अन्य पद के लिए अावेदन करना चाहता है तो उसे एनओसी लेनी पड़ेगी। उधर विभाग यह तय करेगा कि वह काम में तालमेल बिठाने के लिए एनओसी जारी कर सकता है या नहीं। वहीं विभाग को इस पर यह भी देखना होगा कि एनओसी जारी करने में भेदभाव न हो और ग्रामीण इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित न हो।


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