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Jammu Kashmir: अब शिक्षण संस्थानों में नहीं बुलाया जाएगा स्टाफ, घरों से ही ऑनलाइन कक्षाएं लेंगे अध्यापक

सभी विद्यार्थियों को शामिल करने का जिम्मा भी शिक्षकों को दिया गया है ताकि कोई विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित न रहे। वहीं अगर कोई बच्चा ऑनलाइन शिक्षा में शामिल नहीं हो सकता तो उसे ऑफलाइन शिक्षा देना भी शिक्षक की जिम्मेदारी होगी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 07:46 AM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 09:26 AM (IST)
Jammu Kashmir: अब शिक्षण संस्थानों में नहीं बुलाया जाएगा स्टाफ, घरों से ही ऑनलाइन कक्षाएं लेंगे अध्यापक
स्टाफ को अब हाजिरी के लिए शिक्षण संस्थानों में नहीं बुलाया जा सकता है।

जम्मू, जागरण टीम: जम्मू कश्मीर में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने सभी स्कूलों, कालेजों, तकनीकी शिक्षण संस्थानों और कौशल विकास संस्थानों को निर्देश दिए है कि वे स्टाफ को हाजिरी के लिए संस्थानों में न बुलाएं। टीचिंग स्टाफ अपने घरों से ही आन लाइन कक्षाएं लेंगे। विश्वविद्यालय रिसर्च या लैब कार्य के लिए स्टाफ को बुला सकते हैं। जम्मू कश्मीर आपदा प्रबंधन की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य सचिव सिमरनदीप सिंह ने कहा कि आपदा प्रबंधन कार्यों के लिए शिक्षण संस्थानों के डयूटी वाले स्टाफ को छूट नहीं मिलेगी।

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कोरोना महामारी के बीच बच्चों की पढ़ाई निर्बाध जारी रहे और उन पर मानसिक रूप से दबाव भी न पड़े, इसके लिए शिक्षा विभाग ने नई रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत दूरदराज के उन बच्चों की पढ़ाई भी सुनिश्चित करने का खाका तैयार किया गया है, जहां ऑनलाइन कक्षाएं संभव नहीं हैं। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि एक शिक्षक एक विषय पर 40 मिनट से ज्यादा ऑनलाइन कक्षा नहीं ले सकते। साथ ही यह भी आदेश दिया गया है कि दूरदराज में स्कूल से दूर रहने वाले शिक्षक अपने आसपास में ही सामुदायिक कक्षाएं चलाएं।

बताते चले कि जम्मू कश्मीर में कोरोना से उपजे हालात के कारण सारे शिक्षण संस्थानों को पंद्रह मई तक बंद किया गया है। सरकार ने गत दिनों आदेश जारी करके कहा था कि रोटेशन पर पचास फीसद स्टाफ को बुलाया जा सकता है। इस समय शिक्षण संस्थानों में टीचिंग स्टाफ जा रहा था और वहां से ही विद्यार्थियों की आन लाइन कक्षाएं ली जा रही थी। जम्मू कश्मीर में कोरोना की स्थिति के लगातार खराब होने पर सरकार ने अब अध्यापकों की आन लाइन सेवाएं घरों से लेने के लिए कहा है। स्टाफ को अब हाजिरी के लिए शिक्षण संस्थानों में नहीं बुलाया जा सकता है।

वहीं शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार आन लाइन कक्षा में एक विषय की क्लास 40 मिनट से ज्यादा न हो। इसके अलावा इन कक्षाओं में सभी विद्यार्थियों को शामिल करने का जिम्मा भी शिक्षकों को दिया गया है ताकि कोई विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित न रहे। वहीं अगर कोई बच्चा ऑनलाइन शिक्षा में शामिल नहीं हो सकता तो उसे ऑफलाइन शिक्षा देना भी शिक्षक की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए हेड मास्टर संबंधित शिक्षक की मदद करेगा।

वहीं अपने स्कूलों से दूर रहने वाले शिक्षकों को विभाग ने निर्देश दिए हैं कि वे चाहे तो अपने इलाकों में सामुदायिक कक्षाएं ले सकते हैं। वे बच्चों को पढ़ाने का बंदोबस्त करें, लेकिन इसके लिए अपने संबंधित जेडईओ, हेड मास्टरों, प्रिंसिपलों के समक्ष अपने नाम का पंजीकरण करवा लें।

सामुदायिक शिक्षा में बरतनी होंगी ये सावधानियां: सामुदायिक कक्षाओं में बच्चों में शारीरिक दूरी बनाई रखी जाए। उन्हें दो-दो मीटर की दूरी पर बिठाया जाए। सभी बच्चे मास्क पहनें और हाथ भी सैनिटाइज करने का बंदोबस्त रखें। इसके साथ ही बच्चे व शिक्षक अपने हाथ भी अच्छे से धोकर रखें। वहीं ऑफलाइन पढ़ाई के समय सभी बच्चों के पास अपनी-अपनी कापी, किताबें, पेन, पेंसिल हो। वे इसे एक-दूसरे से न लें। वहीं स्कूलों में आने वाले शिक्षकों को हिदायत है कि वे स्कूल आते और जाते समय खुद भी शारीरिक दूरी बनाए रखने का पालन करें। स्कूल में ग्रुप न बनाएं।

  • पिछले वर्ष भी उनके शिक्षकों ने कोविड के बीच बेहतर कार्य किया है। उम्मीद है कि वह इस बार भी खुद को बेहतर साबित करेंगे। बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह रुके नहीं ऐसा प्रयास किया जा रहा है। अभिभावक भी बच्चों का सहयोग करें। - बीके सिंह, प्रशासनिक सचिव, शिक्षा विभाग

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