Move to Jagran APP

जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की बैठक जारी, भावी राजनीतिक समीकरण को दिशा देगी यह बैठक

परिसीमन आयोग को मार्च 2022 से पहले अपना काम पूरा करना है। उम्मीद की जा रही है कि परिसीमन आयोग जनवरी में अपने अंतिम रिपोर्ट दे। आज की चर्चा के बाद आयोग अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देेने से पूर्व सार्वजनिक कर विभिन्न वर्गों से सुझाव भी मांग सकता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 20 Dec 2021 08:45 AM (IST)Updated: Mon, 20 Dec 2021 01:42 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की बैठक जारी, भावी राजनीतिक समीकरण को दिशा देगी यह बैठक
जनजातीय समूहों को उनकी आबादी के लिहाज से 10 सीटों पर आरक्षण लाभ मिल सकता है।

श्रीनगर, नवीन नवाज :  नई दिल्ली में परिसीमन आयोग की बैठक चल रही है। हालांकि, इस बैठक में जम्मू कश्मीर के परिसीमन का अंतिम फैसला नहीं होगा, लेकिन यह प्रदेश के भावी राजनीतिक समीकरणों का संकेत जरूर देगी। बैठक में शामिल होने के लिए डॉ फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी, डॉ जितेंद्र सिंह सहित नेकां व भाजपा के पांचों सांसद भाग ले रहे हैं। बैठक में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के प्रारूप पर चर्चा हो रही है। परिसीमन आयोग को मार्च 2022 से पहले अपना काम पूरा करना है। उम्मीद की जा रही है कि परिसीमन आयोग जनवरी में अपने अंतिम रिपोर्ट दे। आज की चर्चा के बाद आयोग अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देेने से पूर्व सार्वजनिक कर विभिन्न वर्गों से सुझाव भी मांग सकता है।

loksabha election banner

सिर्फ बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय की भावनाओं के शोषण पर सियासी दुकान चलाने वाले सियासी दलों से लेकर 70 साल से राजनीतिक रूप से खुद को उपेक्षित महसूस करने वाले कश्मीरी पंडित, सिख, गुलाम कश्मीर के नागरिक, जनजातीय समूह सभी इसके परिणाम को लेकर अपने कयास लगा रहे हैं।

परिसीमन आयोग ने 900 नागरिकों व राजनीतिक संगठनों से 280 ज्ञापनों, प्रदेश सरकार से जानकारी और 2011 की जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का संभावित प्रारूप तय किया है जिस पर चर्चा होगी। आयोग की दूसरी बैठक है। इसमें पहली बैठक के विपरीत सभी एसोसिएट सदस्य भाग ले रहे हैं। फरवरी में पहली बैठक में नेशनल कांफ्रेंस के तीनों सांसद बैठक नदारद रहे थे।

सूत्रों ने बताया कि जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले परिसीमन आयोग ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन को अंतिम रूप देने के लिए 1995 में हुए परिसीमन की रिपोर्ट भी तलब की थी, लेकिन उसे यह रिपोर्ट नहीं मिली। जम्मू कश्मीर ने कथित तौर पर कहा कि यह रिपोर्ट गुम हो चुकी है। आयोग ने विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक संगठनों के ज्ञापनों, मंचों पर जम्मू कश्मीर के संदर्भ में जानकारियों और प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध कराए विभिन्न जिलों और निर्वाचन क्षेत्रों के ब्योरे को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट का प्रारूप तैयार किया।

परिसीमन आयोग ने रिपोर्ट 2011 की जनगणना आधार पर तैयार की है। जम्मू कश्मीर में मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों में कई आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से बड़े हैं,जबकि कई बहुत छोटे। कई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र दो जिलों में फैले हैं। सभी विसंगतियों को मौजूदा आयोग को दूर करने का जिम्मा मिला हुआ है। उन्होंने बताया कि आयोग कश्मीरी पंडितों के लिए सिक्किम में बौद्ध लामाओं के लिए आरक्षित सीट की तरह एक फ्लोङ्क्षटग विधानसभा क्षेत्र तैयार कर सकता है। वह जनजातीय समूहों को उनकी आबादी के लिहाज से 10 सीटों पर आरक्षण लाभ मिल सकता है।

सीमावर्ती इलाकों में छितराई आबादी के लिए नया निर्वाचन क्षेत्र भी बनाया जा सकता है। गुलाम कश्मीर के नागरिक चाहते हैं कि गुलाम कश्मीर के कोटे की 24 में से कुछ सीटों को अनारक्षित कर उन पर उनके समुदाय के प्रतिनिधियों को चुना जाए। अलबत्ता, परिसीमन आयेाग ने स्पष्ट कर रखा है कि गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित सीटें उसके कार्याधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।

अंतिम बार परिसीमन प्रक्रिया 1995 में : जम्मू कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया को लगभग 26 साल बाद शुरूकिया है। अंतिम बार परिसीमन प्रक्रिया को 1995 में अपनाया था। यह परिसीमन जम्मू कश्मीर संविधान और जम्मू कश्मीर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत जस्टिस केके गुप्ता की अध्यक्षता में बनाए आयोग की सिफारिशों के अनुरूप हुआ था। पांच अगस्त 2019 से पहले के जम्मू कश्मीर राज्य की विधानसभा में 87 निर्वाचित, दो नामांकित सदस्यों के अलावा 24 सीटें गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित रहती थी। जम्मू कश्मीर में सिर्फ अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटें आरक्षित थी। कश्मीरी पंडितों, गुलाम कश्मीर के विस्थापितों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं थी।

जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडित और गुलाम कश्मीर के नागरिक अब केंद्र शासित प्रदेश में अपने लिए कुछ सीटों केा आरक्षित किए जाने की मांग कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर राज्य की 87 में से 46 सीट कश्मीर में और 37 जम्मू में और चार लद्दाख में थी। लद्दाख प्रदेश की चार सीटें समाप्त हो चुकी हैं और अब जम्मू कश्मीर में 83 विधानसभा सीटें हैं,जिन्हेंं बढ़ाकर 90 किया जाना है। परिसाीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जम्मू कश्मीर में कुछ114 सीटें होंगी और इनमें 24 गुलाम कश्मीर की होंगी। आयोग के एसोसिएट सदस्यों में नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के तीनों सांसद डा. फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन के अलावा भाजपा के दोनों सांसद जुगल किशोर शर्मा और डा. जितेंद्र सिंह शामिल है।

पहले उनके सुझाव लिए जाएंगे : संबंधित अधिकारियों ने बताया कि बैठक में आयोग सभी एसोसिएट सदस्यों को जम्मू कश्मीर में परिसीमन के प्रस्तावित प्रारूप से अवगत कराएगा। वह उनके सुझाव लेगा। उसके बाद संबंधित प्रारूप को सार्वजनिक किया जाएगा। इसके बाद उसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। अलबत्ता, एसोसिएट सदस्यों के पास कोई मतदान या हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं है। उनके विचारों को बोर्ड पर लिया जाता है। इसमें असहमतिपूर्ण राय भी शामिल है, जिन्हें परिसीमन की अधिसूचना में रिकार्ड में रखा जाता है। उनके सुझावों और आपत्तियों पर अमल के लिए आयोग बाध्य नहीं है।

  • परिसीमन आयोग की बैठक जम्मू कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाने के केंद्र सरकार के इरादों की पुष्टि करती है। बैठक में नेकां और भाजपा के पांचों सदस्य शामिल हो रहे हैं। परिसीमन आयोग प्रदेश में सभी वर्गाें के राजनीतिक हितों को सुनिश्चित बनाते हुए सभी को विधानसभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिलाने में समर्थ साबित होगा। यह प्रत्येक क्षेत्र के लिए नियमों के अनुरूप ही काम कर रहा है। -अशोक कौल, प्रदेश महासचिव, भाजपा
  • हम पांच अगस्त 2019 के फैसले के खिलाफ हैं। हमसे जो छीना गया है, हम उसे वापस लेने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से सभी प्रयास करेंगे। रही बात नेशनल कांफ्रेंस की तो वह इसमें भाग लेकर अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को सही साबित करेगी, इसका मतलब होगा कि वह केंद्र के साथ खड़ी है और सिर्फ लोगों को मूर्ख बनाने के लिए इसका विरोध करती है। अगर नेकां और उसके अध्यक्ष विशेष दर्जे की पुनर्बहाली के पक्ष में हैं तो उन्हें आयोग की किसी भी बैठक से दूर रहना चाहिए। -सज्जाद गनी लोन, चेयरमैन, पीपुल्स कांफ्रेंस
  • जम्मू कश्मीर में परिसीमन की मौजूदा प्रक्रिया के खिलाफ हैं। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का हम विरोध करते हैं। परिसीमन की यह प्रक्रिया सिर्फ भाजपा और उस जैसे दलों के एजेंडे को मजबूत बनाने, जम्मू कश्मीर की बहुसंख्यक आबादी को राजनीतिक रूप से कमजोर बनाने के लिए हो रही है। केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में लोगों केा आपस में लड़ाने की साजिश कर रही है, इससे बचा जाना चाहिए। -महबूबा मुफ्ती, अध्यक्ष, पीडीपी
  • जम्मू संभाग और और कश्मीर संभाग में विधानसभा की सीटें बराबर होनी चाहिए। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट पर लोगों की नजरें लगी है। उम्मीद है कि जम्मू संभाग के साथ पूरा इंसाफ होगा। -हर्षदेव सिंह, चेयरमैन, पैंथर्स पार्टी
  • परिसीमन आयोग को अपना ड्राफ्ट लोगों के बीच सार्वजनिक करना चाहिए। ड्राफ्ट पर चर्चा होनी चाहिए। कुछ पार्टियों से ही सांसद हैं जो बैठक में शामिल होने जा रहे हैं, इसीलिए अन्य राजनीतिक पार्टियों और समाज के विभिन्न वर्गों को चर्चा करने का मौका मिलना चाहिए। ड्राफ्ट के बाहर आने के बाद ही कांग्रेस इस पर टिप्पणी करेगी। - रविंदर शर्मा, मुख्य प्रवक्ता, प्रदेश कांग्रेस 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.