जम्मू-कश्मीर के कर्मचारियों के लिए एलटीसी की सुविधा पर मुहर
जम्मू-कश्मीर में प्रशासन परिसीमन शुरू करने के लिए इस महीने के अंत या फिर जनवरी में कमीशन गठित कर सकता है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। सरकार ने जम्मू कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों को लीव ट्रैवल कन्सेशसन (एलटीसी) की सुविधा देने को मंजूरी दे दी है। जम्मू कश्मीर में साढ़े तीन लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को एलटीसी का लाभ मिलेगा।
सामान्य प्रशासनिक विभाग (जीएडी) ने संबंधित नियमों को पहले जारी कर दिया है। अधिसूचना के अनुसार सरकारी कर्मचारी अपने परिवार के साथ भारत में कहीं भी चार साल में एक बार यात्र कर सकता है और दो साल के भीतर अपने गृह नगर में यात्र कर सकता है। यह नियम 31 अक्टूबर 2019 से प्रभावी माने जाएंगे। इन्हें जम्मू कश्मीर सिविल सर्विस लीव ट्रैवल कन्सेशसन नियम 2019 कहा जाएगा। इन नियमों के तहत सभी कर्मचारियों को अपने परिवार का ब्योरा संबधित कार्यालयों में जमा करवाना होगा। यात्र करने के लिए यात्र के भत्ते नियमों को सरकार समय समय पर अधिसूचित करती रहेगी।
यह रियायत कर्मचारियों को अवकाश के दिनों में उपलब्ध होगी जिसमें कैजुएल लीव भी शामिल होगी। एलटीसी का दावा यात्र समाप्त करने के तीन महीने के अंदर ही करना होगा। गौरतलब है कि इससे पहले भी सरकार कर्मियों को कई नए साल के तोहफे दे चुकी है। इसमें परिवहन भत्ते से लेकर बच्चों की शिक्षा का भत्ता भी शामिल है। जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद सरकारी कर्मियों के वेतन व अन्य भत्ते काफी बढ़ चुके हैं। वहीं केंद्र सरकार पेंशनरों के लिए पेंशन अदालत भी लगाएगी।
इसी माह गठित हो सकता है परिसीमन आयोग
जम्मू-कश्मीर में प्रशासन परिसीमन शुरू करने के लिए इस महीने के अंत या फिर जनवरी में कमीशन गठित कर सकता है। प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री अशोक कौल ने कहा कि विधानसभा चुनाव परिसीमन होने के बाद ही होंगे। इसमें अभी समय लग सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकता संशोधन बिल 2019 को संसद में मंजूरी मिलने के बाद इसे जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया जाएगा। यह कानून रोङ्क्षहग्याओं और बंग्लादेशियों के लिए लागू होगा। उन्होंने कहा कि इस कानून से पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजियों और गुलाम कश्मीर से आए रिफ्यूजियों के लिए लागू नहीं होगा। यह लोग वर्षो से जम्मू में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोङ्क्षहग्या जम्मू में ही नहीं बल्कि कश्मीर संभाग में भी हैं।