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Jammu: लोक संस्कृति से दुनिया को तनाव मुक्त कर रही जूही सिंह

रुही सिंह और जूही सिंह डोगरी के प्रसिद्ध गानों का तीन मिनट का एक गाना तैयार किया जिसे फेस बुक यू-ट्यूब पर इतना पसंद किया गया कि उन्हें कोरोना काल में ही कुछ कर दिखाने का रास्ता मिल गया।दोनों डोगरा लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का जिम्मा लिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 11:35 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 01:10 PM (IST)
Jammu: लोक संस्कृति से दुनिया को तनाव मुक्त कर रही जूही सिंह
राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने उनके गाए गीत कदूं जान तू कोरोनया को शेयर किया।

जम्मू, जागरण संवाददाता: छोटी सी उम्र में ही माता वैष्णो देवी के चरणों से संगीत के क्षेत्र में खास पहचान बनाने वाली जूही सिंह ने कोरोना काल में जब दुनिया सहमी हुई है। हर किसी को कोई न कोई डर सता रहा है। अगर कहें कि ऐसा माहौल बन गया है कि हर कोई तनावग्रस्त होता दिख रहा है, उस समय डोगरा लोक संगीत के माध्यम से दुनियां का मनोरंजन किया। डोगरा संस्कृति के संरक्षण का काम किया। उनका साथ उनके छोटे भाई रूही सिंह ने दिया। भाई बहन की जोड़ी ने डोगरा संगीत के साथ के उत्थान के साथ-साथ लोगों का मनोरंजन कर उन्हें तनाव मुक्त करने का काम भी किया।

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हालांकि कोरोना शुरू होते ही जूही सिंह, जो मुबंई से थियेटर में मास्टर्स कर रही थी, को डिग्री पूरी होने से करीब दो महीने पहले ही जम्मू आना पड़ा। जूही कहती है कि निराशा तो थी लेकिन पापा, जो स्वयं एक गायक हैं। लेकिन देखने में कुछ हद तक असक्षम हैं, ने प्रेरित किया कि हार मानना जीवन नहीं है।चलते रहोगे तो ही सफलता मिलेगी। रुही सिंह और जूही सिंह डोगरी के प्रसिद्ध गानों का तीन मिनट का एक गाना तैयार किया जिसे फेस बुक, यू-ट्यूब पर इतना पसंद किया गया कि उन्हें कोरोना काल में ही कुछ कर दिखाने का रास्ता मिल गया।दोनों डोगरा लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का जिम्मा लिया और डोगरी लोक संगीत को जन-जन तक पहुंचाने में जुट गए।

आज उनके गाए गीत लोगों का मनोरंजन तो कर ही रहे हैं। लोक संस्कृति को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। जूही कहती हैं कि ऐसे-ऐसे लोक गीत जिन्हें लोग भूल चुके थे। उन्हें गा कर यू- टयूब पर चढ़ाया। लोगों को कोरोना से लड़ने के लिए प्रेरित किया।प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने उनके गाए गीत कदूं जान तू कोरोनया को शेयर किया। उसके बाद कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी ने उनका गीत शेयर किया। इन गानों को उत्तर भारत या डोगरी बोलने वालों ने ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत और दूसरे कई राज्यों के लोगों ने पसंद किया। जिसने साबित कर दिया कि कला की अपनी भाषा होती है।

कला हमेशा जोड़ने का काम करती है मन को जीतने का काम करती है। जूही मानती है कि कोरोना काल में उन्होंने जो काम किया है। उससे डोगरी का मान बढ़ा है। आगे भी डोगरा लोक संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए इसी तरह जुटी रहेंगी। जूही की पहली फिल्म जहां में बाल कलाकार की भूमिका से कश्मीर की त्रास्दी को बयां किया था। वहीं वर्ष 2018 में उनकी फिल्म करीम मोहम्मद रिलीज हुई। जिसमें उन्होंने फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा की पत्नी की भूमिका निभाई।

जूही सिंह के पिता सूरज सिंह एक गायक हैं। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अपने पिता से ही प्राप्त की। उसके बाद करीब 14 वर्ष नटरंग के साथ जुड़ी रही। उसके बाद समूह थियेटर के साथ काम किया। उन्होंने कई बाल नाट्योत्सवों से लेकर राष्ट्रीय नाट्योत्सवों तक में जम्मू का गौरव बढ़ाया। खासकर नाटक बाबा जित्तो में बुआ गौरी की भूमिका में उनका एक विशेष पहचान मिली। कटड़ा में होने वाले अखिल भारतीय भेंट प्रतियोगिता में वर्ष 2004 में दूसरे स्थान पर रही।

वहीं जम्मू यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित डिस्प्ले योर टेलेंट प्रतियोगिता में उन्होंने संगीत, अभिनय में कई पुरस्कार जीते। इन दिनों मुंबई से थियेटर में मास्टर्स डिग्री कर रही हैं। कोरोना के इन दिनों में ही उनकी नियुक्ति एक एफएम में बतौर आरजे हो गई है, जो जल्द लांच होने वाला है। जूही कहती है कि वह जिस मंच पर भी जाएगी। जम्मू की लोक संस्कृति उसके साथ जाएगी। वह कहती हैं कि कला संस्कृति की सेवा इस समय समय की जरूरत है। 


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