Golden Heatlh Card J&K: जम्मू कश्मीर में गोल्डन कार्ड बनवाने में जम्मू जिला सबसे आगे
जम्मू कश्मीर में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना सेहत को लागू हुए ढाई महीने से अधिक का समय हो गया है। इसमें अभी तक 45 लाख से अधिक लोगों ने अपना पंजीकरण करवा लिया है। लेकिन गोल्डन कार्ड बनवाने में जम्मू जिले के लोग सबसे आगे हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । जम्मू कश्मीर में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना सेहत को लागू हुए ढाई महीने से अधिक का समय हो गया है। इसमें अभी तक 45 लाख से अधिक लोगों ने अपना पंजीकरण करवा लिया है। लेकिन गोल्डन कार्ड बनवाने में जम्मू जिले के लोग सबसे आगे हैं। इस मामले में श्रीनगर जिला पिछड़ा हुआ है। योजना के तहत हर परिवार को पांच लाख रुपयों तक की कैशलेस इलाज की सुविधा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अभी तक सेहत योजना के तहत 45 लाख लोगों का पंजीकरण हुआ है जबकि 37 लाख 60 हजार 585 लोगों को गोल्डन कार्ड जारी हो चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, गोल्डन कार्ड बनवाने में जम्मू जिला सबसे आगे हैं। इस जिले में 4,69,906 लोगों को गोल्डन कार्ड जारी हो चुके हैं। दूसरे स्थान पर कश्मीर संभाग का बारामुला जिला है। इस जिले में अभी तक 3,51,471 लोग अब तक कार्ड चुके हैं। दक्षिण कश्मीर का अनतंनाग जिला तीसरे नंबर पर है। इस जिले में अब तक 3,21,363 लोगों के गोल्डन कार्ड जारी हो चुके हैं।
जम्मू संभाग के कठुआ जिले में 2,40,795 गोल्डन कार्ड बने हैं जबकि बडगाम में 2,32,318, श्रीगर में 2,16,061 और ऊधमपुर जिले में 2,00,688 गोल्डन कार्ड बने हैं। सबसे कम दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में 85,357 गोल्डन कार्ड बने हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के वित्तीय आयुक्त अटल ढुल्लू ने सभी अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों को सेहत योजना का लाभ देने के निर्देश जारी किए हैं। इसके बाद ही कार्ड बनाने में तेजी आई है। कुछ दिनों से अब हर दिन पच्चीस से तीस हजार लोगों के कार्ड बनाए जा रहे हैं। एक लाख के करीब लोग ऐसे हैं जिनके कार्ड अभी बनने की कतार में हैं। जम्मू-कश्मीर ऐसा पहला प्रदेश है जहां पर सभी लोगों के गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं और हर परिवार को पांच लाख रुपयों तक के कैशलेस इलाज की सुविधा है।
नाम नहीं होने से आती है परेशानी
सेहत योजना के तहत हालांकि कुछ लोगों को कार्ड बनाने में परेशानी भी आ रही है। कई लोगों को पहले तो योजना के बारे में जानकारी नहीं है। जब वे अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आते हैं तो यहां पर उनसे कार्ड के बारे में पूछा जाता है। इसके बाद कार्ड बनानेे की प्रक्रिया अस्पताल से ही शुरू हो जाती है। वहीं कुछ मामलों में लोगों के नाम वर्ष 2011 की जनगणना में न होने के कारण भी कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी भी मानते हैं कि यह परेशानी है लेकिन उनका कहना है कि अपने क्षेत्र के तहसीलदार के माध्यम से नाम इस सूची में दर्ज करवा कर गोल्डन कार्ड हासिल कर सकते हैं।