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Jammu: कलाकारों के लिए काम नहीं तो अकादमी का क्या औचित्य, सुनने वाला कोई नहीं है

कोविड-19 के चलते कलाकारों को जिस वित्तीय संकट से गुजरना पड़ा है उस और किसी का ध्यान नहीं है। कलाकार शुरू से ही एक सांस्कृतिक नीति बनाने की मांग करते रहे हैं लेकिन शायद प्रशासन कोविड़ जैसी परेशानी आने का ही इंतजार कर रहा था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 09:47 AM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 09:50 AM (IST)
Jammu: कलाकारों के लिए काम नहीं तो अकादमी का क्या औचित्य, सुनने वाला कोई नहीं है
अकादमी कलाकारों को बुकिंग देने का आज तक कोई मापदंड नहीं बना पाई।

जम्मू, जागरण संवाददाता: कोरोना की आड़ में सांस्कृतिक गतिविधियों को ठप कर कलाकारों की समस्याओं का मूक दर्शक बने तमाशा देखने वाली जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी को ऑल आर्टिस्ट एसोसिएशन जम्मू ने आडे़ हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि अकादमी कलाकारों, साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के बजाए हत्तोत्साहित करने में जुटी हुई है। हर जगह सांस्कृतिक गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। स्कूल, कालेज खोल दिए गए हैं लेकिन अकादमी अपनी गतिविधियां नहीं करवा रही। शहर के सभी आडिटोरियम भी खोल दिए गए हैं लेेकिन अभिनव थियेटर और केएल सहगल हाल की बुकिंग तक नहीं की जा रही।

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ऑल आर्टिस्ट एसोसिएशन जम्मू के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह मंहास ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जम्मू संभाग के कलाकारों की सुनने वाला कोई नहीं है जबकि कश्मीर में नियमित कार्यक्रमो का आयोजन हो रहा है। जम्मू संभाग के अकादमी कार्यालय की पैसा खर्चने की सभी पावर्स को सेंट्रल आफिस के हाथों में सीमित कर दिया गया है। अकादमी की अंदरूनी लड़ाई का खामियाजा कलाकारों, साहित्यकारों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले एक वर्ष से अकादमी के कुछ चंद चहेते लोगों को छोड़ दूसरे किसी कलाकार को काेई काम नहीं मिला है। अकादमी का काम कला और कलाकारों, साहित्य, साहित्यकारों को प्रोत्साहित करना है लेकिन अब तो लगता है कि अकादमी मात्र शो पीस है। जिसका कला, साहित्य से कोई लेना देना नहीं है। उपराज्यपाल, जो कि अकादमी के अध्यक्ष हैं, को सोचना चाहिए कि जब कोई गतिविधि ही नहीं करवानी है तो अकादमी का क्या औचित्य है। जिन कार्यों के लिए अकादमी का गठन किया गया है, जब वही नहीं होंगी तो कर्मचारियों के वेतन पर मोटा खर्च करने का क्या औचित्य रह जाता है।

अकादमी कलाकारों को बुकिंग देने का आज तक कोई मापदंड नहीं बना पाई। कई कलाकारों को लगातार काम मिलता रहता है लेकिन कुछ को वर्षों कोई काम नहीं मिलता। खासकर लोक कलाकारों की उपेक्षा का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। जिसके चलते लोक कलाकार कला से मुंह मोड़ने लगे हैं। योग्य और ए ग्रेड कलाकारों को यह कह कर टाल दिया जाता है कि कोई बड़ा कार्यक्रम होगा तो उन्हें जरूर मौका मिलेगा लेकिन बडे़ कार्यक्रम करना अकादमी ने छोड़ ही दिए हैं। अगर कोई बड़ा कार्यक्रम कहीं होता भी है तो बाहर से बुलाए कलाकारों पर ही लाखों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। कलाकारों ने आरोप लगाया कि अकादमी में अराजकता का माहौल है।

एसोसिएशन के चेयरमैन वरिष्ठ कलाकार राकेश आनंद ने कहा कि संभागीय कार्यालय जम्मू के कहने पर कलाकारों ने जो काम किए हुए हैं, उनका वर्षो से भुगतान नहीं हो रहा।इस मामले को लेकर कलाकारों का एक प्रतिनिधि मंडल अकादमी सचिव से मिला भी था लेकिन आज तक उनके भुगतान को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि सचिव ने जल्द सभी पिछले भुगतान करवाने का आश्वासन दिया था। कलाकारों के प्रति सहानुभुत्ति तो सभी प्रकट करते हैं लेकिन कोविड़-19 के चलते उन्हें जिस वित्तीय संकट से गुजरना पड़ा है, उस और किसी का ध्यान नहीं है। कलाकार शुरू से ही एक सांस्कृतिक नीति बनाने की मांग करते रहे हैं लेकिन शायद प्रशासन कोविड़ जैसी परेशानी आने का ही इंतजार कर रहा था।

एसोसिएशन के वाइस चेयरमैन सतीश चंद्र ने बताया कि कुछ कलाकारों को कोविड-19 के चलते मामूली राहत राशि दी गई लेकिन इसका लाभ भी उन्हीं लोगों को मिला जिन्हें कोई वित्तीय परेशानी नहीं थी। इसमें भी भाई भतीजावाद प्रभावी रहा।

एसोसिएशन के महासचिव शशि गुप्ता ने कहा कि पिछले तीन वर्षो से अकादमी को स्थायी सचिव तक नहीं मिला है।कार्यकारी सचिव से ही काम चलाया जा रहा है। जल्द स्वतंत्र सक्षम अधिकारी नियुक्त किया जना चाहिए ताकि ठप पड़ी सांस्कृतिक गतिविधियां फिर से शुरू हो सकें। प्रेस कांफ्रेंस में एसोसिएशन के उपाध्यक्ष साहिल जसोत्रा, ​​उपाध्यक्ष अभिषेक भारती, संयुक्त सचिव दरबारी लाल, तिलक राज टगोत्रा ​​मुख्य सलाहकार, गारू राम, नीरज वर्मा, कुलदीप सप्रू आदि मौजूद थे। 


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