Jammu and Kashmir Reorganization Day: सूबे का समग्र विकास साबित होगा भू-स्वामित्व का कदम
Jammu and Kashmir Reorganization Day भरपूर प्राकृतिक संसाधन और तमाम संभावनाओं के बावजूद जम्मू कश्मीर आर्थिक विकास की राह पर तेजी से कदम नहीं बढ़ा पाया। भू स्वामित्व इसकी बड़ी वजह रही। अब तस्वीर बदलेगी। सूबे के समग्र विकास का यह कदम समग्र प्रयास साबित होगा।
प्रो जसबीर सिंह। Jammu and Kashmir Reorganization Day जम्मू कश्मीर में बदलाव का यह कदम अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा। रोजगार के अवसर बढ़ाएगा। दरअसल किसी भी प्रदेश में निवेश आकर्षति करने के लिए दो महत्वपूर्ण घटक हैं। जमीन और प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता। करीब 30 से 35 हजार करोड़ के प्रस्ताव सरकार के पास आ भी चुके थे पर उद्यमी जमीन को लेकर आशंकित थे।
खाद्य प्रसंस्करण, हस्तशिल्प, हथकरघा और बागवानी क्षेत्र में जम्मू में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। इसके अलावा पर्यटन जम्मू कश्मीर की आर्थिक का प्रमुख आधार है, बावजूद इसके यह क्षेत्र भी अधिक निवेश अर्जति नहीं कर पाया। रियल इस्टेट और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी जम्मू कश्मीर में पर्याप्त निवेश न आने के कारण यह क्षेत्र भी काफी पिछड़ गए। अब नई औद्योगिक और निवेश नीति जल्द घोषित होने वाली है, ऐसे में निवेश को आमंत्रित करने के लिए यह भू-सुधार लागू करने आवश्यक थे। सरकार ने निवेश के लिए 6000 एकड़ से अधिक जमीन औद्योगिक पार्क बनाने के लिए चयनित भी कर ली थी।
पूर्व जम्मू कश्मीर में उद्योगों के लिए लीज पर जमीन देने का प्रावधान तो था लेकिन नियम काफी जटिल थे। यही वजह है कि प्रदेश बड़े निवेश का इंतजार करता रहा। अब समय बदला है और जम्मू कश्मीर का सेब और केसर दुनिया भर में खुशबू बिखेरने को तैयार है। सऊदी अरब का समूह 2500 करोड़ से निवेश की तैयारी कर चुका है। कोल्ड स्टोर से लेकर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लगाने तक उसने तत्परता दिखाई है। यहां का सिल्क कई मायनों में चीन से काफी बेहतर है। बावजूद इसके रेशम उद्योग लगातार लड़खड़ाता चला गया। अब उन चेहरों पर फिर से उम्मीद की किरण दिखाई दी है। यही वजह है अधिकतर युवा सरकारी नौकरियों की तलाश में भटकते रहे। निजी क्षेत्र के आगे न बढ़ने और पाबंदियों का खामियाजा बेरोजगारी के रूप में जम्मू कश्मीर भुगतता रहा। लघु उद्योग नहीं पनपा, होटल उद्योग को बल नहीं मिला। जम्मू कश्मीर में खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा नहीं मिला। सेब और केसर के अलावा भद्रवाही राजमा और जम्मू व अनंतनाग का चावल अपनी खुशबू के कारण दुनिया में पहचान बनाने में सक्षम है। यहां आयुर्वेदिक औषधियों का अपार खजाना छिपा है और जिसे तलाशने का कभी प्रयास ही नहीं किया गया।
अब देश का कोई भी नागरिक जम्मू कश्मीर में आवास और व्यापार के लिए जमीन खरीद सकता है। निश्चित तौर पर अब निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता दूर हो गई है। औद्योगिक विकास निगम के गठन के साथ ही निवेश की गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी। उद्योगों के विकास के लिए जोन बनेंगे। कानून बदलते ही देश के जाने-माने औद्योगिक घराने जम्मू कश्मीर में निवेश को उत्सुक दिखाई दे रहे हैं। जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत पर्यटन पर टिकी है। एडवेंचर टूरिज्म की अपार संभावनाओं के बावजूद अभी भी पर्यटक हिमाचल और उत्तराखंड को पहली पसंद रखते हैं। पनबिजली और सौर ऊर्जा में निवेश संभावनाओं पर चर्चा तो बहुत हुई पर बात ज्यादा आगे नहीं बढ़ी। कश्मीर का हथकरघा और हस्तशिल्प दुनिया में अपनी पहचान को मजबूत बनाने में सक्षम है पर बेहतर तकनीक और बाजार की अनुपलब्धता के कारण कारीगर निराश हो रहे हैं।
सरकार ने किसी भी प्रकार की लूट को रोकने के लिए पर्याप्त प्रबंध किए हैं। जमीन यूं ही किसी को नहीं आवंटित होगी, बल्कि जम्मू कश्मीर में उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों को ही इंडस्टियल पार्क के जरिए जमीन दी जाएगी। कृषि भूमि किसानों के पास सुरक्षित रहेगी। उद्योगों के लिए अलग से जमीन की पहचान होगी ताकि बाहर से आने वाले उद्योगों को स्थापित करके विकास को बढ़ावा दिया सके।
[पूर्व अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू-कश्मीर]