Move to Jagran APP

Jammu And Kashmir: रणनीतिक क्षेत्रों में निर्माण की अनुमति पर सियासत, राज्य प्रशासन- लोगों को गुमराह न करें सियासी दल

राज्य प्रशासन ने साफ किया लोगों को गुमराह न करें सियासी दल- केवल सुरक्षा कारणों से सैन्य निर्माण को मंजूरी मिलेगी किसी की जमीन नहीं ली जाएगी

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 09:05 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 09:05 AM (IST)
Jammu And Kashmir: रणनीतिक क्षेत्रों में निर्माण की अनुमति पर सियासत, राज्य प्रशासन- लोगों को गुमराह न करें सियासी दल
Jammu And Kashmir: रणनीतिक क्षेत्रों में निर्माण की अनुमति पर सियासत, राज्य प्रशासन- लोगों को गुमराह न करें सियासी दल

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में सामरिक महत्व के क्षेत्रों में सैन्य निर्माण की अनुमति पर कश्मीरी दलों ने सियासत शुरू कर दी है। इस पर राज्य प्रशासन ने सियासी दलों पर आम लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। राज्य प्रशासन ने साफ किया है कि केवल सामरिक क्षेत्रों में सैन्य निर्माण के नियमतिकरण की राह आसान बनाई गई है पर कुछ लोग ऐसे अफवाह फैला रहे हैं जैसे पूरे जम्मू-कश्मीर को सैन्य क्षेत्र बनाने को मंजूरी दे दी गई हो।

loksabha election banner

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सामरिक क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की निर्माण गतिविधियों की मंजूरी में अड़चनों को दूर करने के राज्य प्रशासनिक परिषद ने भवन संचालन नियंत्रण अधिनियम, 1988 और जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम, 1970 को संशोधित किया था। इसके तहत रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में सेना की जरूरतों के अनुरूप भूमि के इस्तेमाल सुलभ हो जाएगा और इसे गति देने के लिए कैंटोनमेंट बोर्ड की तर्ज पर अथॉरिटी बनेगी।

इससे सशस्त्र बलों की ट्रेनिंग, ऑपरेशनल तैयारियों संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए रणनीतिक क्षेत्रों में निर्माण में आ रही जटिलताओं से राहत मिल सकेगी। सेना की परेशानियों के समाधान के इस फैसले के खिलाफ कश्मीर केंद्रित राजनीतिक दलों हवा बनानी आरंभ कर दी। नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी ने आरोप लगाया कि इससे लोगों की जमीन पर सेना, सुरक्षाबलों का कब्जा करना आसान हो जाएगा। यह जम्मू कश्मीर को सैन्य क्षेत्र बनाने की कोशिश है।

वहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस बयानबाजी को लोगों को गुमराह करने की कोशिश करार दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया कि इससे लोगों के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस फैसले से सशस्त्र बलों की आंतरिक सुरक्षा के लिए जरूरतों को पूरा करना संभव होगा। लिहाजा लोग राजनीतिक दलों के बहकावे में न आएं।

रविवार को सरकार के प्रवक्ता ने स्पष्ट इन दलों को कटघरे में लेते हुए कहा कि रणनीतिक क्षेत्रों में निर्माण को लेकर राजनीतिक दल भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। लोग सच्चाई को समझें। इस फैसले से न जमीन स्थानांतरित होगी और न ही भूमि का अधिग्रहण होगा। इन प्रक्रियाओं को पहले की तरह सरकार नियंत्रित करेगी व किसी जमीन को रणनीतिक क्षेत्र घोषित करने का आग्रह कोर कमांडर से नीचे का अधिकारी नहीं कर सकता।

प्रवक्ता ने कहा है कि फैसले से सशस्त्र सेनाओं की जरूरतों को पूरा कर आंतरिक सुरक्षा व विकास संबंधी मुद्दे हल किए जा सकेंगे। जम्मू कश्मीर में सशस्त्र सेनाएं देश की सीमाओं की रक्षा करने के साथ आतंकवाद का भी सामना कर रही हैं। ऐसे में उनके निर्माण संबंधी मुद्दे सामने आते रहते हैं। यह भी सुनिश्चित करना पड़ता है कि क्षेत्र की सुरक्षा के लिहाज से निर्माण के तय नियमों के आधार पर ही विकास हो।

क्या कहते हैं कश्मीर के दल -

इमरान नबी डार, प्रवक्ता, नेशनल कांफ्रेंस-

यह फैसला जम्मू कश्मीर की जमीनों पर सेना, सुरक्षाबलों के कब्जे की दिशा में एक कोशिश है। इससे लोगों की जमीन रातों-रात रणनीतिक क्षेत्र बन जाएगी और इन इलाकों में आर्थिक गतिविधियां ठप हो जाएंगी। - 

नईम अख्तर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी-

यह फैसला 370 खत्म करने के फैसले से भी अधिक डराने वाला है। इससे लोगों के हाथ में कुछ नहीं रह जाएगा। लगता है कि लोगों को दफनाने तक के लिए जमीन भी नहीं रह जाएगी।

- ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता, प्रवक्ता, भाजपा

इससे सुरक्षा बलों की ऑपरेशनल ट्रेनिंग संबंधी जरूरतें पूरी होंगी। अब रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेना के प्रोजेक्ट पर लाल फीताशाही हावी नहीं होगी। फील्ड फाय¨रग रेंज न होने के कारण जम्मू कश्मीर के सैनिकों को राजस्थान तक जाना पड़ता था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.