Jammu-Kashmir Delimitation: परिसीमन में होगी जम्मू-कश्मीर सांसदों की अहम भूमिका, बने आयोग के सदस्य
Jammu-Kashmir Delimitation अब जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटें होंगी और दो महिला विधायकों को नामांकन के जरिए विधानसभा में प्रवेश मिलेगा।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश बनने के बाद यहां पहले विधानसभा चुनाव कराने से पूर्व 90 विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जम्मू-कश्मीर सहित अन्य केंद्र शासित राज्यों के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित परिसीमन आयोग में एसोसिएट सदस्यों को नामांकित कर दिया है। जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई को सात मार्च को परिसीमन आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। भारत के चुनाव आयोग के आयुक्त सुशील चंद्र इसके सदस्य हैं। एसोशिएट सदस्यों में पीएमओ में मंत्री डाॅ जितेंद्र सिंह, श्रीनगर संसदीय क्षेत्र के सांसद व नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष डाॅ फारुक अब्दुल्ला भी शामिल हैं।
लोकसभा स्पीकर ने परिसीमन अधिनियम 2002 के अनुच्छेद-दो के तहत एसोसिएट सदस्यों को नामजद किया है। ये सदस्य केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में पहली विधानसभा के गठन के लिए चुनावी मार्ग तैयार करने के लिए विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करने में सहयोग करेंगे। लोकसभा स्पीकर ने केंद्र शासित जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और नागालैंड के लिए परिसीमन आयोग में एसोसिएट सदस्यों को नियुक्त किया है।
ये बने जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के एसोसिएट सदस्य: केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश के लिए परिसीमन आयोग में नामित किए गए एसोसिएट सदस्यों में पीएमओ में मंत्री डाॅ जितेंद्र सिंह, डाॅ फारूक अब्दुल्ला के अलावा बारामूला संसदीय क्षेत्र के सांसद माेहम्मद अकबर लोन, अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के सांसद जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी और जम्मू-पुंछ संसदीय सीट के सांसद जुगल किशोर शर्मा शामिल हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार भी आयोग में सदस्य रहेंगे। हालांकि, परिसीमन आयोग द्वारा रिपोर्ट दाखिल किए जाने की समय सीमा का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन बताया जाता है कि जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की नियुक्ति एक साल के लिए या फिर अगले आदेश तक हुई है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि आयोग अपना काम एक साल में पूरा करते हुए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश को आवंटित 90 विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को तय कर लेगा।
अब 90 सीटों के लिए होंगे चुनाव: परिसीमन आयोग केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के भाग पांच के प्रावधानों और परिसीमन अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत करेगा। पुनर्गठन अधिनियम के तहत जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख में पुनर्गठित हुआ है। जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित राज्य बनाया गया है। इसमें सात विधानसभा सीटों को बढ़ाया गया है। जम्मू-कश्मीर में 114 विधानसभा सीटों में से 24 गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित हैं जबकि 90 सीटों के लिए चुनाव होंगे। पुनर्गठन से पहले के जम्मू कश्मीर राज्य में 111 विधानसभा सीटें थी और उनमें 24 गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित रहती थी, जबकि 87 सीटों के लिए मतदान होता था। इनमें चार सीटें लद्दाख प्रांत की होती थी। लद्दाख के अलग केंद्र शासित राज्य बनने के बाद यह सीटें समाप्त हो गई। जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें रह गई।
दो महिला विधायकों का नामांकन के जरिए विधानसभा में होगा प्रवेश: अब जम्मू कश्मीर में 90 विधानसभा सीटें होंगी और दो महिला विधायकों को नामांकन के जरिए विधानसभा में प्रवेश मिलेगा। पुनर्गठन से पहले जम्मू कश्मीर में विधानसभा में जम्मू प्रांत की 37, कश्मीर प्रांत की 46 और लददाख प्रांत की चार सीटों पर मतदान होता था। जम्मू-कश्मीर में अंतिम बार परिसीमन 1994-95 के दौरान राष्ट्रपति शासन के दौरान ही हुआ था और उस समय विधानसभा सीटों की संख्या को 78 से बढ़ाकर 87 किया गया था। जम्मू प्रांत की सीटों को 32 से बढ़ाकर 37, कश्मीर प्रांत की सीटों को 42 से 46 और लद्दाख की सीटों को दो से बढ़ाकर चार किया गया था।
2002 में लगा दी गई थी परिसीमन पर रोक: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार ने भी वर्ष 2002 में जम्मू-कश्मीर परिसीमन का फैसला लिया था परंतु डाॅ फारूक अब्दुल्ला सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। परिसीमन की प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों की मानें तो मौजूदा प्रक्रिया के पूरा होने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा। परिसीमन आयोग को पूरा हक है कि वह नए विधानसभा क्षेत्रों के सृजन के समय मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों की स्थिति में आवश्यकतानुरूप बदलाव कर सकता है। नए विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए भी आरक्षित क्षेत्रों की संख्या बढ़ सकती है या फिर मौजूदा अरक्षित क्षेत्रों में बदलाव हाेगा। पुनर्गठन से पहले जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटें छंब, दाेमाना, आरएसपुरा, सांबा, हीरानगर, चिनैनी और रामबन आरक्षित थी। यह सभी सीटें जम्मू प्रांत में ही हैं।अलबता, अनुसूचित जनजातियों के लिए एक भी सीट आरक्षित नहीं थी। नए परिसीमन के दौरान उनके लिए भी सीटें आरक्षित होंगी। इसके साथ ही केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश में दो बार विधानसभा चुनावों के बाद आरक्षित सीटों का क्रम भी बदलेगा।