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जम्मू-कश्मीर में बदले राजनीतिक हालात में निकाय चुनाव टलने के आसार

जम्मू कश्मीर में निकाय चुनाव वर्ष 2010 में होने थे। लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों के चलते यह चुनाव लगातार स्थगित होते रहे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 12:38 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 07:50 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में बदले राजनीतिक हालात में निकाय चुनाव टलने के आसार
जम्मू-कश्मीर में बदले राजनीतिक हालात में निकाय चुनाव टलने के आसार

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में आठ साल से लंबित निकाय चुनाव एक बार फिर टलने के आसार हैं। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी इन चुनावों के बहिष्कार का एलान कर चुकी हैं जबकि कांग्रेस भी चुनावों में शामिल होने को लेकर अभी असमंजस की स्थिति में है। पूरी रियासत में कहीं भी जमीनी स्तर पर इन चुनावों को लेकर कोई उत्साह या कोई सियासी गतिविधि नजर नहीं आ रही है।

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संबधित सूत्रों ने बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने का अंतिम फैसला राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में होने वाली राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में ही लिया जाएगा। इस बैठक में इन चुनावों को गैर राजनीतिक आधार पर कराने के लिए सबंधित अधिनियम में संशोधन का भी प्रस्ताव मंजूर हो सकता है।

गौरतलब है कि राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव वर्ष 2010 में होने थे। लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों के चलते यह चुनाव लगातार स्थगित होते रहे। गत जुलाई माह के दौरान राज्य प्रशासन ने स्थानीय निकाय चुनाव कराने का एलान किया था।

यह चुनाव अगले माह पहली अक्‍टूबर से पांच अक्‍टूबर तक कराए जाने हैं। लेकिन राज्य के प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस ने करीब दस दिन पहले धारा 35ए के संरक्षण का मुददा उठाते हुए स्थानीय निकाय चुनावों के बहिष्कार का एलान कर दिया।

नेशनल कांफ्रेंस के इस दांव के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने भी राज्य के विशेष संवैधानिक दर्जे और पहचान का मुददा उठाते हुए कहा कि धारा 35ए के संरक्षण को केंद्र द्वारा यकीनी बनाए जाने के बाद ही वह चुनावों में हिस्‍सा लेंगी।

धारा 35ए के अलावा नेकां और पीडीपी ने कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य का भी हवाला दिया है और कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में चुनाव नहीं कराए जाने चाहिए।

नेकां और पीडीपी के चुनाव बहिष्कार एलान के बाद प्रदेश कांग्रेस का एक वर्ग भी इन चुनावों के बहिष्कार के पक्ष में हैं,लेकन उसने अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया और सिर्फ भाजपा व उससे ज़डे राजनीतिक संगठन ही चुनावों को लेकर पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं।

प्रशासन ने राजनीतिक दलों के चुनाव बहिष्कार के एलान को देखते हुए स्थानीय निकाय चुनाव गैैर राजनीतिक दल आधार पर कराने के विकल्प पर भी विचार करना शुरु कर दिया लेकिन प्रमुख राजनीतिक दलों के बहिष्कार के एलान के चलते सिर्फ घाटी में ही नहीं जम्मू संभाग में भी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए कोई हलचल नजर नहीं आ रही है।

इसके अलावा वादी में निर्दलीय आधार पर भी चुनाव लड़ने को लेकर लोगों में कोई उत्साह न होने का संज्ञान लेते हुए राज्य प्रशासन ने इन चुनावों को कुछ समय तक स्थगित करने कीे विकल्प प भी गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है।

संबधित सूत्रों ने बताया कि चुनाव स्थगित करने पर राज्य प्रशासन में गंभीरता से मंथन हो रहा है। इन चुनावों को अगले तीन माह के लिए टालने पर बात हो रही। लेकिन अंतिम फैसला राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में होने वाली प्रशासनिक परिषद की बैठक में ही लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अगर यह चुनाव गैर राजनीतिक आधार पर भी कराने का फैसला लिया जाता है तो भी यह चुनाव अक्‍टूबर के पहले सप्ताह में नहीं कराए जा सकेंगे,क्योंकि संबधित अधिनियम में संशोधन जरुरी है।

राज्यपाल समय पर चुनाव के पक्ष में

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नेकां और पीडीपी को कथित तौर पर चुनाव बहिष्कार के अपने फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह करते हुए कहा है कि राज्य के हालात को देखते हुए अभी धारा 35ए और धारा 370 पर किसी तरह का स्टैंड लेना उचित नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि इस मुददे पर राज्य में निर्वाचित सरकार ही कोई एक स्टैंड लेने में समर्थ है और जम्मू कश्मीर में इस समय निर्वाचित सरकार नहीं है। स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव जरुरी हैं,क्योंकि इन चुनावों के न होने के कारण राज्य को शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की मद में करीब चार हजार करोड़ की केंद्रीय निधि से वंचित होना पड़ेगा।  


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