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जम्मू : सरकार ने सुध नहीं ली तो खुद पुल बनाने में जुटे ग्रामीण, कई साल पहले टूट गया था अस्थायी पुल

भाजपा कांग्रेस व अन्य दलों के नेता पिछली बार चुनाव के समय नजर आए थे उसके बाद कोई नहीं दिखा। ऐसे में बरसात से पहले ग्रामीण पुल बना लेना चाहते हैं क्योंकि अब उन्हें समझ में आ गया है कि उनको कहीं से कोई मदद नहीं मिलने वाली है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 10:32 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 10:32 AM (IST)
जम्मू : सरकार ने सुध नहीं ली तो खुद पुल बनाने में जुटे ग्रामीण, कई साल पहले टूट गया था अस्थायी पुल
सामान खरीदकर वे ऐक नाले पर एक अस्थाई पुल का निर्माण कर रहे हैं।

बिश्नाह, सतीश शर्मा : सीमावर्ती कस्बे अरनिया को 15 गांवों से जोड़ने वाले ऐक नाले पर बना अस्थायी कई साल पहले टूट गया था। यह पुल क्षेत्र के दर्जनों गांवों को आपस में जोड़ता था। इसके लिए ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से फरियाद की, लेकिन हर तरफ से हारकर अब उन्होंने खुद ही अस्थायी पुल बनाने का फैसला किया है। उन्होंने आपस में चंदा जुटाकर पुल बनाने का काम भी शुरू कर दिया है।

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पुल बनाने में जुटे ग्रामीण जनकराज ने कहा कि पिछले कई वर्ष से वे प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से ऐक नाले पर पुल बनाने की मांग करते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुना। नेता सिर्फ चुनाव के समय आते हैं। भाजपा, कांग्रेस व अन्य दलों के नेता पिछली बार चुनाव के समय नजर आए थे, उसके बाद कोई नहीं दिखा। ऐसे में बरसात से पहले ग्रामीण पुल बना लेना चाहते हैं, क्योंकि अब उन्हें समझ में आ गया है कि उनको कहीं से कोई मदद नहीं मिलने वाली है।

उन्होंने कहा कि यह पुल टूटने से दर्जनों गांव के ग्रामीणों को अरनिया जाने के लिए पांच किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ता है। इस पुल के निर्माण से आधे किलोमीटर की दूरी तय कर लोग आसानी से अरनिया पहुंच सकेंगे। जनकराज ने बताया कि उन्होंने पुल बनाने के लिए हर घर से दो हजार-पांच हजार रुपये चंदा इकट्ठा किया है। इससे सामान खरीदकर वे ऐक नाले पर एक अस्थाई पुल का निर्माण कर रहे हैं।

जनता की नजर में अपना सम्मान खो चुकी सरकार : पुल बनाने में जुटे एक अन्य ग्रामीण तरसेम लाल ने बताया कि इस पुल के बनने से शेर चक, तलाड़, सई जैसे दर्जनों गांव जुड़ जाएंगे। गांव के लोगों को दूध बेचने के लिए अरनिया जाने में आसानी होगी। अरनिया से ही इन गांवों के लोग जरूरी सामान की खरीदारी करते हैं। पुल टूटने से इन गांवों के हजारों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। पुल का काम शुरू होने पर ङ्क्षरकू अरोड़ा ने कहा कि जो काम सरकार का है, उसे जनता को अपने हाथ में लेना पड़ रहा है। इससे साफ है कि सरकार जनता की नजर में अपना सम्मान खो चुकी है। ग्रामीणों का कहना था कि भाजपा ने बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं दिखता है। उन्होंने कहा कि अभी भी देर नहीं हुई है। सरकार को यदि अपना सम्मान बचाना है और उसमें कुछ शर्म बची हुई है तो बिना विलंब किए ऐक नाले पर पक्का पुल बनाना चाहिए।  


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