Move to Jagran APP

समुद्र से आसमान तक दुश्मन पर कहर बरपाएगी जेकलाई, जानिए- क्या है खासियत

दोनों के बीच संबद्धता का मूल मंत्र कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम साथ चलेंगे, साथ मिलकर राष्ट्र की रक्षा करेंगे है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 10:12 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 07:16 AM (IST)
समुद्र से आसमान तक दुश्मन पर कहर बरपाएगी जेकलाई, जानिए- क्या है खासियत
समुद्र से आसमान तक दुश्मन पर कहर बरपाएगी जेकलाई, जानिए- क्या है खासियत

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। पाकिस्तानी कबाइलियों को मार भगाने के लिए कश्मीरियों द्वारा स्वेच्छा से गठित मलेशिया फौज, जो जम्मू कश्मीर लाइट इनफेंट्री (जेकलाई) बन चुकी है, अब कश्मीर के पहाड़ों से पार समुद्र की लहरों और आसमान में दुश्मन पर कहर बरपाती नजर आएगी।

loksabha election banner

वह नौसेना और वायुसेना के साथ मिलकर युद्धक कार्रवाई करने से लेकर राहत अभियान भी संचालित करेगी। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सोमवार को जेकलाई के रेजिमेंटल सेंटर, भारतीय नौसेना के युद्धपोत कोच्चि और वायुसेना की 51 स्क्वाड्रन के बीच एक संबद्धता समारोह में सहमति बनी है।

आइएनएस कोच्चि पूरी तरह स्वदेशी युद्धपोत है और जेकलाई अग्रेजों के समय की रेजिमेंट नहीं बल्कि आजाद भारत में बनी फौजी यूनिट है। दोनों के बीच संबद्धता का मूल मंत्र कश्मीर से कन्याकुमारी तक 'हम साथ चलेंगे, साथ मिलकर राष्ट्र की रक्षा करेंगे' है। संबद्धता समारोह में नौसेना के वाइस एडमिरल फ्लैग आफिसर कमांडिंग इन चीफ वेस्टर्न नेवल कमांड गिरीश लुथरा, सीआइएससी व जेकलाई रेजिमेंट के कर्नल लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ, सेना की 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके बट, रियर एडमिरल एमए हैमपिहोली, एयर वाइस मार्शल संजय निमेश और सेना वायुसेना व नौसेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

यह एतिहासिक दिन: गिरीश लुथरा

नौसेना के वाइस एडमिरल गिरीश लुथरा ने जेकलाई के साथ संबद्धता का जिक्र करते हुए कहा कि आज एक एतिहासिक दिन है। आज नौसेना और वायुसेना के साथ जेकलाई के बीच संबद्धता हुई है। जेकलाई को नौसेना के युद्धक पोत आइएनएस कोच्चि के साथ जोड़ा गया है। यह पहला अवसर है जब हमने नौसेना के किसी प्रतिष्ठान या पोत से बाहर नौसेना की किसी यूनिट को थलसेना की किसी रेजिमेंट के साथ संबद्ध किया है।

बढ़ेगा ऑपरेशनल समन्वय

गिरीश लुथरा ने बताया कि जेकलाई के जवान अब हमारे युद्धपोत पर आकर हमारी ऑपरेशनल गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे। हमारी कार्यप्रणाली को समझेंगे। इसी तरह हमारे नौसेनिक भी जेकलाई के साथ ट्रे¨नग के लिए यहां आएंगे या जहां जेकलाई को उनकी जरूरत होगी, उसी आधार पर वह अपनी सेवाएं देंगे। इससे दोनों के बीच ऑपरेशनल समन्वय बढ़ेगा, जो न सिर्फ दुश्मन के खिलाफ युद्धक गतिविधियों में बल्कि प्राकृतिक आपदाओं में मिलकर राहत अभियान चलाने में भी सहायक होगा।

दुआ बोले-जेकलाई की युद्धक क्षमता में सुधार होगा

जेकलाई के कर्नल लेफ्टिनेंट जनरल एसके दुआ ने कहा कि थल सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही इस महान राष्ट्र की हिफाजत के लिए हैं। इन तीनों को मिलाकर ही भारतीय सेना बनती है। उन्होंने कहा कि वायुसेना के साथ भी हमारी संबद्धता है। अब नौसेना के साथ हुई है। इससे पहले आइएनएस गंगा के साथ जेकलाई की संबद्धता थी। आइएनएस गंगा को उसका सेवाकाल पूरा होने के बाद इसी साल रिटायर करते हुए बंदरगाह पर लगा गया था। उन्होंने कहा कि आइएनएस कोच्चि के साथ संबद्धता के साथ जेकलाई की युद्धक क्षमता में और बेहतरी आएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.