Jammu Kashmir: स्वास्थ्य सुविधाओं में कश्मीर के आगे कहीं नहीं टिकता जम्मू, यहां हर दिन दम तोड़ रहे मरीज
अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो जम्मू संभाग में डोडा राजौरी और कठुआ में मेडिकल कालेज बनने से पहले मरीजों के लिए इलाज का एकमात्र विकल्प राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू ही था। अभी भी इन जिलों के अधिकांश मरीज इसी मेडिकल कालेज में आते हैं।
जम्मू, रोहित जंडियाल: कोराेना संक्रमण के कारण जम्मू में लगातार हो रही माैतों से एक बार फिर से राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू कठघरे में है। यहां हर दिन औसतन पंद्रह मरीजों की मौत हो रही है। मरीज सुविधाएं कम होने की शिकायतें कर रहे हैं। लेकिन जम्मू स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हमेशा ही कश्मीर के मुकाबले पिछड़ा हुआ है। कश्मीर के दूरदर्शी नेताओं ने वषों पहले ही श्रीनगर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की तर्ज पर सुविधाएं बना ली थी। लेकिन जम्मू की किसी ने सुध नहीं ली और यहां पर मरीज सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ते रहे।
अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो जम्मू संभाग में डोडा, राजौरी और कठुआ में मेडिकल कालेज बनने से पहले मरीजों के लिए इलाज का एकमात्र विकल्प राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू ही था। अभी भी इन जिलों के अधिकांश मरीज इसी मेडिकल कालेज में आते हैं। जम्मू संभाग की साठ लाख के करीब जनसंख्या पूरी तरह से इसी मेडिकल कालेज पर निर्भर है। जिला और उप जिला अस्पतालों में स्टाफ और सुविधाओं की कमी को पूरा करने में हर कोई विफल रहा है।
श्रीनगर में मेडिकल कालेज के साथ कुल दस अस्पताल हैं। लेकिन जम्मू में पांच ही अस्पताल हैं। श्रीनगर में इन आठ अस्पताल के अलवा एम्स दिल्ली की तर्ज पर बनाया गया शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल सांइसेस सौरा भी है। इसका एक कालेज बेमिना में भी चलता है। लेकिन जम्मू में इस तरह का कोई भी संस्थान नहीं है। अभी जम्मू के विजयपुर में एम्स जरूर बन रहा है। लेकिन इसी तरह का एम्स कश्मीर के अवंतीपोरा में भी बन रहा है।
श्रीनगर में कई वर्ष पहले बच्चों के इलाज के लिए अलग से जीबी पंत अस्पताल बना था। जम्मू में अभी भी इस तरह का कोई अस्पतान न तो बना है और न ही कोई प्रस्ताव है। श्रीनगर में बोन एंड ज्वाइंट अस्पताल है। जम्मू में यह अस्पताल निर्माणाधीन है लेकिन यह कब बन कर पूरा होगा, इस बारे में कुछ भी नहीं
वहीं अगर बात फैकल्टी की करें तो जीएमसी जम्मू में कुल 387 पद हैं और उनमें से 87 के करीब खाली पड़े हुए हैं। श्रीनगर मेडिकल कालेज में भी चार सौ के आसपास ही फैकल्टी सदस्य हैं लेकिन इनमें से अधिकांश पदों पर नियुक्तियां हुई है। श्रीनगर जीएमसी से मिली जानकारी के अनुसार पंद्रह से बीस पद ही खाली पड़े हुए हैं। इसी तरह पैरामेडिकल स्टाफ में भी जीएमसी जम्मू में साढ़े तीन सौ के करीब पद खाली पड़े हुए हैं। हालांकि अभी कांट्रेक्ट आधार पर नियुक्तियां जरूर की जा रही हैं।
यही नहीं कोरोना के बहुत से मरीजों को लेवल एक के अस्पतालों की जरूरत पड़ रही है। इन अस्पतालों में बिस्तर न होने के कारण भी मरीजों की जान जा रही है। जम्मू में राजकीय मेडिकल कालेज के अधीन आने वाले अस्पताला में आइसीयू के मात्र 122 ही बिस्तर हें जबकि श्रीनगर मेडिकल कालेज के अधीन आने वाले अस्पतालों में इनकी संख्या तीन सौ के करीब है। राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू के एक वरिष्ठ डाक्टर के अनुसार जम्मू के जीएमसी में इको मशीन तक नहीं है। वह भी महीनों से खराब पड़ी हुई है। यहां पर एचआर सिटी स्कैन करवाना भी बहुत मुश्किल है। जबकि श्रीनगर के अस्पतालों में यह आम स्थिति है।
कोरोना के मरीजों की जांच में चेस्ट डिजिज के डाक्टरों की अहम भूमिका है। जम्मू के सीडी अस्पताल में मात्र तीन ही स्थायी डाक्टर हैं। एक को कांट्रेक्ट पर नियुक्त किया गया है जबकि सीडी अस्पताल श्रीनगर में दस से अधिक डाक्टर हैं। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि जम्मू स्वास्थ्य सेवाओं में कितना पिछड़ा हुआ है।
श्रीनगर में 1980 से 90 के दशक में जब शेर-ए-कश्मीर इंस्टीटयूट आफ मेडिकल सांइसेस बना था तो उस समय डाक्टरों को उच्च शिक्षा के लिए पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स दिल्ली में भेजा गया था। उन डाक्टरों ने उस समय स्किम्स में वे सेवाएं देना शुरू की थी जो कि आज भी जम्मू में उपलब्ध नहीं है। स्किम्स पूरे जम्मू-कश्मीर में इकलौता ऐसा संस्थान है जिसमें किडनी ट्रांसप्लांट होती है। जम्मू में यह काम अभी भी कागजों तक ही सिमटा हुआ है।
उपकरणों में भी कहीं नहीं ठहरता जम्मू: श्रीनगर के जीबी पंत अस्पताल में करीब 60 से अध्रािक वेंटीलेटर हैं। कश्मीर नर्सिंग होम में सात वेंटीलेटर हैं। एलडी अस्पताल में 30 वेंटीलेटर हैं। जेएलएनएम अस्पताल में नौ वेंटीलेटर हैं। स्किम्स सौरा में सौ से अधिक वेंटीलेटर हैं। वहीं जीएमसी जम्मू और सहायक अस्पतालों में 157 के करीब वेंटीलेटर हें और वे भी सभी काम नहीं कर रहे हैं। जिला अस्पताल तो कहीं भी नहीं ठहरते। जिला अस्पताल अनतंनाग में 1600 उपकरण है जबकि जिला अस्पताल सांबा में 863 उपकरण हैं। इसी तरह जिला अस्पताल बारामुला ममें 2350, बडगाम में 2350 और श्रीनगर में 1800 उपकरण हैं। लेकिन जम्मू में कठुआ में 1413 ही उपकरण हैं। जम्मू जिले में जरूर 2773 उपकरण हैं।
जम्मू की ओर ध्यान नहीं दिया: जम्मू के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डा. बीएस पठानिया का कहना है कि जम्मू में इच्छाशक्ति का अभाव था। यहां पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। कश्मीर में कई मंत्री, विधायक अपने फंड से अस्पतालों में सुविधाएं तैयार करते थे लेकिन जम्मू में ऐसा बहुत कम हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर में स्वास्थ्य कर्मियों में कामकरने का जज्बा भी जम्मू से अधिक है। डा. पठानिया का कहना है कि कश्मीर के साथ जम्मू की तुलना नहीं की जा सकती। जम्मू में सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास नहीं हुआ।
जम्मू के अस्पताल
चिकित्सा शिक्षा विभाग
- राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू
- श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल
- चेस्ट डिजिजेस अस्पताल
- सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
- मनोरोग अस्पताल
- स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले प्रमुख अस्पताल
- गांधीनगर अस्पताल
- सरवाल अस्पताल
श्रीनगर के प्रमुख अस्पताल
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन आने वाले अस्पताल
- राजकीय मेडिकल कालेज
- श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल
- जीबी पंत अस्पताल
- ललदद अस्पताल
- बोन एंड ज्वाइंट अस्पताल
- मनोरोग अस्पताल
- सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
- चेस्ट डिजिजेस अस्पताल
- कश्मीर नर्सिंग होम
- सनतनगर मैट्रनिटी अस्पताल
- शेर-ए-कश्मीर इंस्टीटयूट आफ मेडिकल सांइसेस सौरा
- शेर-ए-कश्मीर इंस्अीटयूट आफ मेडिकल सांइसेस बेमिना
- स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले अस्पताल
- जेएलएनएम अस्पताल रैनावाड़ी
- गौसिया अस्पताल श्रीनगर