Militancy in Jammu Kashmir: आंतकियों की ट्रेनिंग से लेकर लाॅचिंग में लाइफ लाइन से कम नहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा व हाईवे
सुरंगों का पता न लग पाने में बीएसएफ जवाबदेह बीएसएफ के जवानों को सेस्मिक डिटेक्टर तक मुहैया करवाए गए हैं फिर भी सुरंगों का पता न लग पाने में बीएसएफ जवाबदेह है।बार्डर पर चौकसी बढ़ानी होगी। यहां तक संभव हो बार्डर डिफेंस वॉलेंटियर फोर्स का गठन होना चाहिए।
जम्मू, अवधेश चौहान: जम्मू-कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर अखनूर तक 208 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा और उसके समानांतर चलता जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पाकिस्तान के लिए आतंकियों की ट्रेनिंग से लेकर उनकी लॉचिंग में लाइफ लाइन से कम साबित नहीं हो रहा है। आतंकवादियों की भर्ती से लेकर ट्रेनिंग अंतरराष्ट्रीय सीमा पार चल रही है। बाद में उन्हें हाईवे से उन्हें कश्मीर घाटी या फिर अन्य सैन्य शिविरों में हमले के लिए भेजा जा रहा है।
अतंरराष्ट्रीय सीमा से गुजर कर कुछ ऐसे नदी नालें हैं, जो अपने साथ बरसात के दिनों में कंटीली तारें भी बहा ले जाते हैं।सबसे संवेदनशील बरसाती नाला बसंतर है, जो सांबा सेक्टर के रामगढ़ से होकर गुजरता है, उसके बाद रामगढ़ के चमलियाल से होकर पाकिस्तान जाने वाला धमाल और अरनिया सब सेक्टर में बहने वाला एेक नाला भी पाकिस्तान जाता है। हीरानगर सेक्टर में बोबिया नाला, घग्वाल का बब्बर नाला, सांबा सेक्टर में देइ नाला भी पाकिस्तान में जाते हैं। इन नालों में कंटीली तारें जरा भी इधर से उधर हुई तो आतंकी इसका पूरा फायदा उठाते है।
आइएसआइ की मदद से खोदी जाती है सीमा पर सुरंग: पहले आतंकी तारे काट कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करते थे, तो पकड़े जाते थे, लेकिन अब आइएसआइ उन्हें घसुपैठ के लिए सुरंग आदि खोद कर दे रही है, जिससे उनके भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ का पता नहीं चल पाता। पता चलता भी है तो तब तक आतंकी या तो हमला कर चुके होते हैं, या फिर पकड़े जाने पर मार गिरा दिए जाते है। पुलिस महानिदेेेेश्क दिलबाग सिंह ने भी अंतरर्राष्ट्रीय सीमा पर आतंकियों की ट्रेनिंग और और उनकी हाइवे से लॉचिंग पर पाकिस्तान को दोषी ठहराया था।
सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा करने की जरूरत: बार्डर पर सुंरगों का पता न लग पाने पर भाजपा प्रवक्ता ने चिंता जताई। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता एवं रक्षा विशलेषक सेवानिवृत बिग्रेडियर अनिल गुप्ता ने भी अंतरराष्ट्रीय सीमा से निरंतर हो रही घुसपैठ पर नियंत्रण न लगा पाने पर बीएसएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस की कारगुजारी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह पांचवीं बार है कि आतंकवादियों की टनल उनके घुसपैठ के बाद मिली है। गुप्ता का कहना है कि भारत सरकार घुसपैठ पर नियंत्रण के लिए व्यापक एकीकृत बार्डर प्रबंधन व्यवस्था के तहत करोड़ों रुपये खर्चती है, लेकिन फिर भी घुसपैठ का रूक न पाना चिंता का विषय है।
सुरंगों का पता न लग पाने में बीएसएफ जवाबदेह: बीएसएफ के जवानों को सेस्मिक डिटेक्टर तक मुहैया करवाए गए हैं, फिर भी सुरंगों का पता न लग पाने में बीएसएफ जवाबदेह है।गुप्ता ने कहा कि बार्डर पर चौकसी बढ़ानी होगी। यहां तक संभव हो बार्डर डिफेंस वॉलेंटियर फोर्स का गठन होना चाहिए। जिसमें सेवानिवृत जवानों की भर्ती की जाए।इाइवे पर ट्रकों की जांच के लिए टोल प्लाजाओं पर फुल बॉडी स्कैनरों की जरूरत है।जिससे आतंकियों को ट्रकों में छुपा कर ले जाने की प्रथा पर रोक लग सके।