मंडी में दो रुपये किलो गोभी बेचने के बजाय खेत में चलवा दिया हल
इस समय जो गोभी मंडी में दो रुपये में किसान बेच रहा है वही शहर की सभी सब्जी की दुकानों में 10 रुपये किलो मिल जा रही है। इससे किसानों के लिए गोभी की खेती करने में बिजाई निराई का खर्च तक निकालना असंभव हो गया है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : पिछले साल किसानों को मालामाल करने वाली फूल गोभी इस बार किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। हालत यह है कि इस बार नरवाल सब्जी में फूल गोभी दो रुपये किलो बिक रही है, जिससे किसानों के लिए उसकी खेती करने में आई लागत को निकालना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में जम्मू जिले के आरएसपुरा, अरनिया आदि इलाकों में कुछ किसानों ने फूल गोभी के खेत की जुताई करवा दी है, ताकि उसमें नई फसल की खेती कर सकें।
जानकारी के मुताबिक, इस समय जो गोभी मंडी में दो रुपये में किसान बेच रहा है, वही शहर की सभी सब्जी की दुकानों में 10 रुपये किलो आसानी से मिल जा रही है। इससे किसानों के लिए गोभी की खेती करने में बिजाई, निराई, गोड़ाई में दी गई मजदूरी के अलावा सिंचाई व खाद का खर्च तक निकालना असंभव हो गया है। यदि वह अपनी गोभी की फसल को मंडी में बेचने लाता है, तो उसे ट्रांसपोर्टेशन पर अलग से व्यय करना होता है। ऐसे में जिस गोभी ने पिछले साल किसानों को मालामाल किया था, वही अब उसके लिए घाटे का सौदा बन गई है। यही हाल बंद गोभी, गांठ गोभी और मूली उत्पादक किसानों का भी है। इस समय बंद गोभी, गांठ गोभी और मूली भी मंडी में थोक में 2-3 रुपये किलो खरीद हो रही है। वहीं, दूसरी तरफ बाजार में इन दिनों सब्जियां सस्ते में उपलब्ध होने से ग्राहक खुश हैं।
ज्यादा उत्पादन से गिरे दाम
इस बार कोरोना महामारी के दौर में किसानों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई थी। ऐसे में अनलॉक होने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि पिछले साल की तरह इस बार भी गोभी उनको मोटा मुनाफा दिलाएगी। इसके लिए जम्मू जिले में बड़ी संख्या में खासकर सीमावर्ती इलाकों में गोभी की खेती की। इसकी वजह से मंडी में गोभी की ज्यादा पैदावार बिक्री के लिए आई, जिससे उसके दाम पर नकारात्मक असर पड़ा। उत्पादन ज्यादा होने से उसके दाम गिर गए। हालत यह है कि मंडी में किसानों को गोभी मुश्किल से दो रुपये किलो मूल्य ही दिला रही है, जबकि पिछले साल उसे मंडी में दस रुपये से ज्यादा दाम मिले थे। गोभी के दाम गिरने से कई किसानों ने गोभी के खेत में हल चलवा दिया है।
मंडी तक फसल ले जाने में 800 रुपये तो आटो वाला ही ले लेता है
अरनिया के किसान अश्वनी कुमार ने पिछले साल की तरह इस बार भी मोटा मुनाफा पानी की उम्मीद में 25 कनाल में फूल गोभी की खेती की थी। अब वे पछता रहे हैं, क्योंकि उन्हें मंडी में इसे दो रुपये किलो में बेचना पड़ रहा है। इसी तरह किसान तरसेम लाल ने बताया कि उनके लिए भी गोभी की खेती करने में आई लागत को निकालना भी मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि एक आटो में 10 क्विंटल गोभी दो हजार रुपये ही दिला रही है, जिसमें से 800 रुपये तो मंडी तक जाने में आटो वाला ही ले लेता है। वहीं, पैङ्क्षकग, लोडिंग के लिए मजदूरी अलग से देनी होती है। इसमें यदि गोभी की खेती की अन्य लागत जोड़ दी जाए तो यह किसानों के लिए घाटा देने वाला है।
किसानों ने गोभी की खेती में एक-दूसरे की देखा देखी की। पिछले बार इसके अच्छे दाम मिले थे, तो इस बार भी उसी लोभ में सभी ने गोभी की खेती की। इससे इसका उत्पादन ज्यादा हो गया और मंडी में माल बहुतायत में पहुंचने लगा। इसी से ही सारी परेशानी बनी है। किसानों को समझदार बनना पड़ेगा और खेती शुरू करने से पहले मार्केट के ट्रेंड का अध्ययन करना पड़ेगा। नहीं तो खेती फायदे में बदल नहीं पाएगी।
-बसंत सिंह , उन्नत किसान
बाजार में सब्जी के दाम (रुपये में)
- आलू 17-20
- मटर 30
- गोभी 10
- बंद गोभी 20
- फलियां 30
- पालक 10
- कड़म 10
- शलगम 10
- मूली 10
- बैंगन 20