जम्मू कश्मीर : एलओसी पर घुटनों तक जमी बर्फ में भारतीय सेना के जवानों का हौसला हिमालय से भी ऊंचा
अधिकारियों का कहना है कि एलओसी पर गश्त करना लांचिंग पैड और वहां बैठे आतंकियों की हलचल पर नजर स्नाइपर्स और पाकिस्तान की बैट को जवाब देने के लिए सतर्कता और तारबंदी की जांच करना जवानों का दैनिक कार्य है।
राजौरी, गगन कोहली : पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बर्फ से लदी पहाड़ी चोटियों पर गश्त करते भारतीय सेना के जवानों का हौसला हिमालय से भी ऊंचा है। कड़ाके की ठंड में घुटनों से ऊपर तक जमी बर्फ में भी जवान बिना डिगे सीमा पार दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखे हैं। आतंकियों के मंसूबों को पलक झपकते ही नाकाम करने की काबिलीयत है भारतीय सेना के जवानों के पास।
समुद्र तल से सात हजार फीट की ऊंचाई पर पुंछ में एलओसी पर गश्त कर रहे जवान बताते हैं कि जम्मू कश्मीर में घुसपैठ करने के लिए आतंकी सीमा पार लांङ्क्षचग पैड पर बैठकर हर पल मौका ताकते रहते हैं। इनके मंसूबे नाकाम करने के लिए हम लोग भारी बर्फबारी में भी गश्त कर रहे हैं। बर्फ हो या फिर कड़ाके की ठंड, हर जवान हरपल चौकस है। सभी का मनोबल ऊंचा है। जवान किसी भी हालात से डरते नहीं, बल्कि मुकाबला करते है।
दुश्मन पर नजर और खुद की सुरक्षा भी: अधिकारियों का कहना है कि एलओसी पर गश्त करना, लांचिंग पैड और वहां बैठे आतंकियों की हलचल पर नजर, स्नाइपर्स और पाकिस्तान की बैट को जवाब देने के लिए सतर्कता और तारबंदी की जांच करना जवानों का दैनिक कार्य है। भारतीय सेना को बदलते मौसम की स्थिति में दुश्मन से लडऩे के साथ-साथ अपनी सुरक्षा खुद भी करनी पड़ती है।
दुर्गम हालात, पर कोई फर्क नहीं : जवानों का कहना है कि सरहद पर रक्षा के लिए लंबी दूरी की गश्त के दौरान बर्फ, ठंडी जलवायु, और विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। बादल छाए रहने और बर्फ गिरने पर स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि कुछ मीटर की दूरी पर भी साफ नहीं देख सकते। इन हालात को पार करते हुए हमें पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को पस्त करना होता है और हम यह कर रहे हैं।
अब इजरायली हथियारों से दुश्मनों पर वार : हाजीपीर दर्रे में उच्च ऊंचाई पर तैनात जवानों का कहना है कि उनके पास अब इजरायली हथियार हैं। भारतीय सेना के जवान राइफलों के एक नए सेट से लैस हैं, जिसमें इजराइल निर्मित लाइट मशीन गन नेगेव एनजी -7 भी शामिल है। साथ ही उच्च तकनीक निगरानी उपकरण भी हैं। एनजी -7 प्रति मिनट सात सौ गोलियां दागती है। इसका वजन आठ किलोग्राम से अधिक है। इस राइफल से एक किलोमीटर की दूरी तक निशाना लगाया जा सकता है।
पहाडिय़ों पर रस्सों के सहारे गश्त, बंकरों में घर जैसा अहसास : बर्फ से लदी चोटियों पर जवानों के लिए गश्त करना आसान नहीं है। इसलिए जवानों ने पहाड़ों पर रस्सियां बांध रखी हैं। पहाड़ी चौकियों के लिए इस रस्सी नेटवर्क के जरिये ही जवान गश्त करते हैं। जवानों ने कहा कि छह घंटे की गश्त के बाद लौटकर हम एफआरपी बंकर में आते हैं। बंकर में आकर अत्यधिक सर्द मौसम से तुरंत सहज महसूस करते हैं क्योंकि तापमान अंदर से गर्म होता है। हमारे पास हीङ्क्षटग की व्यवस्था भी है। हमें इसमें घर जैसा महसूस होता है।
घुसपैठ की फिराक में ढाई सौ आतंकी : जवानों का कहना है कि निजापीरा इलाके में एलओसी के पार लांचिंग पैड पर ढाई सौ से ज्यादा आतंकी घुसपैठ की फिराक में बैठे रहते हैं। जवानों ने कहा, हम उच्च तकनीकी उपकरणों के माध्यम से उनकी आवाजाही पर निरंतर निगरानी रखते हैं।