India China Border Issue: लद्दाख में बर्फ पर कबड्डी खेल, योग कर हो रही चीन को खदेड़ने की तैयारी
भारतीय सेना के साढ़े तीन लाख के करीब जवान बारह हजार फीट से उंचे पर्वतीय इलाके में तैनात होने के कारण उन्हें बर्फ में लड़ने की ट्रैनिंग है।
जम्मू, विवेक सिंह: पूर्वी लद्दाख में गहराती सर्द चुनौती चीनी सैनिकों के हौंसले परास्त कर रही है तो वहीं विश्व के सबसे उंचे युद्धस्थल सियाचिन की ठंड में प्रशिक्षित भारतीय सैनिक बर्फ पर कबड्डी खेल, याेग कर हर मुसीबत से टकराने को तैयार हैं।सैन्य सूत्रों के अनुसार इस समय पूर्वी लद्दाख में तैनात भारतीय सैनिकों में से अधिकतर ऐसे हैं जो सियाचिन में शून्य से साठ डिग्री कम तापमान में उच्च पर्वतीय वारफेयर के माहिर बने हैं। उनके लिए पूर्वी लद्दाख में शून्य से तीस डिग्री कम के तापमान में दुश्मन से लड़ना कोई बड़ी चुनौती नही है।
यही सैनिक पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों को बार बार खदेड़ कर उनमें भय पैदा कर रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है वैसे वैसे वहां भारतीय सेना की माउंटेन ब्रिगेडों के जवानों के साथ भारतीय सैनिकों के पर्वतारोहियों के दस्ते, सेना के एवलांच पैंथर्स की तैनाती भी बढ़ रही है। भारतीय सेना के जवानों के साथ स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के तिब्बती जवान, दुर्गम इलाकों में रहने के आदि लद्दाखी सैनिक भी इस समय खुद को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर रहे हैं।अक्टूबर महीने में पूर्वी लद्दाख में सर्दी गहराने लगेगी। पूर्वी लद्दाख में जिन इलाकों में चीन विवाद पैदा कर रहा है वे सभी 14 हजार फीट से उंचे हैं। इनमें सर्दियों में शून्य से तीस डिग्री से 45 डिग्री तक जाता है। ऐसे में बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों का अनुभव काम आएगा।
भारतीय सेना के साढ़े तीन लाख के करीब जवान बारह हजार फीट से उंचे पर्वतीय इलाके में तैनात होने के कारण उन्हें बर्फ में लड़ने की ट्रैनिंग है। केंद्र शासित लद्दाख के साथ पूरा साल बर्फ से ढके रहने वाले कश्मीर के कुपवाड़ा, गुरेज में भी भारतीय सेना के जवान बर्फ में लड़ने के माहिर हैं। इस समय कश्मीर के गुलमर्ग के हाई अल्टीचयूड माउंटेन वारफेयर स्कूल में भी सेना के जवानों व अधिकारियों को बर्फीले हालात में युद्ध लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद उन्हें पूर्वी लद्दाख में भेजा जा रहा है।लद्दाख में तैनात रह चुके सेना के कर्नल रैंक के एक अधिकारी ने जागरण को बताया कि भारतीय सेना के पास ऐसे अनुभवी सैनिकाें की कोई कमी नही है जो बर्फ में युद्ध लड़ने में महारत रखते हैं। हमारे पास कारगिल की चोटियों पर डेरा डालने वाली पाकिस्तान की सेना को करारी शिकस्त देने का अनुभव भी है।
वहीं दूसरी ओर चीन के सैनिकों के पास न तो भारतीय सैनिकों की तरह बर्फ में लड़ने को कौशल है और न ही लंबे समय तक दुर्गम हलात में लड़ने की हिम्मत ही है।वहीं दूसरी ओर सेना सर्दियों की चुनौतियों का सामना करने के लिए लगातार तैयारी कर रही है। इस पर सालाना करीब चार सौ करोड़ का खर्च आना तय है। तीस हजार के करीब सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सर्द चुनौती का सामना करने के लिए आधुनिक विशेष ड्रैस उपलब्ध करवाई जा रही है। हर सैनिक के कपड़े, बूट, गलव्स आदि पर करीब एक लाख रूपये खर्च किए जा रहे हैं।
36 सालों से सियाचिन में डेरा डाले हुए है सेना
विश्व का सबसे उंचे युद्ध स्थल सियाचिन ग्लेशियर भारतीय सेना के जवानों को विश्व में सर्वक्षेष्ठ बनाता है। सियाचिन पिछले 36 सालों से भारतीय सेना के जवानों के लिए निष्ठुर मौसम में युद्ध लड़ने का अभ्यास स्थल बना हुआ है।सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सैनिक 21 हजार फीट की ऊंचाई पर खून जमा देने वाले शून्य से साठ डिग्री तक के तापमान में सेना के जवान सरहद की रक्षा में डटे हैं। भारतीय सेना के जवानों का यह हाैंसला लद्दाख में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान व वास्तिवक नियंत्रण रेखा पर चीन का हौंसला गिराता है। ये दोनों दुयमन देश लद्दाख की जमीन पर कब्जा करने के नापाक मंसूबे रखते हैं। भारतीय सेना ने 13 अप्रैल 1984 में सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत शुरू कर पाकिस्तान के भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने का अभियान छेड़ा था। युद्ध में भारतीय सेना के 36 अधिकारियों और जवानों ने जान देकर पाक से भारतीय इलाके खाली करवाए थे, जबकि पाकिस्तान के 200 सैनिक मारे गए थे। आज भारत के कब्जे वाले साल्टारो रिज के पश्चिम में 3000 फीट नीचे पाकिस्तान घात लगाए बैठा है तो चीन पूर्वी लद्दाख में।