India China Border Issue: लद्दाख में सेना की मारक क्षमता बढ़ाने पहुंची के 9 वज्र होवित्जर तोपें
India-China Border Issue सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए रक्षा विकास और अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) इस समय मेड इन इंडिया एडवांस आर्टिलरी गन सिस्टम होवित्जर तैयार करने का कार्य कर रहा है। अगले साल इन तोपों को भी भारतीय सेना के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: भले ही चीन ने पूर्वी लद्दाख में तेवर नरम किए हों लेकिन सेना के पांव पक्के करने की मुहिम अब नही रूकेगी। ऐसे हालात में लद्दाख के दुर्गम हालात में सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए के-9 वज्र होवित्जर तोपें लद्दाख में तैनात कर दी गई हैं।
सेना बफीर्ले रेगिस्तान के चुनौतीपूर्ण हालात में ट्रायल के लिए पहुंची 3 के-9 वज्र होवित्जर तोपों को आजमाएगी। इन तोपों ने लेह में माेर्चा संभाल लिया है। थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने इन तोपों को भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया है। वह सूरत के हजीरा में लार्सन एंड टूबरो द्वारा दक्षिण कोरिया की इन तोपों को तैयार करने पर नजर रख रहे हैं।
सेना ने लद्दाख में दुश्मन को मुहंतोड़ जवाब देने के लिए गत वर्ष एम 777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर ताेपें भी तैनात की थी। अब आधुनिक के-9 वज्र होवित्जर तोपों की मारक क्षमता परखी जाएगी। इसके ट्रायल के आधार पर सेना और के 9 वज्र होवित्जर तोपों की खरीद के लिए आर्डर दे सकती है।
भारतीय सेना ने पहले 38 किलोमीटर तक मार करने वाली इन 100 ताेपों को खरीदने के लिए दक्षिण कोरिया को आर्डर दिया था। इन्हें दो सालों से भारतीय सेना में शामिल किया जा रहा है। दक्षिण कोरिया में इस तोप का नाम के-9 थंडर है। वर्ष 1986 में भारतीय सेना के बेड़े में शामिल हुई होवित्जर ताेपाें ने वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को कड़ी शिकस्त देने में अहम भूमिका निभाई थी। अब नई आधुनिक तोपों के आने से लद्दाख में सेना की आर्टिलरी की ताकत कई गुणा बढ़ चुकी है।
सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए रक्षा विकास और अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) इस समय मेड इन इंडिया एडवांस आर्टिलरी गन सिस्टम होवित्जर तैयार करने का कार्य कर रहा है। अगले साल इन तोपों को भी भारतीय सेना के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा।
इस समय डीआरडीओ करीब 200 ऐसी तोपें तैयार करने की दिशा में कार्रवाई कर रहा है। ये ताेपें भी भारत की सैन्य क्षमता को और बढ़ाएंगी।