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कश्मीर में कोविड-19 के संक्रमण के मद्देनजर, इस रमजान न सहरखान उठाएगा और न ही इफ्तार की दावत होगी

पाक रमजान माह शुरू होने वाला है लेकिन इस बार न सहरी के लिए उठाने सहरखान आएगा और न ही मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ जुटेगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 09:26 AM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 01:21 PM (IST)
कश्मीर में कोविड-19 के संक्रमण के मद्देनजर, इस रमजान न सहरखान उठाएगा और न ही इफ्तार की दावत होगी

श्रीनगर, नवीन नवाज। पाक रमजान माह शुरू होने वाला है, लेकिन इस बार न सहरी के लिए उठाने सहरखान आएगा और न ही मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ जुटेगी। इफ्तार की दावत भी नहीं होंगी और शाम को बाजारों में मेले जैसा माहौल भी नहीं दिखेगा। अगर होगा तो सिर्फ कोरोना का सन्नाटा। सभी घरों में ही नमाज अताा करेंगे, मस्जिदों में नहीं आएंगे।

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कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम मुफ्ती नसीर उल इस्लाम ने हिदायत जारी कर दी है। जमीयत-ए-अहल-ए-हदीस और शिया संप्रदाय के धर्मगुरुओं ने भी लोगों से घरों में रहने की अपील की है। घरों में ही रहकर इबादत करेंगे तो कोविड-19 की कश्मीर में बढ़ती श्रृंखला पूरी तरह टूट जाएगी। यह तीस दिन कोरोना को हराने में कारगर होंगे, बशर्ते सभी घरों में ही रहें। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर राज्य की अधिसंख्य आबादी मुस्लिम ही है। घाटी में 97 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है।

इस्लाम के मुताबिक, रमजान का महीना बहुत ही अहम और पवित्र है। इस पूरे माह मुस्लिम रोजा रखते हैं। दिन हो या रात उनका अधिकांश समय इबादत और मस्जिदों में नमाज में ही बीतता है। रमजान के संपन्न होने पर ही ईद उल फितर का मुबारक त्योहार मनाया जाता है। इस बार पाक रमजान का महीना शनिवार को शुरू होगा। अलबत्ता, यह चांद नजर आने पर निर्भर है।

जम्मू कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम नासिर उल इस्लाम ने लोगों से कहा है कि वह पाक रमजान के दौरान घरों में ही नमाज और तरावी करें। उन्हें मस्जिद में आने की जरूरत नहीं है। मस्जिद में सिर्फ मुअज्जिन ही अजान के लिए रहे, अन्य कोई नहीं। उन्होंने कहा कि हमारे पैंगबंर हजरत मुहम्मद साहब ने खुद फरमाया है कि महामारी की स्थिति में महामारी वाली जगह नहीं जाना चाहिए और अगर आप उस जगह पर है तो वहां से बाहर मत आओ, कोई ऐसा काम मत करो जिससे महामारी फैले।

कश्मीर में शिया समुदाय के प्रमुख धर्मगुरुओं में शामिल मौलवी इमरान रजा अंसारी ने कहा कि सभी शिया संगठनों और विद्वानों ने पहले ही लोगों को पाक रमजान के दौरान इमामबाड़ों, मस्जिदों से दूर रहने और सभी सामूहिक नमाजों व मजहबी समागमों से दूर रहने के लिए कहा कहा है। महामारी के हालात में यह गैरमजहबी नहीं है।

कश्मीर के इतिहास के अच्छे जानकारों में गिने जाने वाले वयोवृद्ध कश्मीरी कवि जरीफ अहमद जरीफ ने कहा कि कश्मीर में कई बार प्लेग और हैजा जैसी महामारियां फैली, बाढ़ ने कश्मीर को तबाह किया, लेकिन रमजान के दौरान नमाजी घरों में ही रहे हों, ऐसा कभी नहीं हुआ है जो इस बार होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में बेहतर यही है कि लोग घरों में रहें।

प्रशासन मजहबी नेताओं से कर चुका है बैठकउपराज्यपाल के सलाहकार बसीर अहमद खान ने कहा कि हमने सभी मजहबी नेताओं, उलेमाओं और खतीबों के साथ दो दिन पहले बैठक की है। उन्होंने हमें यकीन दिलाया है कि वह लोगों को रमजान के दौरान घरों में ही नमाज अता करने के लिए मनाएंगे।

हमने प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह सभी धर्मस्थलों को बंद रखें, अगर कोई भीड़ जमा करता है, लॉकडाउन का उल्लंघन करता है तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। लोगों को जो भी सहूलियतें चाहिए, वह सब प्रशासन उनके दरवाजे पर उपलब्ध कराएगा।


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