Kashmir: कोरोना पीड़ितों के लिए जीवनरक्षक बनीं मस्जिदें, लाउडस्पीकरों पर जिहाद नहीं, टीका लगवाने का एलान
मस्जिद कमेटियों ने आगे आकर कोरोना के खिलाफ बैतुल माल का इस्तेमाल शुरू किया। वह इसका इस्तेमाल कोरोना से बचाव के लिए आवश्यक साजो सामान पर खर्च कर रहे हैं। कई मस्जिदों में उपलब्ध जगह का इस्तेमाल कोविड मरीजों की देखभाल के लिए भी हो रहा है।
श्रीनगर, नवीन नवाज : कभी कश्मीर में मस्जिदों का जिक्र आते ही लोगों के कानों में जिहादी नारे और कश्मीर बनेगा पाकिस्तान के नारे गूंजने लगते थे, पर अब ऐसा नहीं। मस्जिदों में लाउडस्पीकर से जिहाद का एलान तो हो रहा है, लेकिन यह जिहाद कोरोना को हराने के लिए है। लोगों को टीका लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मस्जिदों में लोग आ रहे हैं, लेकिन कोरोना पीडि़तों की मदद के लिए। कोरोना महामारी से मचे हाहाकार में मस्जिद सिर्फ इबादतगाह तक सीमित नहीं रह गई हैं, यह जीवनदायिनी की भूमिका में आ चुकी हैं। मस्जिद कमेेटियों के सदस्य और उनके परिचित दिनरात पीडि़तों की मदद में लगे हैं। मस्जिदों के बैतुल माल (सहायता कोष) का खर्च जीवनरक्षक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
कोरोना महामारी में वादी में पैदा हुए हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार लोगों के बीच आक्सीजन सिलेंडर के लिए मारपीट तक हुई। कई लोगों को कंसनट्रेटर और आक्सीमटर नहीं मिल रहा था। लोग जीवनरक्षक दवाओं और अस्पताल में बिस्तर के लिए भटक रहे थे। ऐसे में मस्जिद कमेटियों ने आगे आकर कोरोना के खिलाफ बैतुल माल का इस्तेमाल शुरू किया। वह इसका इस्तेमाल कोरोना से बचाव के लिए आवश्यक साजो सामान पर खर्च कर रहे हैं। कई मस्जिदों में उपलब्ध जगह का इस्तेमाल कोविड मरीजों की देखभाल के लिए भी हो रहा है।
मस्जिदों से महामारी से बचने की ताकीद : मकतब उल तालीम उल कुरल वल हदीस बैतुल माल बालगार्डन के सदस्य मुजफ्फर अहमद ने कहा कि हमने अपने बैतुल माल से 39 कंसनट्रेटर्स खरीदे हैं और 200 से ज्यादा लोगों ने इनका इस्तेमाल किया है। मस्जिद में अक्सर इमाम और मौलवी लोगों को लाउडस्पीकर के जरिए इस महामारी से बचने की ताकीद करते हुए टीका लगवाने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
महमारी के कारण बेरोजगार लोगों की भी मदद : मस्जिद-ए-अकरम नटीपोरा कमेटी के चेयरमैन मुश्ताक अहमद ने कहा कि हमने बैतुल माल से महमारी के कारण बेरोजगार हुए लोगों और गरीबों की मदद की है। कइयों को राशन दिया है, कइयों के लिए दवा खरीद है। मस्जिद में लोगों को नमाज के लिए जमा नहीं होने दिया जाता, सभी को घर में ही नमाज के अदा करने के लिए प्रेरित किया गया है। मस्जिद में सिर्फ अजान होती है या दो चार लोग नमाज के लिए जमा होते हैं। मस्जिद से अक्सर कोविड प्रोटोकाल के पालन के लिए लाउडस्पीकर से भी एलान किया जाता है।
400 मस्जिद कमेटियां इस नेक काम में लगीं : कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम नासिर उल इस्लाम ने कहा कि मस्जिदें इबादतगाह हैं, यह इंसान को खुदा से जोडऩे की जगह हैं और यही काम इन दिनों मस्जिदों में हो रहा है। मस्जिद कमेटियां बैतुल माल को जीवनरक्षक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों पर खर्च कर रही हैं। हमने पहले ही सभी मस्जिद कमेटियों को निर्देश दिया है कि वह बैतुल माल के एक हिस्से का इस्तेमाल मौजूदा महामारी से निपटने के लिए खर्च करें। हालांकि मेरे पास अभी तक कोई पक्की जानकारी नहीं, लेकिन 400 के करीब मस्जिद कमेटियों ने इस काम में लगी हुई है।
क्या है बैतुल माल : गरीब, यतीम, फकीरों की सहायता के लिए मस्जिदों में बनाए गए कोष को बैतूल माल कहते हैं। इसे खजाना भी कहते हैं। इसमें लोग नकद सहायता व सामान के जरिए मदद करते हैं। बैतुल माल का इस्तेमाल सामाजिक गतिविधियों और जनकल्याण पर भी खर्च किया जाता है।