Election 2019: लोकतंत्र के उत्सव में नारी शक्ति का जयघोष, जम्मू-पुंछ संसदीय सीट पर महिलाओं ने किया अधिक मतदान
चुनाव आयोग द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से यह निकलकर आया है कि अकसर गोलाबारी का सामने करने वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिकतर महिलाएं ही वोट डालने घरों से निकलीं।
जम्मू, अवधेश चौहान। भले की सियासी दल महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में परहेज करें, लेकिन अब नारी शक्ति ने ठान लिया है कि उनके बिना न कोई सरकार बना पाएगा और न ही लोकतंत्र के मंदिर की सीढिय़ां लांघ पाएगा। यही वजह है कि जम्मू-पुंछ संसदीय सीट के 20 विधानसभा क्षेत्रों में अधिकतर में महिलाएं न केवल खुलकर मतदान के लिए निकलीं बल्कि पुरुषों को भी काफी पीछे छोड़ दिया। खासकर युवा पीढ़ी में जागरूकता का जज्बा देखते ही बनता था। पोलिंग बूथ पर लगी कतारें भी कुछ ऐसा ही संदेश दे रही थी।
चुनाव आयोग द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से यह निकलकर आया है कि अकसर गोलाबारी का सामने करने वाले सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिकतर महिलाएं ही वोट डालने घरों से निकलीं। उनके बूते ही जम्मू-पुंछ सीट पर महिलाएं मतदान प्रतिशत में काफी आगे निकल गईं। बृहस्पतिवार को हुए मतदान में इस सीट पर कुल 14,47,395 वोट डाले गए। इसमें पुरुष वोटरों की संख्या 7,47,998 व महिला वोटरों की 6,99,397 रही। ऐसा तब है जब राज्य में ङ्क्षलगानुपात 1000 के पीछे 883 है। आंकड़ों के अनुसार 72.02 फीसद पुरुषों ने मतदान किया जबकि महिलाओं का वोट प्रतिशत 72.70 रहा।
यह सब तक है जब राज्य की सियासत में महिलाओं की अनेदखी होती रही है। अधिकतर राजनीतिक दलों ने टिकट देना तो दूर अपने घोषणापत्र में भी नारी शक्ति को खास तवज्जो नहीं दी थी। कांग्रेस ने जरूर महिलाओं को सरकारी नौकरी में 33 फीसद आरक्षण देने का वादा किया। बावजूद इसके शहर से लेकर गांवों की पगडंडियों पर भी अब नारी सशक्तीकरण की गूंज इस चुनाव में साफ सुनाई दी।
पाक गोलाबारी से सबसे प्रभावित प्रभावित राजौरी जिले के नौशहरा विधानसभा क्षेत्र में 37,710 महिलाओं ने वोट डाले, जबकि यहां 36, 423 पुरुषों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। अखनूर विधानसभा क्षेत्र में 39,289 महिलाओं के मुकाबले 38,380 पुरुषों ने वोट डाले। सांबा जिले में प्रदेश में सबसे कम ङ्क्षलगानुपात है। यहां 1000 के पीछे 753 लड़कियां हैं। पर मतदान ने साबित कर दिया कि यह उनके नहीं समाज के पिछड़ेपन का सुबूत हैं और वह अपना दायित्व निभाने में बहुत आगे हैं। सांबा के विजयपुर विधानसभा में 43,785 महिलाएं वोट डालने के लिए आगे आईं, जबकि यहां 43,176 पुरुष मतदाताओं ने मतदान किया। सांबा विधानसभा क्षेत्र में भी टक्कर बराबर की रही। यहां 34,811 पुरुषों के मुकाबले 33,983 महिलाओं ने वोट दिए। जम्मू के गांधीनगर विधानसभा क्षेत्र में 58, 321 महिलाओं ने वोट डाले, जबकि 59,534 पुरुष मतदाताओं ने मतदान किया। खास बात यह है कि किसी भी सियासी दल ने आज तक इस सीट पर महिलाओं को टिकट नहीं दिया। इस कारण इस सीट से कोई महिला जीतकर संसद नहीं पहुंच सकी।
अब तेज होगी हक की लड़ाई : समाजशास्त्रियों के अनुसार इन चुनावों से साफ है कि महिलाएं अब पसंद की सरकार चाहती हैं जो उनके बारे में सोचे। मतदान के आंकड़ें देखने के बाद यकीनन सियासी दलों का नजरिया बदलेगा। अगर यूं कहें कि सरकार बनाने की कुंजी महिलाओं के हाथ में है तो गलत नहीं होगा।
राजौरी, सुरनकोट में अभी भी पीछे : राजौरी व सुरनकोट के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में थोड़ा महिलाओं का मत प्रतिशत कम रहा, अन्यथा यह महिलाएं पुरुषों को काफी पीछे छोड़ देती।
पुरुष महिलाएं
जम्मू पूर्व 16,927 16,003
जम्मू पश्चिम 60,120 56,636
गांधी नगर 59,534 58,321
नगरोटा 31,763 28,750
सांबा 34,811 33,983
विजयपुर 43,176 43,785
बिश्नाह 37,818 35,296
आरएसपुरा 31,324 29,768
सुचेतगढ़ 27,415 25,318
मढ़ 32,045 30,515
रायपुर दोमाना 41,645 38,224
अखनूर 38,380 39,289
छम्ब 30,174 33,021
नौशहरा 36,423 37710
धरहाल 36,248 28, 790
राजौरी 43,103 38,023
कालाकोट 29,750 26, 475
सुरनकोट 44,552 32,466
मेंढर 37,456 33, 474
पुंछ हवेेली 34,961 33,350
विशेषज्ञों की राय
महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति लगातार जागरूक होती जा रही हैं। लोकसभा चुनाव में जिस तरह से महिलाओं विशेषकर युवतियों ने मतदान में रुचि दिखाई है, इससे स्पष्ट है कि अब महिलाएं अपने अधिकारों के लिए जागरूक हैं। वह अब पुरुषों की थोंपी हुई नहीं अपनी पसंद की व्यवस्था बनाना चाहती हैं। इसलिए वह खुलकर वोट डालने को आगे आ रही हैं। इस सजगता का स्वागत होना चाहिए।
-प्रो. विश्व रक्षा, समाजशास्त्र विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय
जमाना बदल गया है। महिला सशक्तिकरण हो रहा है। मतदान में महिलाओं ने काफी उत्साह दिखाया है। आज के दौर में हर नौजवान चाहता है कि देश तरक्की के रास्ते पर जाए। लड़कियां इससे पीछे नहीं है। समाज में सुरक्षित वातावरण उपलब्ध हो, हर लड़की पढ़ाई करे। रोजगार मिले, महिलाएं आत्मनिर्भर हो, यही सोचकर महिलाओं ने मतदान किया है। साक्षरता दर बढऩे का असर भी पड़ा है। यह बदलाव काफी सुखकर संकेत दे रहा है।
-डॉ. अनुराधा गोस्वामी, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, जम्मू विश्वविद्यालय