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Jammu Kashmir New Excise Policy: जम्मू-कश्मीर में अब हर साल लेना होगा शराब का नया लाइसेंस, हाई कोर्ट ने दिया तीन माह का समय

जम्‍मू कश्‍मीर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने विभाग को आदेश दिया है कि सरकार वर्ष 2021-22 के लिए नई एक्साइज पॉलिसी बनाए और उसके तहत ही आबकारी विभाग शराब व्यवसाय के लिए लाइसेंस जारी करेगा। इसके लिए सरकार को तीन माह का समय भी दिया है।

By VikasEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 09:08 AM (IST)
Jammu Kashmir New Excise Policy: जम्मू-कश्मीर में अब हर साल लेना होगा शराब का नया लाइसेंस, हाई कोर्ट ने दिया तीन माह का समय
अब जम्मू कश्मीर में शराब के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होगा।

जम्मू, जेएनएफ: अब जम्मू कश्मीर में शराब के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होगा। यहां भी अन्य राज्यों की तरह हर साल शराब के नये लाइसेंस बाकायदा टेंडर से जारी होंगे। वर्ष 2021-22 के लिए नई एक्साइज पॉलिसी के तहत ही आबकारी विभाग शराब व्यवसाय के लिए लाइसेंस जारी करेगा। यह आदेश जम्‍मू कश्‍मीर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिया है। इसके लिए सरकार को तीन माह का समय भी दिया है।

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जस्टिस राजेश बिंदल व जस्टिस संजय धर की अध्यक्षता में गठित हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि शराब के लाइसेंस का नवीनीकरण किसी का अधिकार नहीं है। इसके लिए वही कानून नियम हैं जैसे नया लाइसेंस जारी करने के होते हैं। मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने सरकार की ओर से पेश दलीलों पर गौर करने के बाद कहा कि विभाग को पूरा अधिकार है कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करे।

विभाग वर्ष 2021-22 को लेकर नई एक्साइज पॉलिसी बना उस आधार पर लाइसेंस का नवीनीकरण व आवंटन करे। बेंच ने शराब विक्रेताओं को 31 मार्च, 2021 तक काम जारी रखने की अनुमति दी। इस अवधि के बाद नई एक्साइज पॉलिसी 2021-22 के तहत उन्हें लाइसेंस आवंटित किए जाएं। अन्य राज्यों में हर वर्ष टेंडर के जरिये लाइसेंस आवंटित किए जाते हैं। डिवीजन बेंच के समक्ष याचिकाएं पेश की थी जिसे स्वीकार करते हुए बेंच ने कहा कि शराब का व्यवसाय हमेशा लाभ वाला रहा है।

हाई कोर्ट ने लताड़ा, लाइसेंस आवंटन में पारदर्शिता नहीं : बेंच ने कहा कि सरकार से मिली जानकारी के अनुसार इस समय जम्मू कश्मीर में 223 शराब की दुकानें हैं जो कई वर्षाें से एक ही व्यक्ति या उसके वारिस चलाते आ रहे हैं। कुछ मामलों में नवीनीकरण और आवंटन को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती है। यह सब वित्त मंत्री की सिफारिशों से किया जाता रहा है। इसके लिए कोई अधिसूचना भी जारी नहीं की जाती थी।

वित्त मंत्री आदेश जारी कर देता और आवंटन हो जाता है। बेंच ने याचिकाकर्ता व सरकार की तरफ से पेश वकीलों को सुनने के बाद कहा कि वर्ष 2017-18 और 2019-20 में जारी एक्साइज पॉलिसी नियम कानूनों के मुताबिक नहीं थी। इसलिए इसे फिर से कानून के तहत बनाने की आवश्यकता है।


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