भ्रष्टाचार उन्मूलन दिवस पर विशेष : मक्कड़जाल में फंस गई जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार का नासूर खत्म करने की मुहिम
फर्जी गन लाइसेंस मामले में सीबीआइ से सूचना अधिकार कानून के तहत जानकारी भी मांगी गई लेकिन अधिकारियों ने इसे यह कह कर खारिज कर दिया कि आरटीआइ कानून उनकी परिधि में नही आता है।ऐसे में करोड़ों के इन घोटालों में कब जांच पूरी होगी कुछ कहा नही जा सकता।
जम्मू, अवधेश चौहान : अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की पूरी होती नजर नही आ रही है ।कुछ बड़े मामले केंद्र की जांच एजेसियों के पास बीते 5 साल से भी अधिक समय से जांच में फंस कर रह गए है।इनमें फर्जी गन लाइसेंस और नेकां के पूर्वमंत्री के बेटे हिलाल राथर का बैंक से करोड़ों रूपये के कर्ज को डकार लेने जैसे मामले सीबीआई अभी तक जांच नहीं कर पाई है।
फर्जी गन लाइसेंसे मामला 2012 में सामने आया था।17 मई, 2018 को तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोहरा ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।जांच में कश्मीर के जिला कुपवाड़ा, बारामुला, शोपियां और पुलवामा के साथ जम्मू के उधमपुर, किश्तवाड़, डोडो और राजौरी के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नरों पर फर्जी गन लाइसेंस जारी करने में संलिप्त पाया गया।
इनमें से 2 आइएएस अधिकारी राजीव रंजन और इतरात हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया लेकिन दोनों अधिकारी जमानत पर हैं। इस बारे में कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नही।फर्जी गन लाइसेंस मामले में सीबीआइ से सूचना अधिकार कानून के तहत जानकारी भी मांगी गई, लेकिन अधिकारियों ने इसे यह कह कर खारिज कर दिया कि आरटीआइ कानून उनकी परिधि में नही आता है।ऐसे में करोड़ों के इन घोटालों में कब जांच पूरी होगी कुछ कहा नही जा सकता।
बता दे कि जम्मू कश्मीर हाइकोर्ट की चीफ जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संजय धर पर आधारित डिवीजन बैंच ने एडिशनल एडवोकेट जनरल से पूछा है कि भ्रष्टाचार में फंसे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के खिलाफ सरकार ने क्या कार्रवाही की है।इसकी स्टेटस रिपोर्ट 28 दिसंबर को अदालत में पेश करनी हैं।
अनुच्छेद 370 हटने के बा 286 लोगों की गिरफ्तारी हुई : एंटी क्रप्शन ब्यूरों के आंकड़ों के मुताबिक अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद से प्रदेश में भ्रष्टाचार में लिप्त 286 लोगाें की गिरफ्तारी हुई।इनमें बीते वर्ष 68 लोग जांच में एजेंसियों के हत्थे चढ़े।इनमें जम्मू-कश्मीर बैंक के पूर्व चेयरमैन मुश्ताक अहमद और परवेज अहमद नेंगरू, जम्मू-कश्मीर कोआपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन शफी डार, एफसीआई उधमपुर के राकेश परगाल, उद्योग विभाग के विशेष सचिव मुजीबुर्रहमान गस्सी, लघु उद्योग विकास निगम के एमडी भूपेंद्र दुआ, कोआपरेटिव सोसाइटी के डिप्टी रजिस्ट्रार आशिक हुसैन शामिल हैं।
एंटी क्रप्शन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने पर बताया कि राजनीतिक रसूख के चलते वर्षों से बच रहीं कई बड़ी मछलियां अब जाल में फंसी हैं। अब तक सवा तीन सौ भ्रष्ट लोग सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं। इनमें कई पूर्व वरिष्ठ आईएएस अफसर और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोग भी शामिल हैं। अभी और कई बड़ी मछलियां जांच एजेंसियों की रडार पर हैं।
202 करोड़ की संपत्ति आय से अधिक संपत्ति जब्त की : सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसियों ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी कार्रवाई करते हुए करीब 202 करोड़ की संपत्ति जब्त की है या फिर वसूली की है। इनमें पूर्व आईएएस अफसर जावेद खान, पूर्व सूचना निदेशक फारूक अहमद रेंजो, पीडीडी के मुख्य अभियंता रहे मनोहर गुप्ता प्रमुख हैं। इस साल अब तक आय से अधिक संपत्ति मामले में नौ मामले दर्ज हुए।जांच एजेंसियों ने स्कॉस्ट जम्मू के पूर्व वाइस चांसलर नागेंद्र शर्मा व पूर्व रजिस्ट्रार अशोक कौल, पूर्व डीसी कुपवाड़ा शाह लतीफ, मुख्य लेखा अधिकारी श्रीनगर गुलाम मोहिनुद्दीन, सीनियर असिस्टेंट अब्दुल समद खान, फील्ड असिस्टेंट फलीलुर्रहमान, पटवारी बलवान सिंह प्रमुख को भ्रष्टाचार में दोषी ठहराया है।
5 लाख से अधिक नौकरियां पीछे दरवाजे से हुईं : इतना ही नहीं केंद्रीय वित्तमंत्री निमर्ला सीतारमण ने बीते नंवबर माह में विभिन्न परियोजनाओं के उदघाटन के समय यह बयान दिया था कि जम्मू कश्मीर में पूर्ववर्ती सरकारों ने 5 लाख से अधिक लाेगों को पिछले दरवाजे से सरकारी नौकरियों में शामिल हुए। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता जताई है। लगातार बैठकों में भी वे अधिकारियों को इस बाबत हिदायतें दे रहे हैं चाहे कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो, भ्रष्ट आचरण कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एसीबी का नियंत्रण उनके हाथों में होने से भी जांच एजेंसियों को काम करने में कोई दिक्कत नहीं है।
सीबीआइ के पास लंबित पड़े मामलें : नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार में पूर्व मंत्री अब्दुल रहीम राथर के बेटे हिलाल राथर का 177 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामला। हिलाल राथर पर आरोप है कि उसने जम्मू कश्मीर बैंक द्वारा स्वीकृत कर्ज के करोड़ों रुपये का गबन करने के आरोप में इस साल 17 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अभी वह जमानत पर है।यह कर्ज हिलाल की जम्मू के नरवाल बाला में महत्वाकांक्षी आवासीय परियोजना ‘ पैराडाइज एवन्यू ‘ के लिए 2012 में दिया गया था।बाद में इस मामले की छानबीन सीबीआई को सौंप दी गई।
जम्मू कश्मीर में फर्जी गन लाइसेंस मामला : सीबीआइ ने 17 मई 2018 को तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 2012 और 2016 के बीच की अवधि के दौरान हथियार लाइसेंस जारी करने के आरोपों पर दो प्राथमिकी की जांच का जिम्मा संभाला था। बता दे कि राजस्थान सरकार की एंटी टेररिज्म स्क्वाड ने 2017 में एक फर्जी गन रैकेट का खुलासा किया था। राजस्थान के एटीएस ने 2017 में ऑपरेशन जुबैदा के तहत दलाल ग्रोवर को गिरफ्तार किया था।जम्मू कश्मीर से 4,23,301 फर्जी गन लाइसेंस जारी हुए।इनमें से 1,32,321 जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोगों को बांटे गए थे। सीबीआई केस के अनुसार पूरे जम्मू-कश्मीर में जारी किए गए सिर्फ 10 प्रतिशत ही प्रदेश के लोगों को दिए गए।