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अनुच्छेद 370 के हटने से समाज में सकारात्मक बदलाव की सुबह; 7 दशकों में हुए भेदभाव, नाइंसाफी की हो भरपाई

कश्मीर के समाज से पत्थरबाजी का दौरा खत्म है। ऐसे में पंचायतों ब्लाक विकास परिषदों के साथ जिला विकास परिषद भी लोगों को सशक्त बनाने के लिए सक्रिय हैं। अब अधिकारी जन विकास के लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों के बीच जाते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 09:29 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 09:29 AM (IST)
अनुच्छेद 370 के हटने से समाज में सकारात्मक बदलाव की सुबह; 7 दशकों में हुए भेदभाव, नाइंसाफी की हो भरपाई
प्रशासन को पारदर्शी बनाकर अधिकारियों को विकास के लक्ष्य हासिल करने को मजबूर किया जा रहा है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के साथ ही शुरू हुई समाज में साकात्मक बदलाव की नई सुबह में बाल्मीकि, गाेरखा समुदाय व पश्चिमी पाकिस्तान से खदेड़े गए लोग पहली बार विधानसभा चुनाव में वोट डालेंगे। ये सभी लोग नागरिकता का अधिकार न होने के कारण विधानसभा चुनाव में हिस्सा नही ले सकते थे। अब सामाजिक भेदभाव का दौर खत्म होने के बाद वे नई व्श्वस्था में अपने सामाजिक भूमिका के निर्वाह की तैयारी कर रहे हैं।

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जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 ने सामाजिक असामना को शह दी। सात दशकों में जम्मू कश्मीर में प्रशासन को पारदर्शी बनाने, भ्रष्टाचार, राजनीतिक व सामाजिक भेदभाव ने विकास की राह में बाधाएं डाली। अब सुधारों के जरिये समाज के सभी वर्ग के लोगों के जीवनस्तर में बदलाव लाया जा रहा है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को मौके देकर सशक्त बनाया जा रहा है। ऐसे में जम्मू कश्मीर में बेहतर समाज का गठन कर पिछले सात दशकों में हुए भेदभाव की भरपाई की जा रही है।

जम्मू-कश्मीर में पहले बहनों-बेटियों के साथ भेदभाव हो रहा था। प्रदेश से बाहर विवाह होने की स्थिति में वे प्रदेश में संपत्ति आदि के अधिकारों तक से वंचित हो जाती थी। अब इस कानून को खत्म कर ऐसी महिलाओं व उनके परिवारों को हक देकर सशक्त समाज का गठन किया जा रहा है। अनुच्छेद 370 के कारण प्रदेश में ऐसे 854 केंद्रीय कानून थे जिन्हें प्रभावी नही बनाया गया था। अब इनके प्रभावी होने से लोगों को देश के अन्य नागरिकों की तरह बराबर हक मिल रहे हैं।

आतंकवाद, अलगाववाद ने कश्मीरी समाज को सबसे अधिक प्रभावित किया। अब कश्मीर में आतंकवाद, अलगाववाद का प्रभाव कम होने से क्षेत्र के लोग विकास व तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। कश्मीर के समाज से पत्थरबाजी का दौरा खत्म है। ऐसे में पंचायतों, ब्लाक विकास परिषदों के साथ जिला विकास परिषद भी लोगों को सशक्त बनाने के लिए सक्रिय हैं। अब अधिकारी जन विकास के लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों के बीच जाते हैं। प्रशासन को पारदर्शी बनाकर अधिकारियों को विकास के लक्ष्य हासिल करने को मजबूर किया जा रहा है।

इस समय जम्मू कश्मीर के आर्थिक विकास के लिए 50 हजार करोड़ रूपये के निवेश का इंतजार हो रहा है। इसमें से 12 हजार करोड़ रूपये के निवेश के प्रस्ताव आ चुके हैं। इस निवेश से प्रदेश में र्थिक समृद्धि आएगी, बल्कि रोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रदेश में विश्व की सबसे बड़ी 250 से अधिक कंपनियां निवेश कर रही हैं। विकास से समाज में विश्वास व क्रांति लाने का काम हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 होने के कारण बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां पर जमीन नहीं खरीद सकता था। यहां पर सिर्फ स्टेट सब्जेक्ट वाले लोग ही जमीन खरीद सकते थे। इस कारण प्रदेश में विकास में पिछड़ गया।

बेहतर सामाजिक व्यवस्था बनाने के लिए प्रशासन को पारदर्शी बनाया जा रहा है। प्रदेश में दरबार मूव को बंद कर करोड़ों रूपये बचाए गए हैं। दोनों राजधानियों में सचिवालय इ आफिस व्यवस्था में एक साथ काम कर रहे हैं व लोगों को काम करवाने के लिए छह महीनों के लिए इंतजार करने के दिन लद गए हैं। भ्रष्ट अधिकारियों, देशविरोधी तत्वों की ओर झुकाव रखने वाले अधिकारियों की पहचान हो रही है। सरकारी जमीनों पर से कब्जे हटाए जा रहे हैं। यह बेहतर सामाजिक व्यवस्था बनाने की दिशा में कार्यवाही का हिस्सा है। यह कहना है कि जम्मू कश्मीर के सांसद जुगल किशोर शर्मा का।


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