Jagran Webinar: शिक्षाविदों ने कहा- ऑनलाइन शिक्षा से घबराएं नहीं, सपने करें साकार
सरकार के फैसले का सम्मान करना चाहिए। कोरोना से उपजे हालात ने ऑनलाइन शिक्षा के अवसर प्रदान किए हैं। बच्चे ही नहीं बल्कि अभिभावक प्रोत्साहित कर रहे है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन में जब शिक्षण संस्थान बंद हैं तो मौजूदा समय ऑनलाइन शिक्षा बेहतर विकल्प उभर कर सामने आई है। ऑनलाइन शिक्षा सिस्टम से घबराने की जरूरत नहीं है। स्मार्ट युग के युवाओं को नेतृत्व करना चाहिए। शिक्षकों को तकनीक के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसे अवसर के तौर पर लिया जाना चाहिए। शिक्षण संस्थान हमेशा के लिए बंद नहीं रहने वाले हैं, लेकिन ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के लिए जो हमें मौका मिल रहा है, उसको अपनाते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए। इससे भविष्य में हमें दिक्कतें पेश नहीं आएंगी। यह विचार जम्मू विश्वविद्यालय के अकादमिक मामलों के डीन प्रो. केशव शर्मा ने वेबिनार में व्यक्त किए। पढ़ाई, परीक्षाओं से लेकर अन्य जुड़े मुद्दों पर उन्होंने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब ही नहीं दिए बल्कि उनमें तनाव दूर करने की कोशिश की।
दैनिक जागरण के जम्मू सिटी कार्यालय में कोविड-19 में शिक्षा का बदलता स्वरूप विषय पर वेबिनार आयोजित किया। इसमें विशेषज्ञ जम्मू विश्वविद्यालय के अकादमिक मामलों के डीन प्रो. केशव शर्मा ने विद्यार्थियों के प्रश्न के जवाब दिए। साइंस कॉलेज जम्मू के प्रो. जगजीत सिंह और हायर सेकेंडरी स्कूल बाहुफोर्ट जम्मू में लेक्चरर माधवी खजूरिया भी वेबिनार से जुड़े। प्रो. केशव शर्मा ने कहा कि मौजूदा समय में पूरा विश्व कोरोना से लड़ रहा है। इस समय हम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह सही है कि दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर कुछ परेशानियां अवश्य पेश आ रही हैं। कुछ समय तो लगेगा ही। रही बात जम्मू कश्मीर में टू जी सर्विस को लेकर ऑनलाइन शिक्षा में परेशानियों को लेकर तो यह फैसला सरकार ने सोच विचार करके करना है। सरकार के फैसले का सम्मान करना चाहिए। कोरोना से उपजे हालात ने ऑनलाइन शिक्षा के अवसर प्रदान किए हैं। बच्चे ही नहीं बल्कि अभिभावक प्रोत्साहित कर रहे है। उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों के जवाब देने के साथ उनको चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।
विद्यार्थियों को विचलित होने की जरूरत नहीं है। हमें संयम बरतना चाहिए। मन को मजबूत करना है। सकारात्मक सोच के साथ हम अपने अंदर मजबूती ला सकते हैं। हमें स्टडी मैटेरियल को बांट कर पढ़ाई करनी चाहिए। लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा अहम साबित हो रही है। वाट्सएप और विभिन्न एप्लीकेशन के जरिए विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ रहे हैं। शिक्षा के बदलते परिदृश्य को फायदा उठाने की जरूरत है। डिजीटल सिस्टम हमारी जरूरत बनता जा रहा है। हम पहले से ही ऑनलाइन फार्म भरते आ रहे है। बैंकिंग का कामकाज ऑनलाइन कर रहे है। ऑनलाइन शिक्षा भविष्य की जरूरत बनने वाली है। - माधवी खजूरिया
इसमें कोई शक नहीं है कि कोरोना ने हमारी शिक्षा प्रणाली को बदलने पर मजबूर कर दिया है। हम चुनौतियां का सामना कर रहे हैं, लेकिन साथ में तकनीक का इस्तेमाल करते हुए शिक्षा भी हासिल कर रहे हैं। यह भी सही है कि परेशानी प्रेक्टिकल को लेकर आ रही है। प्रेक्टिकल के लिए हमें नियमों का पालन करना होगा। शारीरिक दूरी, सैनिटाइजर, मास्क समेत अन्य नियमों का पालन करके ही हमें लैब में जाना होगा। हम अध्यापक विद्यार्थियों के लिए स्टडी मैटेरियल तैयार करके उनकी पढ़ाई को पीछे नहीं पड़ने दे रहे है। - प्रो. जगजीत सिंह
ऑनलाइन शिक्षा का शुरू हुआ दौर भविष्य में रफ्तार पकड़ेगा। डिजीटल युग में तो हमें तकनीक का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना आना ही चाहिए। विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर ङ्क्षचतित हैं, लेकिन यह समय तनाव लेने का नहीं है। चुनौतियों का सामना करने का है। इसलिए शिक्षण संस्थानों के खुलने के बाद आहिस्ता आहिस्ता स्थिति सामान्य हो जाएगी। हमें स्थिति सामान्य बनने के बाद भी ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहित करना होगा। - डॉ. विवेक शर्मा
आर्या महाजन : क्या एक ही यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट नहीं करवा सकती?
जवाब : यूजीसी की गाइड लाइंस आई हैं। उसी हिसाब से एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। पूरा देश एक जैसी समस्या का सामना कर रहा है। कहीं 2 जी तो कहीं दूसरी कई किस्म की समस्याएं हैं। उन्हें देखते हुए ही एक्शन प्लान बनाया जा रहा है। हमें बच्चों को आसान तरीके से पढ़ाई को जारी करवाना है। किसी को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।
चेत राम शर्मा : सरकार की ओर से ई यंत्रा, ई अचार्य डीटीएच चैनल आदि तैयार किए हैं, लेकिन बहुत सी जगह यह टयून नहीं होते?
जवाब : अचानक हालात ऐसे हो गए जिनके बारे में सोचा ही नहीं था। कोविड-19 के चलते बहुत चीजें बदल गई हैं। ऐसे हालात में हमें सुविधाओं को लेकर रोते रहने के बजाए आगे बढऩे के बारे में सोचना है। इन हालात में हमारे काफी अच्छा कर रहे हैं। बदलाव में समय तो लगता ही है। हां पढ़ते हुए सोर्सिस की जांच कर लें।
साहिल शर्मा : कोविड महामारी के चलते ग्रामीण बनाम शहरी बड़ी समस्या दिख रही है। अधिकतर बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, जो गांव चले गए हुए हैं, वहां उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल पा रही। ऐसे में परीक्षाएं कैसे संभव हैं?
जवाब : इसमें कोई शक नहीं कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की सुविधाओं में अंतर होता है। आज हम सब एक हो गए हैं। जिस प्लेट फार्म पर मैं शहरी बच्चें से मिल रहा हूं, उसी पर ग्रामीण बच्चों को मिल रहा हूं। पेपर जब भी होंगे। परिस्थियों को ध्यान में रखा जाएगा। किसी विद्यार्थी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। हर पेपर डालने वाले के घ्यान में हर तरह के विद्याथियों का ध्यान होता है।
रविंद्र सिंह: मैं डोगरी डिपार्टमेंट का विद्यार्थी हूं। स्टडी मेटिरियल यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी या प्रोफेसरों से ही मिलता है। ऐसे में हमारी पढ़ाई कैसे संभव है?
जवाब : भाषा, साहित्य को अहम मानता हूं। मेटिरियल ऑन लाइन नहीं मिल रहा होगा। अभी कक्षाएं जल्दी लगना संभव नहीं है। फिर भी कोशिश करने पर थोड़ी बहुत पाठ्य सामग्री मिल जाएगी। साहित्य वाले कोई साहित्य पढ़ते रहें, इसका लाभ होगा।
अरुण चौधरी : साइंस में प्रैक्टिकल के बिना संभव नहीं है?
जवाब : इस समय दुनिया भर में विद्यार्थी परेशान हैं। इसमें कोई शक नहीं कि प्रैक्टिकल जरूरी हैं। ऐसे में जारी मापदंड़ों को देखते हुए जितने भी प्रैक्टिकल संभव होंगे करवाए जाएंगे।
चाहत राजपूत : लॉकडाउन ने पूरी तरह से सिस्टम चेंज कर दिया है। कुछ समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या होगा?
जवाब : किसी का समय बर्बाद न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा। ङ्क्षचता करने की जरूरत नहीं है। जो परेशानी एक विद्यार्थी की है वहीं दुनिया के किसी भी कोने में बैठे दूसरे विद्यार्थी कि है। र्धर्य बनाए रखें। हताशा से काम नहीं चलेगा। यकीन माने निराशा के दौर में भी बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है।
ज्योति : टर्मिनल एग्जामिनेशन का स्वरूप क्या होगा?
जवाब : मलटीपल चाइस पर भी विचार चल रहा है। कोशिश यही है कि परिणाम ठीक हो। किसी का साल बर्बाद न हो। जल्द आपके खौफ का समाधान होगा। परीक्षाएं कैसे हों। इस पर चिंतन चल रहा है। हां, परीक्षा होगी जरूर।
स्तुति शर्मा : ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को मोबाइल नेट वर्क नहीं मिलता। वह परेशान हैं। ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई कैसे होगी?
जवाब : इसमें कोई शक नहीं है कि चुनौतियां बहुत सारी हैँ। लेकिन हमें इन चुनौतियों का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ना है। हमे सरकार के फैसले का सम्मन करना चाहिए। 2 जी मोबाइल सेवा में भी वेबिनार हो रहे हैं। लोग एक दूसरे से जुड कर विचारों का आदान प्रदान कर रहे हैं।
श्रणया : क्या ऑन लाइन पढ़ाई संभव है। सभी इस सुविधा का सही लाभ उठा सकते हैं?
जवाब : आप सभी स्मार्ट युग के लोग हैं। आपने हमारा नेतृत्व करना है। आप अगर हताश होंगे तो कैसे चलेगा। जैसी परिस्थियां हैं, उसी के अनुसार ढलना होगा।
इफ्तिकार अहमद : स्लो मोबाइल इंटरनेट सेवा के कारण विद्यार्थी परेशान हैं?
जवाब : सुप्रीम कोर्ट ने अगर कोई फैसला किया है तो सोच कर ही किया है। इसमें निराश होने की बात नहीं है। सभी को एक जैसी सुविधा मिल रही है। हमें अपने आप को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। अभी आगे कैसे चलेगा इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता।