Jammu: अखिल भारतीय काव्य गोष्ठी में जम्मू की सोफिया की कोरोना पर रेखांकित कविता को मिली सराहना
डॉ. शीला कुमारी एल ने अपने अध्यक्षीय काव्यपाठ में महिलाओं के सामाजिक और पारिवारिक दायित्व का उल्लेख किया। अनागत कविता आंदोलन के प्रवर्तक और अखिल भारतीय अनागत साहित्य संस्थान के संयोजक डॉ. अजय प्रसून ने भी कविता पढ़ी।
जम्मू, जागरण संवाददाता: अखिल भारतीय अनागत साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित ई-काव्य गोष्ठी में जम्मू की सोफिया जंगराल को सभी ने सराहा। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. शीला कुमारी ने की। इसमें कई कवियों ने भाग लिया।
जम्मू से कवयित्री सोफिया जंगराल ने काव्य-गोष्ठी के प्रारंभ सरस्वती वंदना हे सरस्वती माँ, हे शारदे माँ से किया। इसके बाद उन्होंने हाल ही में देश और दुनिया पर आए कोरोना के संकट को रेखांकित करते हुए, दूरियाँ इसने और बढ़ा दीं, हर किसी को इसने तंग कर डाला / कोरोना का यह कहर है आया, हर किसी को इसने तंग कर डाला...। कविता का पाठ किया। उनकी इस कविता के साथ ही नारी के जीवन पर केंद्रित कविता को दर्शकों ने खूब सराहा।
इससे पहले डॉ. शीला कुमारी एल ने अपने अध्यक्षीय काव्यपाठ में महिलाओं के सामाजिक और पारिवारिक दायित्व का उल्लेख किया। अनागत कविता आंदोलन के प्रवर्तक और अखिल भारतीय अनागत साहित्य संस्थान के संयोजक डॉ. अजय प्रसून ने भी कविता पढ़ी। कला महाविद्यालय, नांदूरघाट, बीड (महाराष्ट्र) में हिंदी की प्राध्यापिका और जानी-मानी कवयित्री डॉ. द्वारिका गितो मुंडे ने डॉ. भीमराव रामजी आंबेड़कर की जन्मजयंती पर स्मरण करते हुए कविता प्रस्तुत की।
जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय, पासीघाट (अरुणाचलप्रदेश) में हिंदी की प्राध्यापिका बनश्री पर्तिन ने महिलाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति का आह्वान करते हुए, मैं केवल मैं होना चाहती हूँ, नहीं बनना चाहती किसी और की तरह / न करना किसी और से तुलना मेरी / मेरे गुण और अवगुण सब मेरे हैं, मेरी कमियाँ सब मेरी हैं...। कविता पढ़ी।
काव्य-गोष्ठी के संयोजक और केंद्रीय बौद्ध विद्या संस्थान मानद विश्वविद्यालय के हिंदी प्राध्यापक डॉ. राहुल मिश्र ने तपते दिल में नभ का सूरज होगा तेरे पास भले / आश का दीपक मेरे मन में भी दिन रात जले / सूख गए वो फूल पलाश आने पे तेरे जो खिले थे / बंजर मन में मुझको केवल नागफनी के पौध मिले..। के माध्यम से भविष्य के सुख की, भविष्य में मिलने वाली सफलता की बात कही।
काव्य-गोष्ठी में देश-विदेश के विभिन्न स्थानों से दर्शक और श्रोतागण जुड़े रहे। लगभग दो घंटे तक चली इस काव्य-गोष्ठी को सभी ने खूब सराहा।