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आतंक से लोहा लेने को नारी शक्ति का मोर्चा, कुपवाड़ा में LoC पर तैनात है असम राइफल्स की वीरांगनाओं के विशेष दस्ते

रक्षाबंधन के मौके पर परिजनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता पहले देशसेवा है अपना फर्ज है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 05:34 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 05:53 PM (IST)
आतंक से लोहा लेने को नारी शक्ति का मोर्चा, कुपवाड़ा में LoC पर तैनात है असम राइफल्स की वीरांगनाओं के विशेष दस्ते

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में आतंकवाद और नशे के दानव का फन कुचलने के लिए अब वीरांगनाएं भी बंदूक के साथ मोर्चे पर डट गई हैं। उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ सटे कुपवाड़ा में असम राइफल्स की महिला सैनिक एलओसी की तरफ आने जाने वाले मार्गों पर चौकस निगाह गड़ाए हैं और दुश्मन की हर साजिश को नाकाम बनाने में जुटी हैं। जम्मू कश्मीर के नियंत्रण रेखा के पास के दुर्गम क्षेत्रों में पहली बार पहली बार बंदूक थामें महिला सैनिकों दिखाई दे रही हैं। हालांकि सीआरपीएफ की महिला वाहिनी दो दशक से तैनात है।

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असम राइफल्स की वीरांगनाएं पूर्वोत्तर में म्यांमार सीमा पर और असम में अपनी कत्र्तव्यनिष्ठा, राष्ट्रभक्ति और वीरता का परिचय पहले से दे रही हैं। पिछले कुछ समय में गुलाम कश्मीर के रास्ते आतंकियों के हथियार और नशीले पदार्थाेंं की तस्करी में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। इसके बाद सेना ने महिला सैनिकों को तैनात करना आरंभ किया है। पहले चरण में उत्तरी कश्मीर में सेना की वज्र डिवीजन में असम राइफल्स की महिला सैनिकों का दस्ता प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया गया है।

इस दस्ते को फिलहाल सेना की पड़ताल चौकियों पर तैनात किया गया है। एक दस्ता एलओसी से सटे टंगडार-टीटवाल मार्ग और एक साधना टॉप पर पड़ताल चौकी में तैनात है। इसी चौकी से करीब 15 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित अग्रिम चौकी पर कुछ दिन पूर्व रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आकर हालात का जायजा लिया था।

हर साजिश से लोहा लेने को तैयार: साधना टॉप पर महिला सैनिकों की कमान संभाल रही कैप्टन गुरसिमरन कौर के मुताबिक, सेवा पहले और घर परिवार बाद में। रक्षाबंधन के मौके पर परिजनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता पहले देशसेवा है, अपना फर्ज है। राखी बाद में भी भाई की कलाई पर बांध लूंगी। उन्होंने बताया कि उनकी टीम महिलाओं की तलाशी लेने का जिम्मा महिलाएं निभाएंगी। इसके अलावा आवश्यकता पडऩे पर उनका दस्ता दुश्मन की हर साजिश से मोर्चा लेने को तैयार है। राइफल वूमेन सरोज ने कहा कि दुश्मन तो हर जगह एक जैसा ही होता है और हम तैयार हैं। घर की याद आती है, लेकिन घर तभी सुरक्षित होगा जब यहां सीमा पर सबकुछ ठीक होगा।

वज्र डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल एडीएस औजुला ने कहा कि कुछ समय से हथियारों और नशीले पदार्थाें को तस्करी में महिलाएं भी मददगार साबित हो रही हैं। हमारे जवान महिलाओं की तलाशी नहीं लेते थे, इसलिए राष्ट्रविरोधी तत्वों ने महिलाओं का इस्तेमाल शुरू किया है। इसे देखते हुए हमने भी अपनी महिला सैनिकों को तैनात किया है। फिलहाल, वह एनकाउंटर और युद्ध की ड्यूटी पर नहीं हैं, लेकिन वह इसके लिए भी पूरी तरह प्रशिक्षित हैं। कई बार आतंकरोधी अभियानों के दौरान किसी घर में सिर्फ महिलाएं होती हैं। ऐसे में हमारी महिला सैनिक काफी मददगार रहती हैं। इन्हेंं देखकर स्थानीय लड़कियों में भी सेना में भर्ती होने का जज्बा पैदा होता है। उन्होंने बताया कि हमारे पास महिला सैन्य अधकिारी हैं लेकिन महिला सैनिक नहीं। इसलिए असम राइफल्स से इस दस्ते को प्रतिनियुक्ति पर बुलाया गया है।

परिवार की परंपरा को बढ़ा रहीं गुरसिमरन कौर: कैप्टन गुरिसमरन कौर सेना में भर्ती होकर परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। उनके दादा और पिता भी फौज में रह चुके हैं। वह सेना में अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वह आर्मी सेवा कोर की अधिकारी हैं।

बेंगलुरु में दिया जा रहा प्रशिक्षण: भारतीय सेना में अधिकारी के पद पर महिलाओं की भर्ती करीब दो दशक से जारी है। पहली बार भारतीय सेना में महिला सैनिकों की भर्ती दिसंबर 2019 में हुई है। यह महिला सैनिक मिलिट्री-पुलिस में ही भर्ती हुई हैं और इनका प्रशिक्षण बेंगलुरु में जारी है।


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