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Kashmir: दाचीगाम नेशनल पार्क में अवैध खनन की जांच शुरू, एनओसी जारी करने वालों की होगी निशानदेही

खिरयु और खुनमोह में जारी अवैध खनन से जहां दाचीगाम का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। कई वन्य जीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। सिमेंट फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और धूल के गुब्बार से आसपास के इलाकों में केसर की खेती भी प्रभावित हो रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 06:45 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 06:51 PM (IST)
Kashmir: दाचीगाम नेशनल पार्क में अवैध खनन की जांच शुरू, एनओसी जारी करने वालों की होगी निशानदेही
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान श्रीनगर शहर के दारा हारवन से लेकर दक्षिण कश्मीर के खिरयु अवंतीपोर तक फैला हुआ है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में शामिल खुनमोह और खिरयु में अवैध खनन और सिमेंट फैक्ट्रियों के धुंए व धूल के गुब्बार काे लेकर बंद वन्य जीव विभाग की आंखे अब खुल गई है। विभाग ने अवैध खनन की शिकायतों की जांच शुरु कर दी है। इसके साथ यह भी पता लगाया जा रहा है कि दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के साथ सटे इलाको में सिमेंट फैक्ट्रियों को अनापत्ति प्रमाणपत्र कैसे मिला है?

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दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान श्रीनगर शहर के दारा हारवन से लेकर दक्षिण कश्मीर के खिरयु अवंतीपोर तक फैला हुआ है। इस उद्यान में कई दुर्लभ प्रजातियों के वन्य जीव रहते हैं,जिनमें हांगुल प्रमुख है। नियमों के मुताबिक दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान की बाहरी सीमा से पांच किलाेमीटर की दूरी तक किसी भी तरह की फैक्टरी नहीं लगायी जा सकती। इसके अलावा खुनमाेह और खिरयु में इसी उद्यान के कुछ भीतरी हिस्सों और साथ सटे इलाकों में खनन भी किया जा रहा है। खुनमोह और खिरयुमें ही कश्मीर घाटी की सभी प्रमुख सिमेंट फैक्टरियां स्थित हैं। खिरयु और खुनमोह में जारी अवैध खनन से जहां दाचीगाम का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। कई वन्य जीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। इसके अलावा सिमेंट फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और धूल के गुब्बार से आस-पास के इलाकों में स्थित केसर की खेती भी प्रभावित हो रही है।

सिमेंट फैक्ट्रियों से बरबाद हो रही वन संपदा: स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद सादिक पोस्वाल ने इस मुद्दे को उठाते हुए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश सरकार और वन्य जीव विभाग के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में भी कई बार शिकायत की। मोहम्मद सादिक पोस्वाल ने बताया कि श्रीनगर के खुनमोह और पुलवामा के खिरयु में स्थित सिमेंट फैक्ट्रियों के पास वन विभाग का अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं है। यह फैक्ट्रियां यहां बीते डेढ-दो दशक से चल रही हैं। तभी से यह इलाका बरबाद होता नजर आ रहा है।

दाचीगाम में खनन माफिया भी सक्रिय: दाचीगाम के कुछ हिस्सों में खनन माफिया भी सक्रिय है। करीब दो साल पहले वन्य जीव विभाग सेंट्रल डीविजन श्रीनगर के उप वन संरक्षक ने खुद माना था कि करीब सात बड़ी सिमेंट फैक्ट्रियां दाचीगाम नेशनल पार्क की बाहरी सीमा से मात्र दो-पांच किलोमीटर के दायरे में हैं। नियमों के मुताबिक यह पांच किलोमीटर दूर होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस इलाके में कोई बंजर या खाली जमीन नहीं है और खनन माफिया व सिमेंट फैक्ट्री मालिक वन विभाग और वन्य जीव विभाग की जमीन व संसाधनों को तबाह कर रहे हैं।

हमने सभी शिकायतों का संज्ञान लिया है: हमने सभी शिकायतों का संज्ञान लिया है। हमने इस पूरे मामले की गहन जांच का आदेश जारी कर दिया है। वाईल्ड लाईफ वार्डन शाेपियां डिवीजन इंतिसार सुहेल को हमन जांच अधिकारी नियुक्त किया है। वह खिरयु में जारी अवैध खनन का पता लगाने के अलावा इसमें लिप्त तत्वों और उनकी मदद करने वाले विभागीय अधिकारियों को भी चिन्हित करेंगे। इसके अलावा उन्हें सिमेंट फैक्ट्रियों का अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने वालों का भी पता लगाने को कहा गया है। अगर किसी फैक्ट्री के पास यह प्रमाणपत्र नहीं है तो वह किस आधार पर क्रिया शील है, यह भी उन्हें पता लगाना है। उन्हें कहा गया है कि वह सभी दोषियों को चिन्हित करें। इसके अलावा वह उन प्रशासकीय और व्यवस्थात्मक खामियों का भी पता लगाएं जिनका फायदा यह लोग लेते आए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर सभी दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। - कश्मीर रशीद नक्काश, रिजनल वाईल्ड लाइफ वार्डन  


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