Jammu : उपराज्यपाल ने स्थायी नहीं किया तो सड़क पर उतरे अस्थायी कर्मी
उपराज्यपाल को उनका वादा याद दिलाते हुए जलशक्ति विभाग के अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने की मांग की। आल जेएंडके पीएचई आइटीआइ ट्रेंड सीपी वर्कर एंड लैंड डोनर एसोसिएशन के बैनर तले एकत्रित हुए इन अस्थायी कर्मियों ने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की।
जागरण संवाददाता, जम्मू : जलशक्ति विभाग के अस्थायी कर्मियों ने स्थायी रोजगार की मांग को लेकर सोमवार को बीसी रोड स्थित चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उनसे वादा किया था कि उनकी सेवाओं को स्थायी किया जाएगा, लेकिन उन्होंने भी पिछली सरकारों की तरह उनसे किया वादा नहीं निभाया।
उन्होंने उपराज्यपाल को उनका वादा याद दिलाते हुए जलशक्ति विभाग के अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने की मांग की। आल जेएंडके पीएचई आइटीआइ ट्रेंड सीपी वर्कर एंड लैंड डोनर एसोसिएशन के बैनर तले एकत्रित हुए इन अस्थायी कर्मियों ने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। एसोसिएशन के प्रधान दीपक गुप्ता की अगुआई में एकत्रित हुए इन कर्मियों ने कहा कि विभाग में 22,053 अस्थायी कर्मी हैं, जो कोरोना महामारी के दौरान भी दिन-रात अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं।
पिछले साल जब उन्होंने आंदोलन किया था तो उपराज्यपाल ने उनसे वादा किया था कि बहुत जल्द उन्हें खुशखबरी दी जाएगी, लेकिन एक साल बीतने पर भी उन्हें स्थायी नहीं किया गया। प्रदर्शन में जीवन सिंह, सुभाष रकवाल, भानू संब्याल, मंजीत सिंह, पवन कुमार, विजय कुमार, सुरेंद्र कुमार, अल्ताफ हुसैन, धनी राम, दर्शन, राजेश शर्मा, राम गोपाल आदि कर्मचारी मौजूद रहे। दो साल से नीड बेस्ड और कैजुअल कर्मियों के मेहनताने का नहीं हुआ भुगतान आल जेएंडके पीएचई आइटीआइ ट्रेंड सीपी वर्कर एंड लैंड डोनर एसोसिएशन के प्रधान दीपक गुप्ता ने कहा कि पिछले दो साल में विभाग में काम कर रहे नीड बेस्ड कर्मियों व कैजुअल लेबर को उनके मेहनताने का भुगतान नहीं हुआ है।
दीपक गुप्ता ने एसआरओ 520 के तहत विभाग के सभी अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की तर्ज पर जम्मू-कश्मीर में भी न्यूनतम वेतन कानून लागू करने तथा सभी बकाया भुगतान करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी जायज मांगों पर गौर नहीं किया तो आने वाले दिनों में वे अपना संघर्ष तेज करेंगे।