Move to Jagran APP

Jammu Kashmir: जंगबंदी पर पाकिस्तान की नीयत साफ रही तो आतंकवाद की समाप्ति तय

पाकिस्तान अगर ईमानदारी से जंगबंदी पर अमल करेगा तो यह जम्मू कश्मीर में आतंकवाद अगले दो-तीन सालों में पूरी तरह समाप्त हो सकता है। आतंकवाद को पाकिस्तान ने हमेशा भारत के खिलाफ एक सस्ते हथियार की तरह इस्तेमाल किया है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 03:54 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 03:55 PM (IST)
Jammu Kashmir: जंगबंदी पर पाकिस्तान की नीयत साफ रही तो आतंकवाद की समाप्ति तय
2003 के जंगबंदी के समझाैते पर सहमति का असर सीधा जम्मू कश्मीर के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा परिदृश्य पर पड़ेगा।

श्रीनगर, नवीन नवाज : अंतरराष्ट्रीय सीमा व नियंत्रण रेखा पर हालात को सामान्य बनाए रखने और 2003 के जंगबंदी के समझाैते को फिर से बहाल करने पर सहमति का असर सीधा जम्मू कश्मीर के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा परिदृश्य पर पड़ेगा। पाकिस्तान अगर ईमानदारी से जंगबंदी पर अमल करेगा तो यह जम्मू कश्मीर में आतंकवाद अगले दो-तीन सालों में पूरी तरह समाप्त हो सकता है। आतंकवाद को पाकिस्तान ने हमेशा भारत के खिलाफ एक सस्ते हथियार की तरह इस्तेमाल किया है। कश्मीर में आतंकवाद पाकिस्तानी सेना की ब्लीड इंडिया डाक्टरीन का एक हिस्सा है  

prime article banner

यह एक सर्वज्ञात तथ्य है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पाकिस्तान की ही देन है। पाकिस्तान ने कश्मीर में सक्रिय आतंकियोंकी तन-मन-धन से सेवा की है और कर रहा है। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर मुददे पर एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा ही कश्मीर में आतंकियों व अलगाववादियों का भरपूर इस्तेमाल करता है। आतंकवाद काे जिंदा रखने कश्मीर में नए आतंकियों की पौध को तैयार करने लिए वह इंटरनेट मीडिया का भी पूरा सहारा लेता है। पाकिस्तान ने इस सच्चाई काेे जाानने के बाद कि वह कभी भी भारत का पारंपरिक युद्ध में नहीं हरा सकता और न कश्मीर में कब्जा कर सकता है, कश्मीर में आतंकवाद को अपना हथियार बनाया। यह उसकी ब्लीड इंडिया डॉक्टरीन का मूल है। इस डॉक्टरीन का विचार पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने दिया और उसके बाद पाकिस्तान के तानाशाह जनरल जिया उल हक ने इसे आगे बढ़ाया। इसे पाकिस्तान के क्वेटा स्थित सैन्य मुख्यालय में तैयार किया गया।

कश्मीर में आतंकवाद अब पाकिस्तान पर भी भारी पड़ने लगा है। बीते कुछ सालों से भारत ने जिस तरीके से पाकिस्तान की ब्लीड इंडिया डॉक्टरीन से निपटने के लिए स्कवीज पाकिस्तान की नीति अपनायी है, उससे पाकिस्तान के रणनीतिकारों को भी अपनी नीतियों में बदलाव लाने को मजबूर होना पड़ा है। यही कारण है कि आज पाकिस्तान पूरी दुनिया में अलग-थलग हो चुका है। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू करने के बाद जम्मू कश्मीर की सियासत पूरी तरह बदल चुकी है। संयुक्त राष्ट्र के कश्मीर संबंधी प्रस्ताव भी पूरी तरह आप्रसंगिक हो चुके हैं और अगर उन्हें कभी लागू भी करना पड़े तो सबसे पहले पाकिस्तानका गुलाम कश्मीर खाली करना पड़ेगा। इसलिए पाकिस्तान उनका जिक्र सिर्फ बोलने के लिए करता है, उन पर अमल के लिए नहीं।

अफगानिस्तान और मध्य एशिया में उसके हितों के संरक्षण के लिए भारत के साथ शांति पाकिस्तान के लिए जरूरी है। यह तभी संभव है, जब वह कश्मीर में आतंकवाद से पूरी तरह हाथ खींच ले और इसकी शुरुआत वह 2003 के जंगबंदी समझाैते पर अमल से ही कर सकती है। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने 9/11 के बाद बदले हालात में पाकिस्तान को संभालने के लिए ही जंगबंदी का एलान किया था। भारत ने इसका समर्थन किया और फिर दोनो मुल्कों में जो बदलाव आया, वह सभी ने देेखा। अगले चार सालों में एक समय वहभी आया जब जम्मू कश्मीर में मात्र 77 आतंकी रह गए थे और उनमें भी अधिकांश विदेशी ही थे।

खैर, बाद में स्थिति बदल गई और वर्ष 2003 में हुआ समझौता पिछले कुछ सालों के दौरान सिर्फ कागजों तक ही सिमट गया थ। सितंबर 2016 में उड़ी में आतंकी हमले क बाद जब भारतीय सैनिकों ने गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक अंजाम दी, उस समय भी पाकिस्तान ने जंगबंदी समझाते पर अमल के लिए जोर दिया था। 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले और उसके बाद भारतीय वायुसेना की खैबर पख्तूनवा में एयर स्ट्राइक के बाद हालात और बिगड़ गए। जंगबंदी सिर्फ कहन मात्र को रही और आए दिन दोनों तरफ से एक दूसरे के ठिकानों पर गोलाबारी हो रही है।

सभी जानते हैं कि पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी के दो ही मकसद होते हैं, एक भारत के साथ सरहदी इलाकों में तनाव बना कर, कश्मीर मुददे काे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछालाना और दूसरा आतंकियों की कश्मीर में सुरक्षित घुसपैठ सुनिश्चित बनानी है। इसके अलावा आंतरिक मसलों से आम लोगों का ध्यान हटाने, कश्मीर में सक्रिय जिहादी तत्वों को खुश रखने के लिए भी कश्मीर में जिहाद, ब्लीड इंडिया डाक्टरीन पाकिस्तान के लिए मुफीद रही है, लेकिन यह अब उसक लिए पूरी तरह बोझ बन चुकी है। यही कारण है कि बीते दिनों पाकिस्तानी सेना के जनरल बाजवा गुलाम कश्मीर में जब एक पाकिस्तानी चौकी पर आए तो वहां माैैजूद कमांडर ने उन्हें जब भारतीय चौकियों पर गोलाबारी की अपनी योजना बतायी तो उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा था कि कया इससे कश्मीर में राजभवन में पाकिस्तानी झंडा नजर आएगा। उन्होंने बीते छह माह के दौरान कई बार भारत के साथ शांति पर जोर दिया है और यह शांति आतंकवाद की समाप्ती से जुड़ी है।

गाेलाबारी बंद होती है तो आतंकियाें के लिए जम्मू कश्मीर सुरक्षित घुसपैठ मुश्किल

जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक अशकूर वानी ने कहा कि अगर आइबी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गाेलाबारी बंद होती है तो आतंकियाें के लिए जम्मू कश्मीर सुरक्षित घुसपैठ मुश्किल हो जाएगी। वह सरहद पर ही मारे जाएंगे। जम्मू कश्मीर में हथियारों की आपूर्ति भी बंद हो जाएगी। जम्मू कश्मीर में जो विदेश आतंकी होंगे, वह ऐसे हालात में वापस पाकिस्तान भागेंगे या फिर यहीं पर मारे जाएंगे। इससे स्थानीय आतंकियों की भर्ती पर भी असर होगा। अगर आतंकी हताश हाेकर सुरक्षाबलों पर अपने हमले तेज करेगा तो पाकिस्तान कहेगा हमने तो सरहद सील कर रखी है। यह आतंकी जम्मू कश्मीर में ही हैं, आपके ही हैं, आप ही निपटो। यह तो आपका अपना मसला है, इसमें हमें मत घसीटिए। इसका असर कश्मीर में आतंकवाद और पाकिस्तान समर्थकों पर होगा, उनका मनोबल गिरेगा। आतंकियों की संख्या लगातार घटेगी। पाकिस्तान के लिए आतंकवाद ऐसे भी बोझ बन चुका है और वह उसस छुटकारा चाहता है। इसलिए आपको बीते दो सालों के दौरान लश्कर, जैश या हिजब जैसे संगठनों की गतिविधियां नाममात्र ही नजर आई होंगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK