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विश्व स्वास्थ्य दिवस : कैसे सुधरेगी सेहत, जब थाली में परोसा जा रहा जहर

राज्य के ड्रग एंड फूड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2018-19 में दवाइयों के 78 के करीब सैंपल फेल चुके हैं। इनमें कश्मीर में सबसे अधिक शामिल हैं। साल 2017-18 में दवाइ

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 11:28 AM (IST)
विश्व स्वास्थ्य दिवस : कैसे सुधरेगी सेहत, जब थाली में परोसा जा रहा जहर
विश्व स्वास्थ्य दिवस : कैसे सुधरेगी सेहत, जब थाली में परोसा जा रहा जहर

जम्मू , [ रोहित जंडियाल ]। स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार पिछड़ रहा जम्मू कश्मीर कई चुनाैतियों का सामना कर रहा है। एक ओर जहां मरीजों को जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाए नहीं मिल पा रही हैं, वहीं आम जनता को उच्च गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ नहीं मिल पाते। खेतों से लोगों की थाली तक पहुंचते-पहुंचते कई बार खाद्य पदार्थ जहर बन जाते है। इससे लोगों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है और कई प्रकार के रोगों से पीड़ित हो रहे हैं। यही स्थिति दवाइयों की है। राज्य में कई दवाइयां भी खाने के योग्य नहीं है। उनके सैंपल भी फेल हो जाते हैं।

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साल 2018-19 में दवाइयों के 78 के करीब सैंपल फेल चुके हैं

राज्य के ड्रग एंड फूड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2018-19 में दवाइयों के 78 के करीब सैंपल फेल चुके हैं। इनमें कश्मीर में सबसे अधिक शामिल हैं। साल 2017-18 में दवाइयों के कुल 69 सैंपल फेल हो गए थे। इनमें 13 जम्मू, 51 कश्मीर और चार लेह और कारगिल के थे। यही नहीं अस्पतालों में सप्लाई होने वाली 17 प्रतिशत दवाइयां घटिया निकली थी। इससे पहले 2016-17 में 33 सैंपल, 2015-16 में 35 सैंपल फेल हुए थे। इस साल 2018-19 में भी दवाइयों के कई सैंपल फेल हुए हैं। इंडियन सिस्टम आफ मेडिसीन विभाग की दवाइयों के सैंपल अलग से फेल हुए हैं।

हर साल विभाग औसतन तीन से चार हजार सैंपल उठाता है 

खाद्य पदाथों की स्थिति भी ऐसी ही है। हर साल विभाग औसतन तीन से चार हजार सैंपल उठाता है और इसमें पंद्रह से पच्चीस प्रतिशत फेल हो जाते हैं। साल 2015-16 में आर्गेनाइजेशन ने कुल 2816 सैंपल जांच के लिए उठाए। इनमें 355 घटिया थे। जबकि 29 पूरी तरह से खाने के अयोग्य थे। इसी तरह साल 2017-18 में भी तीन हजार के करीब सैंपल उठाए गए। इनमें तीन सौ के करीब घटिया थे जबकि पंद्रह पूरी तरह से खाने के लिए असुरक्षित थे। घटिया खाद्य पदार्थ और दवाइयां बेचने वालों को लाखों रुपयों का जुर्माना भी किया गया। मगर मिलावट अभी भी रूकने का नाम नहीं ले रही है। फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 68 प्रतिशत सैंपलों में कहीं न कहीं कमी होती है। जम्मू-कश्मीर भी इस रिपोर्ट में शामिल है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि दूध और दूध उत्पादों के 83 प्रतिशत सैंपलों में पानी या फिर डिटर्जेट व अन्य रसायन मिले होते हैं।

खाद्य पदाथों में खतरा खेतों से ही शुरू हो जाता है

जम्मू में मेदांता अस्पताल में विशेषज्ञ डा. अरविंद शर्मा का कहना है कि अगर खाद्य पदाथों में मिलावट न हो तो अस्पतालों में आधे मरीज भी न आए। उनका कहना है कि खाद्य पदाथों में खतरा खेतों से ही शुरू हो जाता है। खेती के दौरान भी कई बार खतरनाक रसायन इस्तेमाल होते हैं। इनका असर लोगों की सेहत पर पड़ता है। मेडिकल कालेज जम्मू में विशेषज्ञ डॉ. संजीव गुप्ता का कहना है कि दूध में मिलावट से भी पेट की गई बीमारियां होती हैं। कोशिश होनी चाहिए कि मिलावट को रोकने के लिए गंभीर प्रयास हों। 

करोड़ों का जुर्माना पर नहीं सुधार

राज्य में कुछ वर्ष पहले कश्मीर की दो और दिल्ली की एक फर्म को मिलावट के लिए करोड़ों रुपयों का जुर्माना हुआ है। दो नामी कंपनियों के दूध और मसालों के सैंपल फेल हो गए थे। विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इस मिलावट से लोगों को कैंसर हो सकता है। हाईकोर्ट ने दस से तीस करोड़ का जुर्माना किया था। यही नहीं कुछ दिन पहले दो नामी कंपनियों के पानी के सैंपल भी फेल हो गए थे। इससे यह साफ है कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ किस प्रकार का खिलवाड़ हो रहा है।


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