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जम्मू-कश्मीर में पहले तीन परिवार ही सब कुछ चलाते थे, अब 30 हजार प्रतिनिधि हैं : अमित शाह

गृहमंत्री ने कहा कि आज से शुरू हुए इस सुशासन इंडेक्स के बाद अब जिलों में प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हो जाएगा। केंद्र की नीतियों को जिला स्तर पर मॉनिटर किया जाएगा। इसका पूरी देश की जनता को लाभ मिलेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 02:08 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 02:35 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में पहले तीन परिवार ही सब कुछ चलाते थे, अब 30 हजार प्रतिनिधि हैं : अमित शाह
ये इंडेक्स दस विभागों पर बनाया गया है।

जम्मू, जेएनएन : जम्मू-कश्मीर में बहुत से बदलाव हो रहे हैं। विकास की बात करें तो उसमें भी गति आई है। अगर मैं यह कहूं कि कश्मीर के अंदर वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में बहुत बदलाव आए, तो गलत नहीं होगा। पहले केवल तीन परिवार ही जम्मू-कश्मीर में सबकुछ चलाते थे परंतु अब 30 हजार प्रतिनिधि हैं। कुछ राजनीतिक दल इस बदलाव से आहत हुए हैं। वे कहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था खराब हो गई। लेकिन यह गलत है।

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ये बात केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज प्रदेश के बीस जिलों में जिला गुड गर्वनेंस इंडेक्स जारी करते हुए कही। दिल्ली से वर्चुअल मोड से इंडेक्स का शुभारंभ करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि आज से शुरू हुए इस सुशासन इंडेक्स के बाद अब जिलों में प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हो जाएगा। केंद्र की नीतियों को जिला स्तर पर मॉनिटर किया जाएगा। इसका पूरी देश की जनता को लाभ मिलेगा। इससे यह भी पता चलेगा कि किस जिले में किस सेक्टर में काम करने की जरूरत है। ये इंडेक्स दस विभागों पर बनाया गया है।

जम्मू कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, उपराज्यपाल के सलाहकार समेत कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे। गृहमंत्री ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में आए बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद की ही बात करें तो इसमें 40 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं की भी बात करें तो जम्मू-कश्मीर का नाम अब शीर्ष पांच में लिया जाता है। इन दो सालों में जम्मू-कश्मीर में बहुत कुछ हुआ है परंतु कुछ बिचौलिए नाराज हैं।

जनता को आज और पहले की स्थिति का खुद ही आंकलन करना चाहिए। पहले इन तीनों परिवारों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों का हक खाया है। खुद व अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के स्वार्थों को तरजीह दी। इस बार सर्दियों में जम्मू-कश्मीर में रिकार्ड तोड़ पर्यटक आए, जम्मू और कश्मीर में दो एम्स बने, नौ मेडिकल कालेज बने, 15 नर्सिंग कालेज बने, आइआइटी-आइआइएम बना, नौकरियों में पारदर्शिता आई परंतु अफसोस कई लोगों को यह भी पंसद नहीं आया।

गृहमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनोें में जम्मू-कश्मीर के पांच लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। पचास हजार करोड़ का निवेश होने वाला है। अमित शाह ने कश्मीर के युवाओं से आह्वान किया कि वे आगे आएं और मोदी के साथ विकास के रास्ते पर चलें। जम्मू-कश्मीर का बजट डबल से भी ज्यादा हो गया। उन्होंने कश्मीर केंद्रित राजनीतिक दलों को निशाना बनाते हुए कहा कि अपने स्वार्थ के लिए कुछ लोग झूठ बोल रहे हैं। ऐसे लोगों से बचने की जरूरत है। लोकतंत्र से ही जम्मू-कश्मीर में खुशहाली आ सकती है। इसलिए सबसे पहले यहां शांति की जरूरत है।


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