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हिजबुल आतंकी तालिब आत्मसमर्पण की तैयारी में, किश्तवाड़ में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के चलते कई आतंकी भूमिगत

पुलिस की सीआइडी विंग ने खुलासा किया था कि तालिब को जहांगीर सरूरी के साथ देखा जा रहा है। बावजूद किसी सुरक्षा एजेंसी ने तालिब को आतंकी घोषित नहीं किया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 09:27 AM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 09:27 AM (IST)
हिजबुल आतंकी तालिब आत्मसमर्पण की तैयारी में, किश्तवाड़ में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के चलते कई आतंकी भूमिगत
हिजबुल आतंकी तालिब आत्मसमर्पण की तैयारी में, किश्तवाड़ में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के चलते कई आतंकी भूमिगत

किश्तवाड़, बलबीर सिंह जम्वाल : किश्तवाड़ में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव के चलते हिज्बुल मुजाहिदीन का आतंकी तालिब गुज्जर आत्मसमर्पण करने की तैयारी में है। क्षेत्र में कई आतंकी भूमिगत हो चुके हैं। फिलहाल तालिब का रिकॉर्ड आतंकी गतिविधियां में नहीं है। वह दो साल पहले हिज्ब के पुराने आतंकी अमीन उर्फ जहांगीर सरूरी के साथ जा मिला था। एक साल तक तो किसी को इस आतंकी की जानकारी नहीं थी। तालिब किश्तवाड़ के नागसैनी पड़ीयारना इलाके का रहने वाला है।

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पुलिस की सीआइडी विंग ने खुलासा किया था कि तालिब को जहांगीर सरूरी के साथ देखा जा रहा है। बावजूद किसी सुरक्षा एजेंसी ने तालिब को आतंकी घोषित नहीं किया। एक साल पहले बेस्ट बंगाल का कमरुद्दीन जो किश्तवाड़ में फड़ी लगाता था, वह भी आतंकी ओसामा बिन जावेद के संपर्क में था। ओसामा ने उसे जहांगीर के साथ मिलवाया। कमरुद्दीन तीन महीने तक जहांगीर के साथ रहा। उसके बाद वह लापता हो गया। कुछ महीनों बाद उसे उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानपुर में पकड़ा था। पूछताछ में उसने कई खुलासे किए। उस जानकारी में यह भी शामिल था कि तालिब जहांगीर के साथ ही रहता है।

जहांगीर के साथ रियाज अहमद उसका अंगरक्षक बनकर चलता है। उसके बाद किश्तवाड़ पुलिस ने तालिब को आंतकी घोषित किया। उसके बाद इसका कोई भी पता ठिकाना नहीं लगा। सूत्रों के अनुसार गत वर्ष एक नवंबर को किश्तवाड़ में परिहार बंधुओं की हत्या और इस वर्ष नौ अप्रैल को आरएसएस नेता चंद्रकांत की हत्या के बाद पुलिस ने दावा किया इन हत्याओं के पीछे ओसामा बिन जावेद, हरून वानी और नावेद का हाथ है। पुलिस ने किश्तवाड़ में सक्रिय सभी आतंकियों को दबोचने के लिए शिकंजा कसना शुरू किया। इसके बाद केशवान में सक्रिय आतंकी जमाल के गुप्त ठिकाने को सेना ने ध्वस्त कर दिया। जमाल ने सेना और पुलिस के आगे डोडा में आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद तालिब जंगल में अकेला भटक रहा है।

बताया जाता है कि वह जितनी देर भी जहांगीर के साथ रहा उसे कोई हथियार नहीं दिया है। वह जहांगीर से पीछा छुड़ाकर भाग आया है। उसे डर है कि अगर वह है सीधा सुरक्षाबलों के सामने जाएगा तो हो सकता है कि उसे मार दें इसलिए वह कोई ऐसे शख्स की तलाश में है जो पुलिस या सुरक्षा बलों के साथ मिलकर उसे आत्मसमर्पण करवाएं । क्योंकि तालिब के ऊपर ऐसा कोई बड़ा केस भी नहीं है जिसके चलते उसे कोई लंबी जेल में जाना पड़े। सुरक्षा एजेंसियां इलाके में सक्रिय हो गई है। वह उससे संपर्क साधना में जुटी हुई हैं। 


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