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हर सुबह चाय की चुस्कियों के साथ चाव से पढ़े जाते हैं हिंदी अखबार, जम्मू कश्मीर में हिंदी के अखबारों ने दिलाया हिंदी भाषा का मान

जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद उर्दू के साथ कश्मीरी डोगरी और हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिल गया है। इससे आने वाले दिनों में हिंदी पत्रकारिता और बुलंदियों को छुएगी। अब यहां का पाठक वर्ग मानने लगा है कि अगर समाचार पढ़ने हैं

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 09:06 AM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 10:26 AM (IST)
हर सुबह चाय की चुस्कियों के साथ चाव से पढ़े जाते हैं हिंदी अखबार, जम्मू कश्मीर में हिंदी के अखबारों ने दिलाया हिंदी भाषा का मान
जब दैनिक जागरण जैसे देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र जम्मू-कश्मीर आए तो हिंदी पत्रकारिता को नया आयाम मिला।

जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू कश्मीर में बीते तीन दशकों में हिंदी पत्रकारिता जनमानस की आवाज बनकर गूंजी है। पहले हिंदी यहां बोली तो जाती थी, लेकिन हिंदी अखबार नहीं थे। ऐसे में उर्दू और अंग्रेजी अखबार ही लोग पढ़ा करते थे। बाद में जब हिंदी अखबार आए तो बहुत कम समय में इन्होंने जम्मू संभाग में बड़ा पाठक वर्ग तैयार किया। जम्मू जिले में हिंदी अखबारों को सबसे ज्यादा पसंद किया गया। जिले के ग्रामीण इलाकों खासकर अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों और कस्बों तक हिंदी अखबार पहुंचने लगे। यही वजह रही कि शुरुआत में जहां हिंदी के एक-दो अखबार थे, वहीं अब छोटे-बड़े दर्जन भर से ज्यादा अखबार जम्मू शहर से ही निकल रहे हैं। अन्य जिलों में भी हिंदी पत्रकारिता की स्थिति बेहतर हुई है।

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जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद उर्दू के साथ कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिल गया है। इससे आने वाले दिनों में हिंदी पत्रकारिता और बुलंदियों को छुएगी। अब यहां का पाठक वर्ग मानने लगा है कि अगर समाचार पढ़ने हैं, तो घर में हिंदी समाचार पत्र आना ही चाहिए। हिंदी के प्रति हीनभावना रखने वाले भी ङ्क्षहदी अखबार जरूर पढ़ते हैं।

दैनिक जागरण ने हिंदी पत्रकारिता को दिया नया आयाम

जम्मू के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र सागर ने जम्मू में हिंदी पत्रकारिता के शुरुआती दौर को देखा है। वे बताते हैं कि तब कुछ एक हिंदी समाचार पत्र जम्मू में आते थे, लेकिन उन्हें यहां के लोगों ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। बाद के वर्षों में जब दैनिक जागरण जैसे देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र जम्मू-कश्मीर आए तो हिंदी पत्रकारिता को नया आयाम मिला। इसने बड़ी संख्या में पाठकों को अपनी ओर आकर्षित किया। आज तक जम्मू में हिंदी अखबार पढऩे वाले लाखों में हैं। कमोवेश हर घर में हिंदी के अखबार-पत्रिकाएं पहुंच रही हैं।

जम्मू संभाग के सभी जिलों में हिंदी पत्रकारिता की गूंज

जम्मू यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता सामूहिक प्रयासों से ही आगे बढ़ी है। आज हिंदी पत्रकारिता ने लोगों का विश्वास जीता है। इसी वजह से इसने बड़ा पाठक वर्ग तैयार किया है। जम्मू संभाग के कमोवेश सभी जिलों में हिंदी पत्रकारिता का ही बोलबाला है। आने वाले दिनों में हिंदी पत्रकारिता में तेजी से संभावनाएं बढ़ेंगी।

हिंदी के राजभाषा बनने से और मजबूत होगी हिंदी पत्रकारिता

जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक वर्ष के अंदर ही हिंदी, डोगरी, कश्मीरी और उर्दू के साथ राजभाषा बन गई। इसका श्रेय हिंदी पत्रकारिता को ही जाता है। हिंदी के पाठकों की संख्या और लोकप्रियता को देखते हुए ही हिंदी राजभाषा बन सकी। अब जब हिंदी राजभाषा बन चुकी है, तो हिंदी पत्रकारिता की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। जिस तरह की चुनौतियों से हिंदी को पहले दो-चार होना पड़ा है, उससे कुछ राहत मिलती दिख रही है। जम्मू कश्मीर में हिंदी के राजभाषा बनने से आने वाले दिनों में हिंदी पत्रकारिता और मजबूत होगी।

प्रशासन भी अब दिखाने लगा गंभीरता

बढ़ते पाठक वर्ग की संख्या को देखते हुए हिंदी पत्रकारिता की जरूरत आज सरकार को भी होने लगी है। आज जो नोटिस, सूचना अंग्रेजी समाचार पत्रों में प्रकाशित होती है। उसे हिंदी समाचार पत्रों में लगवाना भी सरकार की जरूरत हो गई है। हिंदी पत्रकारिता की लोकप्रियता का ही असर है कि आज लोग हिंदी समाचार पत्रों की संख्या और पाठक वर्ग को देखते हुए प्रेस विज्ञप्तियां भी हिंदी में भेजने की कोशिश करने लगे हैं। बदले हालात में हिंदी पत्रकारिता का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है।


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