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कैट को जेके बैंक के केसों पर सुनवाई का अधिकार नहीं

जेएनएफ जम्मू हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल (कै

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 08:26 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 08:26 AM (IST)
कैट को जेके बैंक के केसों पर सुनवाई का अधिकार नहीं
कैट को जेके बैंक के केसों पर सुनवाई का अधिकार नहीं

जेएनएफ, जम्मू : हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल (कैट) के पास जम्मू-कश्मीर बैंक से जुड़े केसों पर सुनवाई करने का अधिकार नहीं। यह फैसला हाईकोर्ट के जस्टिस अली मोहम्मद मार्गे ने उन उम्मीदवारों की ओर से दायर याचिका में सुनवाई के दौरान दिया जिन्होंने बैंक की चयन प्रक्रिया बीच में रद करने के फैसले को चुनौती दी थी।

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बैंक की ओर से छह अक्टूबर, 2018 को जारी अधिसूचना के तहत प्रोबेशनरी ऑफिसर्स व बैंकिग एसोशिएट्स पद के लिए आवेदन करने वाले इन उम्मीदवारों ने 15 अप्रैल, 2020 की उस अधिसूचना को चुनौती दी जिसके तहत चयन प्रक्रिया को रद किया गया। साथ ही उन्होंने प्रोबेशरी ऑफिसर्स के 350 रिक्त पद व बैंकिग एसोशिएट्स के 1500 पदों के लिए पहली जून, 2020 को जारी अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा कि इसे रद करके पुरानी चयन प्रक्रिया को पूरा किया जाए। सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल डीसी रैना ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है। जेके बैंक एक सार्वजनिक बैंक, लिहाजा बैंक पर कैट एक्ट लागू होता है। हाईकोर्ट बैंक से जुड़े मामलों पर सुनवाई नहीं कर सकता। कैट एक्ट केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के सभी संस्थानों पर लागू होता है, जिसमें जेके बैंक आता है। यह मामला चूंकि बैंक में नियुक्तियों से जुड़ा है और सर्विस मैटर श्रेणी में आता है, लिहाजा कैट ही इस पर सुनवाई कर सकता है।

एडवोकेट जनरल के तर्कों पर असंतोष प्रकट करते हुए जस्टिस मार्गे ने कहा कि यह पद बैंक ने स्वयं रेफर किए हैं। स्वयं ही इन पर नियुक्तियां कर रहा है। ऐसा कोई प्रावधान नहीं जिसके तहत प्रदेश सरकार के पास बैंक में किसी को नियुक्त करने या नौकरी से सस्पेंड करने या बर्खास्त करने का अधिकार हो। यह कहीं स्पष्ट नहीं कि केंद्र शासित प्रदेश के पास बैंक प्रबंधन, उसमें नियुक्तियों के लिए पद सृजित करने या खारिज करने का अधिकार हो। सरकार का बैंक में पद सृजित करने या नियुक्तियां करने का कोई अधिकार दिखाई नहीं दे रहा। जस्टिस मार्गे ने कहा कि सरकारी विभागों के सर्विस मैटर को लेकर केंद्र सरकार ने बकायदा अधिसूचना जारी की है। मार्गे ने पूछा कि क्या जेके बैंक को लेकर सरकार की ओर से ऐसी कोई अधिसूचना जारी हुई है? इस पर एडवोकेट जनरल का जवाब न में था। हाईकोर्ट ने साफ किया कि जेके बैंक के मामले कैट के अधीन नहीं आते। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की याचिका को स्वीकार कर सरकार को पक्ष रखने का नोटिस जारी किया और केस की अगली सुनवाई बीस जुलाई को निर्धारित की।


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