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PoK से MBBS करने वाली छात्रा की डिग्री को मान्यता देने पर हो विचार, कहा-PoK भी भारत का ही अंग

श्रीनगर की रहने वाली छात्रा हादिया चिश्ती ने गुलाम कश्मीर के मीरपुर स्थित बेनजीर भूट्टो मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 11:04 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 11:04 AM (IST)
PoK से MBBS करने वाली छात्रा की डिग्री को मान्यता देने पर हो विचार, कहा-PoK भी भारत का ही अंग
PoK से MBBS करने वाली छात्रा की डिग्री को मान्यता देने पर हो विचार, कहा-PoK भी भारत का ही अंग

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक महत्वपूर्ण निर्देश में विदेश मंत्रालय को कहा कि वह गुलाम कश्मीर (Pakistan occupied Kashmir - PoK) के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करके आई श्रीनगर की छात्रा को मेडिकल प्रेक्टेशनर के रूप में पंजीकृत करने पर विचार करें। कोर्ट ने विदेश मंत्रालय से छात्रा की एमबीबीएस की डिग्री को मान्यता देने पर भी विचार करने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता भारत की नागरिक है। उसने उस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की है, जो भारत की सीमा के भीतर ही है। इसमें कोई विवाद नहीं है कि गुलाम कश्मीर भी भारत का ही अभिन्न अंग है। हालांकि इस पर अभी प्रशासनिक नियंत्रण पाकिस्तान का है। जस्टिस संजीव कुमार ने विदेश मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर इस पर फैसला करने को कहा। साथ ही ऐसे मामलों को लेकर एक एडवाइजरी जारी करने को भी कहा, ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।

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मामले के अनुसार, श्रीनगर की रहने वाली छात्रा हादिया चिश्ती ने गुलाम कश्मीर के मीरपुर स्थित बेनजीर भूट्टो मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की, लेकिन नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने फारेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन में उसे बैठने की इजाजत नहीं दी। इसके बाद छात्रा ने श्रीनगर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट के अंतरिम निर्देशों के बाद उसे परीक्षा में बैठने की इजाजत मिल गई। उसने 300 में से 156 अंक लेकर परीक्षा पास कर ली। अब कोर्ट ने मामले पर आगे सुनवाई की।

कोर्ट ने कहा कि इस समय ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि गुलाम कश्मीर में स्थित मेडिकल कॉलेज को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता मिले। न ही अभी गुलाम कश्मीर में स्थित मेडिकल कॉलेज को मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया से मान्यता के बारे में नहीं कहा जा सकता। इंडिया मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 में बने नियमों में भी इस तरह के हालात से निपटने के लिए कोई भी प्रावधान नहीं है।

भारत से बाहर का नहीं कहा जा सकता कॉलेज :

कोर्ट ने कहा कि मीरपुर में स्थित मेडिकल कॉलेज को भारत से बाहर का नहीं कहा जा सकता। यही नहीं, यह दूसरे शेड्यूल में भी शामिल नहीं है। इसीलिए 1956 के एक्ट की धारा 12 यहां पर लागू नहीं होती। जहां पर मीरपुर में यह कॉलेज है, उसे विदेश भी नहीं कहा जा सकता। इसीलिए इस एक्ट की उपधारा 4ए और 4बी भी लागू नहीं होती। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इसीलिए भुगत रही है क्योंकि उसने एक ऐसे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की है जो भारत में तो है, लेकिन इसका नियंत्रण भारत के पास नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस बारे में विदेश मंत्रालय या फिर अन्य संबंधित अथारिटी द्वारा कोई भी एडवाइजारी जारी न होने के कारण केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इस प्रकार के हालात बन सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के मामले को एक विशेष मामले के तौर पर विदेश मंत्रालय को विचार करना चाहिए। यह इसीलिए भी अहम है क्योंकि याचिकाकर्ता ने फारेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन भी पास किया है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से जहांगीर इकबाल गनई और विदेश मंत्रालय की ओर से ताहिर शम्सी कोर्ट में हाजिर हुए। 


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