रामनगर बच्चों की मौत का मामला: डॉक्टरों की कमी से कराह रहे स्वास्थ्य केंद्र
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर में फिजिशयन सर्जन बाल रोग विशेषज्ञ एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के एक-एक पद मंजूर है।
जम्मू, रोहित जंडियाल। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की सेहत के लिए स्वास्थ्य विभाग कितना संजीदा है, यह ऊधमपुर जिले के रामनगर तहसील में दस बच्चों की मौत से साफ हो गया है। पूरे रामनगर ब्लॉक में विशेषज्ञ चिकित्सकों की बड़ी कमी है। कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर समेत प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में भी डॉक्टर पूरे नहीं हैं। चार प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों (पीएचसी) में से सिर्फ एक में ही एक डॉक्टर है। अन्य तीन में एक भी डॉक्टर नहीं है। यही नहीं, दोनों एलोपैथिक डिस्पेंसरियों में एक भी चिकित्सक नहीं है। यही कारण है कि सोमवार को केंद्र से आई विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम और स्वास्थ्य निदेशक जम्मू रामनगर में पहुंची तो उन्हें लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामनगर में फिजिशयन, सर्जन, बाल रोग विशेषज्ञ, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के एक-एक पद मंजूर है। मगर सभी वर्षो से रिक्त हैं। फिजिशयन जरूर एक साल पहले तैनात था, लेकिन उसका भी तबादला कर दिया गया। इसके अलावा हेड फार्मासिस्ट के दो, जूनियर थियेटर असिस्टेंट, लेडी हेल्थ विजिटर, फूड इंस्पेक्टर, हेड लैब असिस्टेंट और डेंटल टेक्निशयन के भी एक-एक पद रिक्त हैं। सिर्फ असिस्टेंट सर्जन के छह पद, स्त्री रोग विशेषज्ञ और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पद ही भरे हुए हैं।
चार पीएचसी का ऐसा है हाल
- ’पीएचसी रांग में असिस्टेंट सर्जन के दो पद हैं, दोनों ही खाली हैं। डेंटल सर्जन, कम्यूनिटी हेल्थ आफिसर, हेल्थ एजूकेटर व जूनियर असिस्टेंट के एक-एक पद खाली हैं।
- ’पीएचसी चनुनता में असिस्टेंट सर्जन के दो में से एक पद खाली है। कम्यूनिटी हेल्थ आफिसर और हेल्थ एजूकेटर के पद भी खाली हैं।
- ’पीएचसी भुगतयारन में असिस्टेंट सर्जन के दो पद हैं। एक पद खाली है। जूनियर असिस्टेंट व नर्स भी नहीं।
- ’घोरड़ी में डॉक्टरों दोनों पद खाली हैं। दो कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर, लेडी हेल्थ विजिटर, जूनियर असिस्टेंट व फूड इंस्पेक्टर के एक-एक पद खाली हैं।
बिना डॉॅक्टर तीन डिस्पेंसिरियां
रामनगर ब्लॉक में ही एक लेप्रोसी का केंद्र हैं और दो एलौपैथिक डिस्पेंसरियां हैं। कहीं भी डॉक्टर नहीं है। किडमू हेल्थ सेंटर एक कर्मचारी के सहारे चल रहा है। सेरमंजला एलौपैथिक डिस्पेंसरी में भी कोई डॉक्टर नहीं है। नाला घोड़ा डिस्पेंसरी में भी असिस्टेंट सर्जन के दोनों पद खाली हैं। डॉक्टर कोई नहीं।
सब सेंटर भी बेहालः ब्लाक में मेडिकल एड व पच्चीस सब सेंटर हैं। इनमें पांच सुनेतर, अप्पर बरमीन, जंद्रैडी, सुमी और सत्यां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के सहारे चल रहे हैं।
मौत के कारणों को जानने पहुंची केंद् से टीम
ऊधमपुर जिला के रामनगर में रहस्यमय बीमारी से दस बच्चों की मौत के मामले की जांच के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय से विशेषज्ञों की टीम सोमवार को रामनगर में पहुंची। टीम ने कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के स्टाफ सदस्यों के साथ बैठक की और प्रभावित गांव का दौरा किया। टीम मंगलवार को भी गांवों का दौरा कर पीड़ित बच्चों के परिवारवालों से मिलेगी। टीम में सफदरजंग अस्पताल दिल्ली में बच्चों के विशेषज्ञ डॉ. सुमित मेहनदिराता, नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर माइक्रोबायोलाजी डॉ. महेश वागमरे, एपीडेमालोजी की असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. सुनीत कौर, एनआइवी पुणो की माइक्रोबायोलोजिस्ट डॉ. शिल्पा तोमर और डॉ. अविनाश दियोशतवार शामिल हैं। स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डॉ. रेनू शर्मा और ऊधमपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केसी डोगरा भी साथ रहे। उन्होंने बच्चों के भर्ती होने और उनके इलाज का रिकार्ड भी देखा। शाम को टीम के कुछ सदस्य माढता गांव में भी गए। इस गांव के कुछ पीड़ित बच्चे इलाज के लिए भर्ती हैं। टीम यहां पानी और दवाइयों के सैंपल भी लेगी। डॉ. रेनू शर्मा ने बताया कि तीन-चार दिनों से किसी भी बच्चे में कोई लक्षण नजर नहीं आया है। यही नहीं, जिन परिवारों में बच्चों की मौत हुई है, उनके सदस्य भी ठीक हैं।
कई दुकानों से लिए दवाइयों के सैंपल
रामनगर में दस बच्चों की मौत के बाद सोमवार को एक बार फिर से कई दुकानों से दवाइयों के सैंपल लिए गए। ड्रग कंट्रोल विभाग की टीम ने उस दुकान से भी सैंपल लिए गए, जहां से कुछ परिवारों ने दवाई खरीदी थी। दुकान के मालिक से कई जानकारियां भी ली गई। वहीं कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर के आसपास स्थित दवाइयों की दुकानों से भी सैंपल लिए गए।