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Jammu Railways: सात साल बाद आई जम्मू रेल डिवीजन के गठन की याद, 3 सदस्यीय कमेटी गठित

फिरोजपुर रेल डिवीजन में पंजाब हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर के 1800 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर गाडिय़ों का परिचालन होता है। इस डिवीजन में 239 छोटे एवं रेलवे स्टेशन आते है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 02:11 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 02:11 PM (IST)
Jammu Railways: सात साल बाद आई जम्मू रेल डिवीजन के गठन की याद, 3 सदस्यीय कमेटी गठित
Jammu Railways: सात साल बाद आई जम्मू रेल डिवीजन के गठन की याद, 3 सदस्यीय कमेटी गठित

जम्मू, दिनेश महाजन। जम्मू रेल डिवीजन के गठन को एक लेकर एक बार फिर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सात वर्ष पूर्व जम्मू रेल डिवीजन के गठन का आदेश जारी तो हुआ, लेकिन यह सरकारी फाइलों में ही दबा रहा। रेल मंत्रलय के उदासीन रवैये से छह हजार रेलकर्मी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। सात साल बाद रेलवे बोर्ड ने पिछले महीने 12 नवंबर को तीन सदस्यीय कमेटी बनाई जो जम्मू रेल डिवीजन के गठन की संभावनाएं तलाशेगी। जम्मू रेल डिवीजन के गठन पर ग्रहण का मुख्य कारण राजनीतिक खींचतान भी है।

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गठित होने वाले जम्मू रेलवे का मुख्यालय जम्मू में बना है, लेकिन केंद्र में बैठे कुछ नेता इस मुख्यालय को जम्मू की बजाय ऊधमपुर ले जाना चाहते हैं, जबकि जम्मू में मुख्यालय के निर्माण के लिए ढांचा भी चिन्हित कर लिया गया है। बाकायदा जम्मू रेल डिवीजन के लिए अतिरिक्त डिवीजनल रेलवे मैनेजर एडीआरएम में नियुक्त कर दिया गया है। बिना काम के पिछले तीन एडीआरएम रैंक के अधिकारी को जम्मू में तैनात किया गया है। आलम यह है कि तीन वर्ष बाद अब एडीआरएम के बैठने के लिए कार्यालय बनाया जा रहा है।

देश का सबसे बड़ा रेल डिवीजन है फिरोजपुर

फिरोजपुर रेल डिवीजन में पंजाब, हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर के 1800 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर गाड़ियों का परिचालन होता है। इस डिवीजन में 239 छोटे एवं रेलवे स्टेशन आते है। पहाड़ी राज्य जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश में रेलवे के विस्तार की मंशा से फिरोजपुर रेलवे डिवीजन से अलग कर जम्मू रेलवे डिवीजन के नाम से करीब सात वर्ष पूर्व एक नया रेल डिवीजन घोषित हुआ था। 24 फरवरी 2012 को तत्कालीन केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर जम्मू रेलवे डिवीजन बनाने की घोषणा की थी। नए रेलवे डिवीजन के अस्तित्व में आने की कवायद चल रही थी। कर्मचारियों की तैनाती भी शुरू हो गई थी। इसी बीच चुनाव हुए और केंद्रीय सत्ता पर दूसरा दल काबिज हो गया। सत्ता परिवर्तन के साथ ही जम्मू रेलवे डिवीजन के गठन पर ग्रहण लग गया।

300 करोड़ रुपये में होना है जम्मू रेल डिवीजन का गठन

जम्मू नए डिवीजन के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान है। इन रुपयों से इमारत और अन्य कार्यों के लिए खर्च होने की संभावना है। इतनी अधिक धनराशि रेल बजट में ही जारी की जा सकती है। यही कारण है कि कई वर्ष से रेल बजट के दौरान रेल कर्मी इस उम्मीद में रहते हैं कि नए रेलवे डिवीजन की घोषणा होगी।

दस हजार रेल कर्मियों को होगा लाभ

नए रेलवे डिवीजन के निर्माण से दस हजार रेलवे कर्मियों को लाभ होगा। वर्तमान में जम्मू संभाग के ढाई हजार, जबकि कश्मीर संभाग में करीब चार हजार रेलकर्मी काम कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में तैनात कर्मियों की संख्या भी करीब तीन हजार है। इन सभी रेलवे कर्मियों को छोटे से काम के लिए फिरोजपुर के चक्कर काटने पड़ते हैं। जम्मू में डिवीजन का मुख्यालय बनने से रेलकर्मियों को लाभ होगा। जम्मू कश्मीर के लोगों को भी नए डिवीजन से रोजगार मिलने की उम्मीद है।

यूनियन के दबाव के बाद बनाई है कमेटी

रेलवे कर्मियों की सबसे बड़ी यूनियन नॉदर्न रेलवे मैन्स यूनियन (एनआरएमयू) के नेता हरपाल सिंह का कहना है कि कर्मचारियों के दबाव में रेलवे बोर्ड अब जम्मू डिवीजन के गठन के काम को शुरू करने के लिए अब कमेटी का गठन किया है। जम्मू डिवीजन ना बनने से रेलवे कर्मियों की समस्याओं को लेकर यूनियन सदस्यों को फिरोजपुर के चक्कर काटने पड़ते हैं। कश्मीर के कर्मचारी सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। उन्हें एक दिन सड़क से जम्मू और दूसरे दिन फिरोजपुर तक छोटे से छोटे काम के लिए जाना पड़ता है।


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