Jammu Kashmir: सात निजी ऑक्सीजन प्लांट पर निर्भर हैं सरकारी-निजी अस्पताल, ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी
इक्का-दुक्का सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को छोड़ दिया जाए तो अस्पताल पूरी तरह से निजी ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट पर निर्भर हैं। अधिकांश अस्पतालों में स्थिति यह है कि अगर एक दिन सप्लाई न हो तो कइयों की जिंदगी दांव पर लग सकती है।
जम्मू, रोहित जंडियाल। जम्मू-कश्मीर में सरकारी और निजी अस्पतालाें में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अस्पतालों के जिस तेज गति से बिस्तर भर रहे हैं, उसी गति से प्रशासन की सांसें भी फूलती जा रही है। इक्का-दुक्का सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को छोड़ दिया जाए तो अस्पताल पूरी तरह से निजी ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट पर निर्भर हैं। अधिकांश अस्पतालों में स्थिति यह है कि अगर एक दिन सप्लाई न हो तो कइयों की जिंदगी दांव पर लग सकती है। इसके लिए इन अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी भी एक प्रमुख कारण है।
जम्मू संभाग के सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोविड के मरीजों की संख्या 405 कर दी गई है। लेकिन इसमें से 322 बिस्तर मरीजों से भरे हुए हैं। इस अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के अलावा 3 हजार ऑक्सीजन सिलेंडर हैं। लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट की क्षमता अब 10 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 14 मीट्रिक टन कर दी गई है। लेकिन इसकी ऑक्सीजन हिमाचल प्रदेश से आ रही है। इस प्लांट से एचडीयू, आइसीयू, वार्ड नंबर तीन और आइसोलेशन वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई होती है। वहीं अन्य जगहों पर सिलेंडरों से ही मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया करवाई जा रही है।
सीडी अस्पताल जम्मू में 110 बिस्तरों में से 80 पर मरीज भर्ती हैं। इस अस्पताल में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्थापित हो रहा है। लेकिन अभी मरीज पूरी तरह से ऑक्सीजन सिलेंडरों पर ही निर्भर हैं। गांधीनगर का जच्चा-बच्चा अस्पताल में 172 बिस्तरों में से 70 पर मरीज भर्ती हैं। यह अस्पताल भी ऑक्सीजन सिलेंडरों पर ही निर्भर हैं। इसी तरह पुराने गांधीनगर अस्पताल में 90 बिस्तरों में से 37 पर मरीज भर्ती हैं। इस अस्पताल में अपना ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्थापित हो गया है। 2200 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट का ट्रायल भी हो गया। 3 मई से इसे मरीजों को ऑक्सीजन मिलना शुरू हो जाएगी।
नारायणा अस्पताल में 111 बिस्तर कर दिए गए हैं और इसमें अभी 102 मरीज भर्ती हैं। इस अस्पताल में भी अपना ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट नही है। यह अस्पताल भी पूरी तरह से निजी ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट पर निर्भर है। वहीं आचार्य श्री चंद्र कॉलेज ऑफ मेडिकल सांइसेस और अस्पताल में 110 बिस्तर हैं और इनमें से 60 पर मरीज भर्ती हैं। यह भी पूरी तरह से निजी ऑक्सीजन प्लांट पर निर्भर हैं। इस अस्पताल में इस समय हर दिन 350 ऑक्सीजन सिलेंडरों की जरूरत है। इसके अलावा जम्मू के अन्य निजी और सरकारी अस्पतालों में भी निजी ऑक्सीजन प्लांट से ही सप्लाई हो रही है।
दावे और हकीकत
सरकार का दावा है कि अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है। यह सही भी हो सकता है लेकिन अस्पतालों के पास पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर तक नहीं है। यह बात सरकार द्वारा गठित कमेटी की आडिट रिपोर्ट में भी कही गई है। जीएमसी के विश्वसनीश्य सूत्रों के अनुसार 100 से 150 के आसपास ऑक्सीजन सिलेंडर कई समय से खराब पड़े थे। इन्हें किसी ने ठीक करवाने की जहमत नहीं की। अब कुछ सिलेंडरों को ठीक करवाया गया है। वहीं इस अस्पताल में 3 हजार में से 1 से 1500 के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर निजी ऑक्सीजन प्लांट में होते हैं ताकि इन्हें भरा जा सके।
एक समय में इस अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के अलावा 1500 के आसपास ही सिलेंडर होते हैं। उन्हें चलाने के लिए भी तकनीकी स्टाफ की कमी बनी हुई है।
यह है निजी ऑक्सीजन जेनरेशन प्प्लांट की स्थिति
जम्मू संभाग में इस समय 7 निजी ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट काम कर रहे हैं। इनमें मैसर्स आरआर गैसेस बड़ी ब्राह्मणा, सांबा, मैसर्स वैली मिनरल्स और कैमिकल्स जेएंडके लिमिटेड बडी ब्राह्मणा सांबा, मैसर्स कश्मीर गैसेस बडी ब्राह्मणा, सांबा, मैससग् एलायड गैसेस बडी ब्राह्मणा, जम्मू, मैसर्स आरएस क्रियोजेनिक बडी ब्राह्मणा, सांबा, मैसर्स ग्लोबल गैस इंडस्ट्रियल एरिया ऊधमपुर और मैसर्स केके गैसेस कठुआ शामिल हैं। इन प्लांट से जीएमसी जम्मू, गांधीनगर अस्पताल, नारायणा अस्पताल, जीएमसी राजौरी, एस्काम, पल्स अस्पताल, जेके मेडिसिटी, स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू, एसएमजीएस अस्पताल, महर्षि दयानंद, जीएमसी कठुआ और कठुआ के निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है।
2 हजार से कम ऑक्सीजन सिलेंडरों पर हर दिन 12 हजार क्यूबिक मीटर के आसपास ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आने वाले दिनों में मरीजों की संख्या इसी तरह सेे बढ़ती हैं और सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनरेशन प्प्लांट स्थापित नहीं होते हैं तो ऑक्सीजन की कमी होने की आशंका बनी हुई है।