सरकारें आई, सरकारें गई पर नहीं बनी बिश्नाह-रेहाल सड़क, 25 गांवों को जोड़ती है यह सड़क
राज्य व केंद्र सरकार की टालमटोल की नीति से क्षुब्ध यहां के लोगों के गुस्से का खामियाजा आने वालों चुनाव में नेताओ को भुगतना पड़ सकता है।
बिश्नाह, संवाद सहयोगी। विधानसभा क्षेत्र के 25 गांवों को आपस में जोड़ती बिश्नाह-रेहाल सड़क इस बार भी नहीं बन पाई। कई सरकारें आईं, कई सरकारें गई, हर चुनाव में स्थानीय लोगों का वोट हासिल करने के लिए यह सड़क मुख्य मुद्दे के तौर पर शामिल तो की जाती है परंतु इसे जमीनी हकीकत देने में कभी भी किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। हर साल की तरह इस साल भी ऐसा ही हुआ। भाजपा-पीडीपी गठबंधन ने भी गांववासियों की परेशानियों को हल करने के लिए सड़क पर काम शुरू नहीं किया। सरकार गिरने पर स्थानीय लोगों को राज्यपाल प्रशासन से उम्मीद जगी थी परंतु उसने भी कोई सुध नहीं लिया। लिहाजा लोगों को अब यह लगने लगा है कि उनकी कहीं सुनवाई नहीं है।
राज्य व केंद्र सरकार की टालमटोल की नीति से क्षुब्ध यहां के लोगों के गुस्से का खामियाजा आने वालों चुनाव में नेताओ को भुगतना पड़ सकता है। रतनाल के सरपंच कमल सिंह ने कहा है कि बिश्नाह से रेहाल तक जाने वाली इस सड़क की हालत काफी खस्ता है। इसको बनवाने के लिए सरकार ने कोई भी कदम नहीं उठाया है। इस खस्ताहाल सड़क पर आए दिन कई हादसे भी होते आ रहे हैं। प्रशासन ने जनता की परेशानी को नजरंदाज किया है। आम जनता के पास वोट की ताकत है और अब इसी के जरिए वह झूठे प्रलोबन देने वाले राजनीतिक दलों को सबक सिखाएगी। आने वाले चुनाव में उम्मीदवारों पर यह बर्ताव भारी पड़ सकता है।
भाजपा भी लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी
पंचायत समिति के सरपंच जोगिंदर सिंह पिंका ने कहा है कि लोगों ने बड़े जोश के साथ राज्य व केंद्र में भाजपा की सरकार लाई थी। उम्मीद थी कि क्षेत्र में सड़कों का जनाधार होगा। पर चुनाव जीतने के बाद यहां कोई नहीं आया। ना ही किसी ने इस सड़क को बनाने का प्रयास किया। इसका सीधा असर लोगों की जिंदगी पर पड़ रहा है। राज्यपाल से अपील करते हुए उन्हाेंने कहा कि वह लोगों की परेशानियों को समझें और बिश्नाह-रेहाल की सड़क को बनाएं ताकि लोगों को परेशानी न हों।
व्यापार पर भी पड़ रहा असर
25 गांव के लोग इसी रास्ते से होकर बिश्नाह खरीददारी के लिए आते थे पर इस सड़क की खस्ता हालत होने की वजह से लोगों ने विजयपुर रुख कर रखा है। इससे बिश्नाह के व्यापार में काफी गिरावट आई है। अगर यह सड़क बन गई होती तो बिश्नाह का बाजार गुलज़ार होता। क्यूंकि टूटी सड़क पर कोई अपने वाहन तोड़ना नहीं चाहता।
राजनीतिज्ञों-प्रशासनिक अधिकारियों को सुना चुके हैं दुखड़ा
रेहाल के सरपंच तीर्थ राम ने कहा कि इस सड़क को बनाने के लिए यहां के लोग राजनीतिज्ञों व प्रशासनिक अधिकारियों की चौखट पर कई बार दस्तक दे चुके हैं लेकिन कोरे आश्वासन ही मिले। नतीजा यह हुआ कि न तो लोगों को राहत मिली और न ही लोगों को सड़क मिली। लोगों में इसको लेकर काफी रोष है। चोरली पंचायत के सरपंच कैलाश चंद्र ने कहा है कि यह क्षेत्र की महत्वपूर्ण सड़क हैं। इसे बनाने के लिए सरकार की तरफ से कोई प्रयास नहीं किया गया। जनता विकास की भावना से हर बार अपना नेता चुनती है लेकिन जीतने के बाद नेता कहां जाता है, इसका कोई अता पता नहीं चल पाता है। खैरी की सड़क हो या रेहाल या फिर अन्य सड़क, इनमें इतने गड्ढे हैं कि इन पर पैदल चलना तो दूर गाड़ी चलाना भी मुश्किल होता है। स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी इस मांग को पूरा नहीं किया गया तो वे आने वाले विधानसभा चुनावों में चुनाव का बहिष्कार करेंगे।