Jammu: कल मनाई जाएगी गोपाष्टमी, होगा हवन एवं भंडारा
महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि गोपाष्टमी के दिन प्रातः काल गायों और बछडों को स्नान कर गंधपुष्प से पूजन करें उन्हें सुन्दर आभूषण पहनाएं। यदि आभूषण सम्भव न हो तो उनके सींगों को रंग से सजाएं अथवा उन्हें पीले फूलों की माला से सजाएं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : गायों की पूजा का पर्व गोपाष्टमी रविवार 22 नवंबर को मनाया जाएगा। गोपाष्टमी हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।इस पर्व को लेकर शनिवार से ही तैयारियां शुरू हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर गौ रक्षा समिति के अध्यक्ष राज कुमार गुप्ता ने बताया कि कोरानो के चलते अधिकतर लोग गायों की पूजा घरों में ही करेंगे लेकिन शहरों में ऐसी सुविधा न हाेने के कारण गौशाला अम्बला में विशेष पूजा अर्चना होगी। जिसमें गौ पूजा के अलावा हवन एवं भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उपराज्यपाल ने भी सहमति जताई है।कोई भी श्रद्धालु गौ शला अम्बपला में पूजा अर्चना के लिए आ सकता है। यह सभी का दायित्व बनता है कि कोविड को देखते हुए सरकार की ओर से जारी सावधानियों का तरीके से पालन किया जाए।
राज कुमार गुप्ता ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को गायों को चराने के लिए वन में भेजा गया था।यशोदा मईया भगवान श्रीकृष्ण को प्रेमवश कभी गौ चारण के लिए नहीं जाने देती थीं। लेकिन एक दिन कन्हैया ने जिद कर गौ चारण के लिए जाने को कहा। तब यशोदा जी ने ऋषि शांडिल्य से कहकर मुहूर्त निकलवाया और गोपाष्टमी के दिन सुबह अपने श्रीकृष्ण को गौ चारण के लिए भेजा। गोपाष्टमी के विषय में और भी कथाएं है।
महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि गोपाष्टमी के दिन प्रातः काल गायों और बछडों को स्नान कर गंधपुष्प से पूजन करें उन्हें सुन्दर आभूषण पहनाएं। यदि आभूषण सम्भव न हो तो उनके सींगों को रंग से सजाएं अथवा उन्हें पीले फूलों की माला से सजाएं। उन्हें हरा चारा और गुड़ खिलाना चाहिए।गायों और बछडों को गोग्रास देकर परिक्रम करें और वस्त्र तथा धूप दीप से आरती उतारे साथ में ग्वालो का पूजन करें। गौशाला के लिए दान दें।
रोहित शास्त्री के अनुसार गोपाष्टमी पर गायों एवं बछडों का पूजन करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं, उपासक को धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में लक्ष्मी का वास होता है।शास्त्री ने कहाकि सायंकाल को गाय और बछड़े चरकर वापिस लौट आते हैं, उस समय उनके प्रणाम करें और उनकी चरणरज अपने मस्तक पर लगाए।