चिनार कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल ने हजरतबल दरगाह पर मांगी दुआ, लोगों का पूछा हालचाल
पांडे के अचानक दरगाह पर पहुंचने से लोग आश्चर्यचकित भी हुए। लेकिन किसी में कोई डर नहीं था। क्योंकि कश्मीर के लोग अब समझने लगे हैं कि सेना स्थानीय नागरिकों के साथ बेहतर समन्वय के साथ काम कर रही है।
जम्मू, जेएनएन : सेना के चिनार कोर के प्रमुख जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे रविवार को हजरतबल दरगाह पहुंच कर दुआ मांगी। दरगाह के सामने शीश झुकाकर उन्होंने घाटी में अमन बहाली के लिए दुआ की। उसके बाद उन्होंने वहां मौजूद नागरिकों से बातचीत की। उनका कुशलक्षेम पूछा। पांडे के अचानक दरगाह पर पहुंचने से लोग आश्चर्यचकित भी हुए। लेकिन किसी में कोई डर नहीं था। क्योंकि कश्मीर के लोग अब समझने लगे हैं कि सेना स्थानीय नागरिकों के साथ बेहतर समन्वय के साथ काम कर रही है। लोगों में विश्वास बहाली का ही परिणाम है कि सेना को कश्मीर में आतंक विरोधी अभियान में काफी मदद मिल रही है।
दरअसल, सेना कश्मीर में आतंक पर प्रहार की नई रणनीति के तहत काम कर रही। वह नीति है- जनता से बेहतर संवाद और समन्वय। इस दिशा में सेना बहुत गंभीरता से काम कर रही है। आतंकियों की जड़ समाप्त करने के लिए यह नीति प्रासंगिक भी है। सेना की इस नीति का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब किसी मुखबिर की जरूरत नहीं पड़ रही है। आम लोग ही आतंकियों की गतिविधियों की सूचना सुरक्षा बलों को दे रहे हैं।
पिछले जीओसी इन सी वाइके जोशी और चिनार कोर के प्रमुख डीपी पांडे ने अनंतनाग से काजीकुंड तक आम नागरिकों के साथ लोकल ट्रेन में सफर किया था। वह भी बिना किसी लाव-लश्कर के। ट्रेन में उन्होंने यात्रियों से बातचीत की। उनके इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था और मूलभूत सुविधाओं के बारे में आपचारिक बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने ट्रेन में मासूम बच्चों को दुलारने से भी खुद को नहीं रोक पाए थे। सेना के इतने बड़े अधिकारियों का इतना सरल व्यवहार देखकर रेलयात्री हत्प्रभत थे। उन्होंने रेलकर्मियों से भी बातचीत की थी। यह भी सेना के बेहतर संवाद और समन्वय का ही हिस्सा था।
सेना का पूरा जोर है कि अवाम में यह विश्वास रहे कि सुरक्षा बल किसी जाति-धर्म के खिलाफ नहीं, बस वह सिर्फ दहशतगर्दों और देेशविरोधियों के खिलाफ है। क्योंकि आतंकी संगठन लोगों को मजहब के नाम पर ही गुमराह करते हैं। इसी कड़ी में रविवार को जीओसी डीपी पांडेय हजरतबल दरगाह पर पहुंचे और शीश नवाया। लोगों से बातचीत कर हालजाल जाना।
ज्ञात रहे किह सेना के बेहतर संवाद और समन्वय के कारण ही एक महीने में आतंकियों के खिलाफ कई सफल आपरेशन को अंजाम देकर टाप आतंकियों को ढेर किया गया। सिर्फ इसी वर्ष अब तक 14 आतंकियों मारे जा चुके हैं। सेना की इस रणनीति से आतंकियों में खौफ बढ़ता जा रहा है।