Jammu Kashmir: कोरोना संक्रमण बढ़ने पर रोजाना 1000 लिक्विड ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद रहा जीएमसी जम्मू
कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच जम्मू के राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी प्रशासन के लिए गले की फांस बन गई है।
जम्मू, अवधेश चौहान: जम्मू संभाग के सबसे बड़े अस्पताल राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू में लिक्विड ऑक्सीजन का अपना कोई प्लांट नहीं है। लिक्विड ऑक्सीजन कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी मानी जाती है। इसके बाजवूद अब तक इस दिशा में कुछ नहीं किया जा सका है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन को लिक्विड ऑक्सीजन के लिए पूरी तरह बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है। कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद जीएमसी अस्पताल को हर दिन औसतन 1000 लिक्विड ऑक्सीजन के सिलेंडर खरीदने पड़ रहे हैं। इसके लिए अस्पताल को रोजाना करीब दो लाख 40 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
प्लांट लग जाने से यह खर्च बचेगा। जानकारी के मुताबिक, कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए लिक्विड ऑक्सीजन बेहद जरूरी होती है, क्योंकि इसमें ऑक्सीजन की शुद्धता ज्यादा होती है। अस्पताल में प्लांट नहीं होने से प्रबंधन को बाजार से लिक्विड ऑक्सीजन के सिलेंडर खरीदने पड़ते हैं। लिक्विड ऑक्सीजन की शुद्धता 99.99 प्रतिशत तक होती है, जबकि कंसंट्रेटेड ऑक्सीजन की शुद्धता 99.56 तक होती है। लिक्विड ऑक्सीजन में नमी कम होती है, इसलिए यह कोरोना मरीजों के लिए ज्यादा बेहतर मानी जाती है। जम्मू में हरियाणा के पानीपत से लिक्विड ऑक्सीजन मंगाकर स्थानीय कारखानों में इसे कंप्रेस कर सिलेंडरों में भरा जाता है। आसीएमआर ने भी जम्मू में ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाले फैक्ट्री मालिकों को निर्देश दिए हैं कि इसमें अस्पतालों को प्राथमिकता दें। इसके बाद ही इन्हें स्थानीय कारोबारियों को सप्लाई करें। लिक्विड ऑक्सीजन के एक सिलेंडर में औसतन 120-130 किलोग्राम गैस भरी जाती है। इसमें फैक्ट्री को 240 रुपये तक लागत आती है।
कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ आजकल अस्पताल रोजाना 1000 भरे सिलेंडर खरीद रहा है। इससे अस्पताल को रोजाना करीब दो लाख 40 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। जम्मू कश्मीर में वीरवार को संक्रमित मरीजों की संख्या 1467 पहुंच गई। जम्मू डिवीजन में कोरोना मरीजों की संख्या 785 है। कश्मीर में इनकी संख्या 682 है। मरने वालों की संख्या 19 तक पहुंच गई। जम्मू जिले में 210 कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं। कश्मीर के एसएचएमएस अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन का अपना प्लांट है, जबकि जीएमसी जम्मू में अभी तक यह प्लांट नहीं स्थापित हो पाया है। जाहिर सी बात है कि स्वास्थ्य विभाग ने जम्मू में कोविड-19 से निपटने के लिए कोई आपातकालीन रणनीति नहीं बनाई है। इसकी वजह से लिक्विड ऑक्सीजन के लिए संभाग के सबसे बड़े अस्पताल को बाजार पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
जीएमसी में अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडरों का भंडारण करने के निर्देश
कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच जम्मू के राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी प्रशासन के लिए गले की फांस बन गई है। जीएमसी अस्पताल के प्लांट में दो नए लिक्विड ऑक्सीजन टैंक लगाने में समय लगेगा। बेशक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा आयुक्त सचिव अटल ढुल्लू ने प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज नसीब सिंह ढीगरा को दो या तीन दिन में ऑक्सीजन टैंक लगाने के लिए कहा था, लेकिन इसमें एक महीन से अधिक समय लगते देख जम्मू के डिवीजनल कमिशनर संजीव वर्मा ने वीरवार को एक बैठक बुलाई। इसमें ऑक्सीजन की कमी के बारे में उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रि¨सपल नसीब सिंह ढीगरा और प्लांट के तकनीकी अधिकारियों से बैठक कर स्थिति का जायजा लिया। बैठक में जम्मू की डिप्टी कमिशनर सुषमा चौहान भी उपस्थित रहीं। डिवकॉम ने प्रिंसिपल से कहा कि जीएमसी में ऑक्सीजन की सप्लाई को 24 घंटे आपूर्ति को सुनिश्चित बनाने के लिए अतिरिक्त सिलेंडरों का अस्पताल में भंडारण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 मरीजों को ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होनी चाहिए।